Move to Jagran APP

पत्‍थलगड़ी मामले में मुकदमा हटाने की तैयारी शुरू, CNT-SPT एक्‍ट के मुकदमे भी लिए जाएंगे वापस

Jharkhand. सरकार से आदेश मिलते ही तैयारी शुरू हो गई है। एक जनवरी 2105 से 31 दिसंबर 2019 तक के दर्ज मुकदमे वापस होने हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 09:37 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 09:37 AM (IST)
पत्‍थलगड़ी मामले में मुकदमा हटाने की तैयारी शुरू, CNT-SPT एक्‍ट के मुकदमे भी लिए जाएंगे वापस
पत्‍थलगड़ी मामले में मुकदमा हटाने की तैयारी शुरू, CNT-SPT एक्‍ट के मुकदमे भी लिए जाएंगे वापस

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में छोटनागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी), संताल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट) के विरोध व पत्थलगड़ी के मामले में दर्ज मुकदमों को वापस लेने के लिए तैयारी चल रही है। इनमें एक जनवरी 2015 से लेकर 31 दिसंबर 2019 तक के दर्ज मुकदमे वापस होने हैं। इसके लिए सरकार ने प्रत्येक जिलों में एक स्क्रीनिंग समिति का गठन किया है, जिसके अध्यक्ष संबंधित जिले के उपायुक्त व दो सदस्यों में एसएसपी/एसपी तथा लोक अभियोजक/वरीय लोक अभियोजक बनाए गए हैं।

loksabha election banner

ऐसे वापस होंगे मुकदमे

  • स्क्रीनिंग समिति जिलों में प्रेस विज्ञप्ति व सूचना प्रसारित कर कांड वापसी के लिए आवेदन प्राप्त करेगी, जिसमें आरोपित का नाम, पिता का नाम, गृह पता, थाना कांड संख्या, धारा, अनुसंधान की स्थिति, विचारण की स्थिति आदि अंकित रहेगा।
  • डीसी की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग कमेटी ऐसे कांडों में प्राप्त आवेदन एवं उपलब्ध दस्तावेज के आधार पर नियम के अनुरूप कांडों की समीक्षा करेगी।
  • इसके बाद समिति वांछित दस्तावेज जैसे प्राथमिकी, केस डायरी, आरोप पत्र (चार्जशीट), स्वीकृत्यादेश, जब्ती सूची आदि के साथ मुकदमा वापसी के बिंदु पर पर्याप्त आधार दर्शाते हुए अनुशंसा एवं प्रस्ताव गृह कारा एवं आपदा प्रबंध विभाग को उपलब्ध कराएगी।
  • जिलों से प्राप्त अनुशंसा, प्रस्ताव पर गृह विभाग के माध्यम से विधि विभाग से आवश्यक परामर्श प्राप्त किया जाएगा।
  • विधि विभाग से प्राप्त परामर्श के आलोक में मंत्रिपरिषद् से अनुमोदन प्राप्ति के बाद संबंधित जिलों के उपायुक्त को विधि सम्मत कार्रवाई के लिए संसूचित किया जाएगा।
  • इसके बाद उपायुक्त के माध्यम से लोक अभियोजक को कांड वापसी के लिए विधि सम्मत कार्रवाई के लिए संसूचित किया जाएगा।

खूंटी से हुई थी पत्थलगड़ी आंदोलन की शुरुआत

राज्य सरकार द्वारा पत्थलगड़ी के मामलों में दर्ज मुकदमों को वापस लेने की घोषणा से कुछ पत्थलगड़ी समर्थकों का दुस्साहस बढ़ा है। इसीका नतीजा है पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदड़ी में गत रविवार को पत्थलगढ़ी समर्थकों द्वारा पत्थलगढ़ी का विरोध करने वाले गुलीकेरा ग्राम पंचायत के उप मुखिया समेत सात ग्रामीणों की हत्या। पत्थलगड़ी आंदोलन की शुरुआत खूंटी से हुई थी।

इसका पहला मामला 24 जून 2017 को खूंटी थाना में दर्ज हुआ था। जिले के विभिन्न थानों में पत्थलगड़ी के कुल 21 मामले दर्ज हैं। इनमें बहुचर्चित कोचांग सामूहिक दुष्कर्म, पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा निजी बैंक खोले जाने एवं प्रशासनिक अधिकारियों को रात भर बंधक बनाने जैसे संगीन मामले भी शामिल हैं। पत्थलगड़ी को लेकर अब तक 45 आरोपितों की गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं, मास्टर माइंड यूसुफ पूर्ति व बबिता कच्छप समेत सौ से अधिक आरोपित फरार हैं।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

यह कानून व्यवस्था का गंभीर मामला है और निश्चित तौर पर पुलिस इसकी जांच कर पटाक्षेप करेगी। कांग्रेस मांग करती है कि इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं आगे ना हों। -राजेश ठाकुर, कार्यकारी अध्यक्ष, कांग्रेस।

आरंभिक जानकारी मिली है। अभी अपुष्ट सूचना है। हिंसा की घटनाओं में कानून अपना काम करेगा। -विनोद पांडेय, प्रवक्ता, झामुमो।

मामले की जानकारी नहीं है। यदि ऐसा हुआ है तो यह गलत है। राज्य सरकार को इसकी जांच कर दोषी लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसे भी सुनिश्चित करनी चाहिए। -डा. देवशरण भगत, केंद्रीय प्रवक्ता, आजसू।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.