गरीब जरूर हैं लेकिन यादाश्त दुरूस्त है, एक-एक चीज याद रखेंगे
दोपहर दो बजे कांटाटोली चौक से महज 10 कदम आगे सड़क किनारे सुस्ता रहे 10 मजदूर आगे की यात्रा की तैयारी में हैं। कहा कर्नाटक से हमलोगों को यहां भेज दिया गया और यहां की सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। इस बात को हमेशा याद रखेंगे।
: दोपहर दो बजे कांटाटोली चौक से महज 10 कदम आगे सड़क किनारे सुस्ता रहे 10 मजदूर आगे की यात्रा की चर्चा में व्यस्त हैं। कुछ अपने घर तो कुछ जान-पहचान वाले से फोन पर मदद माग रहे हैं। 30 से 40 वर्ष बीच के ये मजदूर गुरुवार को सुबह नौ बजे कर्नाटक के बिदर जिले से राची पहुंचे हैं। कर्नाटक सरकार की ओर से बस की व्यवस्था की गई थी। सोचा था अपना राज्य पहुंच जाएंगे तो अपनी सरकार आगे का इंतजाम कर ही देगी, लेकिन इन्हें निराशा के अलावा और कुछ नहीं मिला। अब चिंता है कि यहा तक तो पहुंच गए अब गोमो स्थित अपने घर कैसे जाएं। न बस, न ट्रेन। पास में इतने पैसे भी नहीं कि बोलेरो किराया कर लें। काफी उधेड़-बुन के बाद दोबारा ये मजदूर आगे की पैदल यात्रा पर विदा हो जाते हैं।
गोमो के सूरज पासवान यहा की सरकार से बेहद खफा हैं। कहते हैं भला हो कर्नाटक सरकार का कम से कम बस से राची तक तो पहुंचा दिया। वहीं अपनी ही सरकार को हमलोगों के लिए सोचने का समय नहीं है। सुबह नौ बजे से एक बजे तक खादगढ़ा बस स्टैंड में बैठे रहे वहा मौजूद पुलिस से मदद मागी लेकिन गरीब की कौन सुनता है। जब कोई व्यवस्था नहीं हुई तो पैदल ही निकलना पड़ा। रास्ते में एक-दो वाहन चालक से बात किए ये लोग गोमो पहुंचाने के लिए सात-आठ हजार रुपये माग रहे हैं। वोट के समय सब बाबू-बाबू कहता है जब मतलब निकला तो पहचानते नहीं। भैया, गरीब जरूर हैं लेकिन यादाश्त ठीक है। एक-एक चीज याद रखेंगे।