मोदी होंगे अगुआ, फिर सिंदूरी होगी सिंदरी
कभी इसे आधुनिक भारत का मंदिर कहा गया था लेकिन समय के साथ यह मंदिर उजड़ गया और पुराने घरों की दीवारें ठूंठ सी दिखने लगीं।
आशीष झा, रांची। सिंदरी फिर सिंदूरी होगी। सिंदूर सी लाल माटी वाली यह जगह मरघटी सन्नाटे में डूबी जा रही थी, लेकिन अब खिलखिलाएगी। इसके पुनरुद्धार के नायक इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे। यहां से 21वीं सदी का नया भारत भी दिखेगा। कभी इसे आधुनिक भारत का मंदिर कहा गया था लेकिन समय के साथ यह मंदिर उजड़ गया और पुराने घरों की दीवारें ठूंठ सी दिखने लगीं। आबादी दिनोंदिन घटने लगी तो रौनक भी कम होता गया। शुक्रवार को इसके पुनरुद्धार को बनी योजना का शिलान्यास होगा, जहां से इस शहर को ही नहीं पूरे झारखंड में प्राणवायु का संचार होगा। सिंदरी के साथ-साथ एक बार फिर पूरे झारखंड के लोग साक्षी बनेंगे।
इसके पूर्व प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सिंदरी फर्टिलाइजर प्लांट के उद्घाटन के वक्त 1952 में अपने संबोधन में कहा था कि वे आधुनिक भारत के मंदिर का उद्घाटन कर रहे हैं। हुआ भी यही और इतिहास के पन्नों में भी इस कंपनी की पहचान ऐसी ही रही। सिंदरी फर्टिलाइजर कंपनी की परिकल्पना के पीछे नेहरू मंत्रिमंडल में अहम रोल में मौजूद श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भूमिका भी नजरअंदाज नहीं की जा सकती। समय के साथ सिंदरी को तत्कालीन सरकारों ने अपडेट नहीं किया और परिस्थिति यह बन गई कि वर्ष 2002 में इस फैक्टरी को बंद करना पड़ा। इसके बाद से लगातार इस शहर का उजड़ना जारी है। इस दौरान दो जनगणना भी इसकी गवाही देता है और हर गिनती में यहां की आबादी कम होती गई।
कारखाने की दीवारों से लेकर यहां की गलियां तक सुनहरी यादों की गवाही तो देतीं हैं लेकिन सन्नाटा भारी पड़ रहा था। अब मोदी सरकार के प्रयास से इस शहर का सन्नाटा दूर होगा। पुनरुद्धार योजना के साथ-साथ सिंदरी अपना गौरव भी वापस पा सकेगा और इस बात की भी कल्पना की जा सकती है कि यह शहर फिर से सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बने। बीआइटी सिंदरी जैसे संस्थान भी इसके परिसर में हैं तो मीनाक्षी शेषाद्री जैसी बेहतरीन अदाकारा भी इन्हीं गलियों से परी-बढ़ी हैं। मीनाक्षी की मां सिंदरी में शिक्षिका थीं।
आधुनिक भारत का मंदिर अब 21वीं सदी के नए भारत का प्रतीक बनने जा रहा है। गैस संचालित यह फैक्ट्री आनेवाले दिनों में वैश्विक प्रतिस्पद्र्धा से लोहा लेने को तैयार दिखेगा और साथ दिखेगी सिंदरी के कायाकल्प की कहानी। नरेंद्र मोदी के अलावा भी कई प्रधानमंत्री धनबाद पहुंचे लेकिन यह बात भी दीगर है कि किसी ने सिंदरी की सुध नहीं ली। मोदी ने चार साल पूर्व अपने चुनावी भाषण में सिंदरी को पुनर्जीवित करने का वचन दिया था और अब वे इसे पूरा कर रहे हैं।