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कंक्रीटीकरण से खतरे में तालाबों का अस्तित्व

रांची : रांची नगर निगम एक ओर तालाबों के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण की योजना बना रहा है, वहीं दूसरी ओर

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 09:23 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 09:23 AM (IST)
कंक्रीटीकरण से खतरे में तालाबों का अस्तित्व
कंक्रीटीकरण से खतरे में तालाबों का अस्तित्व

रांची : रांची नगर निगम एक ओर तालाबों के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण की योजना बना रहा है, वहीं दूसरी ओर कच्चे तालाबों के चारों ओर किए गए कंक्रीट तालाब के अस्तित्व पर संकट बनकर मंडरा रहे हैं। 2016 में नगर विकास विभाग की पहल पर निगम क्षेत्र के 21 तालाबों के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण की योजना तैयार की गई थी। इनमें से 11 तालाबों के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण की योजना के तहत मुंबई की कंपनी टंडन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड से डीपीआर तैयार कराया गया। फिर टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के बाद तालाबों के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू की गई। पिछले वर्ष नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने नायक तालाब के सुंदरीकरण और जीर्णोद्धार के बाद उसका उद्घाटन भी किया। हालांकि इस वर्ष गर्मी की आहट होते ही तालाब के जलस्तर में गिरावट आने लगी। अब तालाब के ठीक बीच हल्का सा पानी नजर आ रहा है। नगर विकास मंत्री तालाब के घटते जलस्तर को लेकर काफी चिंतित हैं। उनकी मानें तो जीर्णोद्धार कार्य से पूर्व गर्मी में भी नायक तालाब का जलस्तर बेहतर रहता था। इधर, कडरू बस्ती तालाब पूर्णत: सूख चुका है। आसपास के बच्चे इस तालाब में क्रिकेट व फुटबॉल खेलते नजर आते हैं। निगम के अभियंता कहते हैं कि तालाब का प्राकृतिक जलस्रोत खत्म हो चुका है।

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तालाब भी हो गए विलुप्त

राजधानी के कई तालाब पूरी तरह से गायब हो चुके हैं। जेल तालाब को भर दिया गया। रांची गौशाला, गोरखनाथ भवन के निकट स्थित तालाब को भर कर पुल का निर्माण हो गया। गुटुवा स्कूल के निकट तालाब पर भी पुल निर्माण हो गया। भूतहा तालाब को भर कर स्टेडियम बना दिया गया। कर्बला चौक के निकट स्थित तालाब पर पुल निर्माण का निर्माण हो गया। हेसल बस्ती तालाब को भी अभी आंशिक रूप से भर दिया गया है। गोपाल काप्लेक्स के पीछे स्थित तालाब, बार्गेन बाजार के पीछे स्थित वसुंधरा तालाब, एसटी-एससी पुलिस स्टेशन के निकट स्थित तालाब, जेल कैंपस स्थित तालाब, प्लाजा सिनेमा के निकट स्थित तालाब, गोपाल काप्लेक्स के बगल में स्थित तालाब पूरी तरह से गायब हो चुके हैं।

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धीरे-धीरे मिंट्टी से भर रहा है कमलू तालाब

चुटिया के कमलू बस्ती स्थित कमलू तालाब खोदाई के अभाव में दिनोंदिन भर रहा है। तालाब का तीन चौथाई हिस्सा मिट्टी और गंदगी से भर चुका है, जबकि तालाब के मात्र एक-तिहाई हिस्से में ही पानी है। स्थानीय लोग इसी पानी के बीच मछली पालन भी करते हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो पूर्व में किसी राजा ने इस तालाब की खोदाई करायी थी। तालाब के जल से आसपास के खेतों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जाती थी। खासकर गर्मी के दिनों में इस तालाब का जलस्तर बना रहता था। वर्तमान में इस तालाब की स्थिति जर्जर होती जा रही है। प्रति वर्ष तालाब में मछली का जीरा डाला जाता है। लेकिन सफाई नहीं होने के कारण मछलियों का आकार विकसित नहीं हो पाता। स्थानीय लोगों ने बताया कि तालाब की सफाई के लिए प्रति वर्ष गांव के प्रत्येक परिवार से चंदा लिया जाता है। लेकिन तालाब का आकार इतना बड़ा है कि सफाई व्यवस्था भी आधी-अधूरी ही हो पाती है।

