Move to Jagran APP

कड़ाके की ठंड में फर्श पर रात बिता रहे मरीजों के परिजन

रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में एक नगर निगम का और एक रिम्स प्रबंधन द्वारा संचालित रैन बसेरा की हालत खराब है। मरीजों के परिजन फर्श पर रात गुजारने को मजबूर हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 12:13 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 12:13 PM (IST)
कड़ाके की ठंड में फर्श पर रात बिता रहे मरीजों के परिजन
कड़ाके की ठंड में फर्श पर रात बिता रहे मरीजों के परिजन

रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में एक नगर निगम का और एक रिम्स प्रबंधन द्वारा संचालित रैन बसेरा है। रिम्स प्रबंधन ने एक निजी एजेंसी को रैन बसेरा के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी है। यहां 24 घंटे के हिसाब से 50 रूपये प्रतिदिन भुगतान से मरीज को रहने के लिए कमरा मुहैया कराया जाता है। रैन बसेरा में मात्र 50 कमरे होने के कारण दूर दराज से आए मरीज और अनके परिजनों को ठंड से बचने के लिए रैन बसेरा के फर्श का सहारा लेना पड़ रहा है। वहीं कई मरीज बाहर किसी होटल में रात बिता रहे हैं। इन दिनों ठंड बढ़ने से रात में तेज ओस की बूंदें गिरती है, जिससे मरीजों की तबियत और ज्यादा बिगड़ रही है। धनबाद से अपने बेटे का इलाज कराने आये मिसोर महतो ने बताया कि पिछले चार दिनों से अपने बेटे और पत्‍‌नी के साथ रिम्स में चक्कर लगा रहे है। चार वर्षीय बेटे के माथे में पानी जम जाने के कारण स्थिति काफी नाजुक हो गई है। ऐसे में चार साल के बीमार बेटे को लेकर ठंड में भटक रहे है। बीते शनिवार को रैन बसेरा में कमरे के लिए जाने पर पता चला कि कमरा खाली नहीं है। ऐसे में मिसोर अपने बेटे और पत्‍‌नी के साथ रैन बसेरा के फर्श पर ही चटाई बिछा कर कड़कड़ाती ठंड में जम गए। वहीं चौपारण से इलाज के लिए आई 37 वर्षीय ममता देवी ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर की बीमारी का इलाज कई महीनों से रिम्स में चल रहा था। स्थिति में थोड़ा सुधार होने पर 15 दिन बाद आने के लिए कहा गया था। ऐसे में पिछले दो दिन से ममता रिम्स आकर इलाज कराने में असमर्थ है। ममता भी रैन बसेरा में जमीन पर चादर बिछाए पड़ी है। इस बढ़ते ठंड के वजह से रिम्स और रैन बसेरे में मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीमारी ठीक होने के बाद भी कमरे में जमाए रखते हैं कब्जा

loksabha election banner

रैन बसेरा में मरीजों के लिए महज 50 कमरे का ही निर्माण किया गया है। रैन बसेरा में कई कमरे ऐसे है जो लंबे समय से मरीज और उनके परिजनों के कब्जे में है। मरीज कई माह से बीमारी ठीक होने के बाद भी रैन बसेरा में कमरे को नहीं छोड़ रहे है। ऐसे में सीरियस मरीजों को रैन बसेरा में कमरा नहीं मिल पता है और फर्श में रात दिन एक करना पड़ता है। लंबी बीमारी से ग्रसित मरीज का कहना है कि सरकार और रिम्स प्रबंधन को रैन बसेरा में कमरे की संख्या को बढ़ना चाहिए, ताकि दूर दराज से आए मरीजों को ज्यादा तकलीफ न हो। प्रस्ताव के बाद भी नहीं शुरू हुआ निर्माण कार्य

करीब एक साल पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी और रिम्स पूर्व निदेशक डॉ. आरके श्रीवास्तव द्वारा निरीक्षण के बाद रैन बसेरा के ग्राउंड फ्लोर में बाईं ओर पिलर को घेर कर मरीजों के लिए हॉल निर्माण करने का प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन निरीक्षण के बाद प्रस्ताव बंद बस्ते में चला गया। रैन बसेरा में हॉल निर्माण हो जाने से मरीज और उनके साथ आए परिजनों को भरे ठंड में जाड़े से बचने के लिए आश्रय नसीब होता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.