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चुनावी मौसम में हर तरफ विरोध प्रदर्शनों की गूंज, अब प्राथमिक शिक्षक आंदोलन के मूड में; सरकार की मुश्किलें बढ़ीं

संघ ने कहा है कि सिर्फ सचिवालय कर्मियों को ही उत्क्रमित वेतनमान का लाभ देने के राज्य सरकार के निर्णय से प्राथमिक शिक्षकों में आक्रोश है। संघ इस दोहरी नीति का पुरजोर विरोध करता है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 08:10 AM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 09:55 AM (IST)
चुनावी मौसम में हर तरफ विरोध प्रदर्शनों की गूंज, अब प्राथमिक शिक्षक आंदोलन के मूड में; सरकार की मुश्किलें बढ़ीं
चुनावी मौसम में हर तरफ विरोध प्रदर्शनों की गूंज, अब प्राथमिक शिक्षक आंदोलन के मूड में; सरकार की मुश्किलें बढ़ीं

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में चुनावी मौसम में राज्‍य का अधिकतर कर्मचारी संघ अपनी मांगों के साथ सड़क पर उतर आया है। आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका संघ, पारा शिक्षक, राजस्‍व उपनिरीक्षक के बाद अब प्राथमिक शिक्षक संघ भी सरकार की मुखालफत करने को तैयार है। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्राथमिक शिक्षक भी आंदोलन के मूड में हैं। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष बिजेंद्र चौबे, महासचिव राममूर्ति ठाकुर व प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा कि सिर्फ सचिवालय कर्मियों को ही उत्क्रमित वेतनमान का लाभ देने के राज्य सरकार के निर्णय से प्राथमिक शिक्षकों में आक्रोश है। संघ इस दोहरी नीति का पुरजोर विरोध करता है।

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संघ ने छठे वेतन पुनरीक्षण में शिक्षकों के मूल कोटि के वेतन निर्धारण में न्यूनतम आरंभिक वेतन को संशोधित करने की मांग की है। कहा है कि वर्तमान में प्राथमिक शिक्षक संवर्ग के मूल कोटि में जो न्यूनतम आरंभिक वेतन दिया जा रहा है, वह वित्त विभाग के फरवरी 2009 में निर्गत संकल्प में निर्धारित आरंभिक वेतन से कम है।

संघ के अनुसार, सचिवालय सहायकों के न्यूनतम आरंभिक वेतन विसंगति को अभी हाल ही में जिस प्रकार संशोधित किया गया, उसी तरह प्राथमिक शिक्षकों के मामले में भी संशोधन होना चाहिए। संघ ने इसे लेकर 13 अक्टूबर को रांची के कचहरी परिसर स्थित शिक्षा परिसर में बैठक बुलाई है। इस बैठक में प्राथमिक शिक्षक आंदोलन की रणनीति बना सकते हैं।

प्रोन्नति नहीं मिलने पर रोष

प्रोजेक्ट भवन परिसर में गुरुवार को सहायक प्रशाखा पदाधिकारियों ने प्रोन्नति नहीं मिलने पर रोष प्रकट किया है। परिसर में चाय पर चर्चा के दौरान झारखंड सचिवालय सेवा संघ के पदाधिकारियों ने प्रशाखा पदाधिकारी के पद पर प्रोन्नति के मसले को उठाया। वर्तमान में सचिवालय सेवा के प्रशाखा पदाधिकारी के कुल 657 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 599 पद रिक्त हैं।

सचिवालय की कार्यप्रणाली प्रशाखा आधारित है और इसमें प्रशाखा पदाधिकारी की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसके बावजूद प्रशाखा पदाधिकारी के पद को लंबे समय तक रिक्त रखना न तो सरकार के हित में है और न ही सचिवालय सेवा के हित में। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान में अवर सचिव के पद पर भी अनुसूचित जनजाति के पदाधिकारियों के स्वीकृत 85 पदों में से आधे से अधिक पद (45 पद) रिक्त हैं। यदि जल्द ही प्रशाखा पदाधिकारी के रिक्त पदों को नहीं भरा गया, तो निकट भविष्य में अवर सचिव के पद पर पदाधिकारियों का टोटा हो जाएगा।

चर्चा में संघ के अध्यक्ष विवेक आनंद बास्के, महासचिव पिकेश कुमार सिंह, उपाध्यक्ष अमित कुमार, रूही पूनम, सचिव दीप्ति शिखा हेरेंज, संगठन सचिव नीलम श्वेता इंदवार के अलावे पूर्व उपाध्यक्ष अनुज कुमार रजक, आनंद कुमार, ब्रजेश कुमार सहित बड़ी संख्या में सचिवालय सेवा के पदाधिकारी उपस्थित थे।


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