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महतो तालाब में जंगल-झाड़

धुमसा टोली में रैयती भूमि (लगभग 1.5 एकड़) पर बना महतो तालाब वर्तमान में जंगल-झाड़ के रूप में तब्दील हो चुका है। लगभग 12 वर्ष पूर्व इस तालाब के इर्द-गिर्द सालोंभर फूलगोभी की खेती होती थी। खेतों की सिंचाई के लिए इसी तालाब का पानी उपयोग किया जाता था। यहां की फूलगोभी का स्वाद शहर में चर्चा का केंद्र हुआ करता था। तालाब की जमीन के मालिक तपेश्वर नारायण महतो ने बताया कि लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व उनके परदादा लक्ष्मी नारायण महतो ने इस तालाब का निर्माण कराया था। लेकिन 2005 में इस तालाब पर भू-माफियाओं की नजर पड़ गई। जेसीबी से तालाब के एक छोर पर मिंट्टी कटाई का काम शुरू कर दिया गया। फिर इस मामले की जानकारी चुटिया पुलिस को दी गई और मिंट्टी कटाई का काम बंद कराया गया। उसके बाद न तो तालाब की सफाई हुई और न ही किसी ने इस तालाब के जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण के प्रति इच्छा जताई। उन्होंने बताया कि तालाब में पानी है, लेकिन घास-फूस के कारण जलस्तर दिखाई नहीं दे रहा है। तालाब की जर्जर स्थिति के कारण आसपास के सभी कुएं सूख गए हैं। उन्होंने बताया कि 2013 में तालाब के अस्तित्व को बचाकर जनहित के उपयोग लायक बनाने के लिए 23.12.2013 को राज्यपाल को स्थानीय लोगों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंपा गया था। ज्ञापन में कहा गया था कि तीन सौ वर्ष पूर्व महतो जाति के पूर्वजों ने जनहित के लिए इस तालाब की खोदाई करायी थी। तालाब खोदाई के बाद से ही स्थानीय लोग जैसे, हरिजन, आदिवासी, महतो समाज व सभी जाति-धर्म के लोग इस तालाब का उपयोग करते आ रहे हैं। ज्ञापन में यह भी कहा गया था कि तीन-चार वर्ष पूर्व स्वार्थी तत्वों ने तालाब में बुलडोजर लगाकर इसे समतल करने का प्रयास किया था।

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खत्म होने के कगार पर नया तालाब

धुमसा टोली स्थित तीन सौ वर्ष पुराना नया तालाब का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। तालाब के रैयत मदन केशरी की मानें तो उनके परदादा ने इस तालाब की खोदाई करायी थी। लेकिन, तालाब की सफाई कभी की गई या नहीं, इसकी जानकारी उन्हें नहीं हैं। बचपन से लेकर आज तक उन्होंने तालाब की सफाई होते कभी नहीं देखा है। तालाब में गंदगी के ढेर हैं। सफाई के अभाव में तालाब का स्वच्छ जल अब हरा हो गया है। स्थानीय लोग सिर्फ स्नान करने के लिए इस तालाब का उपयोग करते हैं। स्थानीय निवासियों की मानें तो एक समय था, जब नया तालाब धुमसा टोली का व चुटिया क्षेत्र के सबसे बड़ा तालाब के रूप में जाना जाता था। लेकिन शहरीकरण के दौर में तालाब का आकार धीरे-धीरे घटता गया। तालाब के चारों ओर बहुमंजिली इमारतों का निर्माण हो गया है। कुछ लोगों ने तालाब के किनारे की जमीन को भरकर मकान का निर्माण कर दिया है।


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