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एक माह के भीतर जब्त होगी साइबर अपराधियों की करोड़ों की संपत्ति

रांची साइबर अपराधियों की कमर तोड़ने के लिए राज्य में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का अनुसंधान व कार्रवाई जारी है। राज्य के तीन बहुचर्चित मामलों में ईडी का अनुसंधान पूरा हो चुका है। सूत्रों से अब यह सूचना मिली है कि एक महीने के भीतर साइबर अपराधियों की करोड़ों की संपत्ति को ईडी जब्त करेगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 09:28 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 09:28 PM (IST)
एक माह के भीतर जब्त होगी साइबर अपराधियों की करोड़ों की संपत्ति
एक माह के भीतर जब्त होगी साइबर अपराधियों की करोड़ों की संपत्ति

रांची : साइबर अपराधियों की कमर तोड़ने के लिए राज्य में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का अनुसंधान व कार्रवाई जारी है। राज्य के तीन बहुचर्चित मामलों में ईडी का अनुसंधान पूरा हो चुका है। सूत्रों से अब यह सूचना मिली है कि एक महीने के भीतर साइबर अपराधियों की करोड़ों की संपत्ति को ईडी जब्त करेगा।

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वर्ष 2018 में ईडी ने मनी लांड्रिग का केस दर्ज किया था, जिसमें सिर्फ जामताड़ा जिले के साइबर अपराधी प्रदीप मंडल, युगल मंडल व संतोष यादव पर 2.49 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिग का आरोप है। ईडी में दर्ज प्राथमिकी में यह आरोप लगा था कि आरोपित प्रदीप मंडल ने साइबर अपराध के जरिये एक करोड़ रुपये की ठगी की थी। जबकि, युगल मंडल व अन्य पर साइबर अपराध के जरिये 99 लाख तथा तीसरी प्राथमिकी में संतोष यादव पर 50 लाख रुपये की ठगी का आरोप लगा था। अधिकतर मामले साइबर ठगी से संबंधित हैं, जिसमें साइबर अपराधी बैंक अधिकारी बनकर अलग-अलग सिमकार्ड से लोगों को फोन कर उनका पिन व अन्य गोपनीय जानकारी हासिल कर उनके खाते से रुपये उड़ा लेते हैं। ये साइबर अपराधी जामताड़ा के अलावा पड़ोसी जिले गिरिडीह, दुमका, देवघर में भी अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।

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एक साइबर अपराधी का बैंक खाता जब्त कर चुका है प्रवर्तन निदेशालय :

पूर्व में ईडी की टीम ने स्टेट बैंक की मुरलीपहाड़ी शाखा पहुंचकर साइबर अपराधी प्रदीप मंडल से जुड़े खाते से एक लाख रुपये जब्त किया था। इसके बाद ईडी की टीम ने लगातार जामताड़ा व देवघर पहुंचकर वहां के साइबर अपराधियों की संपत्ति ब्योरा जुटाया। कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, अब सिर्फ जब्ती बाकी है।

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डीजी-आइजी कांफ्रेंस में भी आपसी सहमति पर बन चुकी है बात :

गत वर्ष चार दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के डीजीपी व आइजी के साथ ऑनलाइन सम्मेलन किया था। इस सम्मेलन पर सभी राज्यों ने आपसी समन्वय से इस अपराध को खत्म करने का निर्णय लिया था। सभी राज्यों में एक समन्वय डेस्क विकसित करने पर बात बनी थी, ताकि दूसरे राज्यों में घटित साइबर अपराध का तार अगर किसी अन्य राज्य से जुड़े, तो वहां की पुलिस त्वरित कार्रवाई करते हुए उस अपराधी को पकड़ सके। इसपर सकारात्मक पहल हुई है। अब साइबर अपराधियों पर चौतरफा दबिश की रणनीति बन रही है।

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