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झारखंड विधानसभा का बजट सत्र: सीएम ने कहा- ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण नहीं मिलेगा

Jharkhand Assembly Budget Session. झारखंड विधानसभा की कार्यवाही बजट सत्र के तीसरे कार्यदिवस पर नियत समय से आधे घंटे पहले 10 बजकर 30 मिनट पर शुरू हुई।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 11:47 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 11:47 AM (IST)
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र: सीएम ने कहा- ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण नहीं मिलेगा
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र: सीएम ने कहा- ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण नहीं मिलेगा

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया। राज्य सरकार चालू वित्तीय वर्ष में अबतक 52.16 फीसद राशि खर्च कर सकी है। योजना मद में 44 फीसद राशि खर्च हुई है। सदन में यह मामला उठने पर सरकार ने जवाब दिया कि पिछले साल से दो फीसद राशि अधिक खर्च हुई है। इससे पहले सदस्‍यों के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार को विधानसभा में स्पष्ट कर दिया कि पिछड़े वर्गों को 27 फीसद आरक्षण देने का कोई भी प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। इसी के साथ उन्होंने पिछड़ों को आरक्षण की सीमा 14 फीसद से बढ़ाकर 27 फीसद करने के सारे कयासों पर फिलहाल विराम लगा दिया।

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दरअसल, झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने सवर्ण गरीबों को 10 फीसद आरक्षण देने के केंद्र व राज्य सरकार के निर्णय का उल्लेख करते हुए सरकार से पूछा कि पिछड़ों को आरक्षण की सीमा 27 फीसद करने पर सरकार विचार करेगी या नहीं। उनके अनुसार, राज्य के कई जिलों में पिछड़े वर्ग को शून्य आरक्षण प्राप्त है। कई जिलों में 14 फीसद से भी कम आरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने पूछा कि आखिर सरकार कुल आरक्षण की सीमा 50 फीसद को क्यों नहीं लांघना चाहती? 

जब मुख्यमंत्री ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं होने का जवाब दिया तो प्रदीप यादव उग्र हो गए। मुख्यमंत्री ने भी जवाब दिया कि 67 वर्ष में किसी सरकार ने सुवर्णों को आरक्षण देने का काम नहीं किया। बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में बनी सरकार में प्रदीप यादव भी मंत्री रहे, लेकिन पिछड़ों की कोई सुध नहीं ली। अब चुनाव आ रहा है तो इन्हें पिछड़ों की याद आ रही है। कहा, भाजपा वोट बैंक की राजनीति नहीं करती। इसलिए स्पष्ट रूप से कह दिया कि पिछड़े वर्ग के आरक्षण की सीमा बढ़ाने पर सरकार फिलहाल कोई विचार नहीं कर रही है। यह सुनते ही प्रदीप यादव वेल में पहुंच गए। बाद में स्पीकर के कहने पर वापस सीट पर बैठे।

सदन की कार्यवाही सोमवार को नियत समय से आधे घंटे पहले करीब 10 बजकर 30 मिनट पर ही शुरू हो गई। बिना हो-हल्‍ला के शांति से यहां  प्रश्‍नकाल में अल्पसूचित एवं तारांकित प्रश्नों पर सदस्‍यों के बीच चर्चा हुई। गुरुवार को ही कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में यह तय किया गया था कि शनिवार को विधानसभा की कार्यवाही स्‍थगित करने की स्थिति में सोमवार को नियत समय से आधे घंटे पहले प्रश्‍नकाल शुरू होगा। इधर विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले कांग्रेस के विधायकों ने सरना धर्म कोड को जनगणना में शामिल करने की मांग को लेकर मुख्‍य दरवाजे पर नारेबाजी और प्रदर्शन किया।


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