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गाद से निजात को तरस रहा है कांके डैम

2015 में हुई थी सफाई, प्रतिदिन शहर को 4 एमजीडी पानी देता है कांके डैम।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 05:19 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 05:19 PM (IST)
गाद से निजात को तरस रहा है कांके डैम
गाद से निजात को तरस रहा है कांके डैम

जागरण संवाददाता, रांची : शहर का विस्तार हो रहा है। विस्तार के साथ आबादी भी बढ़ रही है और उनकी जरूरतें भी। जाहिर है जलापूर्ति करने वाले जलाशयों पर भी बोझ बढ़ रहा है। कांके क्षेत्र में लगातार बढ़ रही आबादी को देखते हुए कांके डैम की स्थिति पर भी नजर जाती है। यह डैम आज भी सरकार की योजनाओं और प्रयासों के इंतजार में है।

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कांके डैम से शहर के करीब 10 फीसद आबादी को पानी मिलता है। यानी करीब डेढ़ लाख लोग इस डैम का पानी उपयोग करते हैं। वर्तमान में यह डैम प्रतिदिन चार एमजीडी पानी शहर को देता है। लेकिन आने वाले दिनों में यह मात्रा बढ़ेगी जिसके लिए कांके डैम अभी तैयार नहीं है। डैम के नीचे का गाद और इसके सूखते जलस्रोत एक बड़ी परेशानी की तरफ इशारा कर रहे हैं।

गाद ने तोड़ा जमीन से संबंध :

डैम की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है जमीन की तह में जमा गाद। गाद की वजह से डैम का संबंध जमीन से टूट गया है। प्रकृतिक जलस्रोत समाप्त हो चुका है। गंदगी की वजह से पानी का कुछ हिस्सा भी उपयोग के लायक नहीं है। लगातार पानी की जरूरतें बढ़ रही है। डैम की हालिया स्थिति बढ़ती आबादी को पानी देने में असमर्थता को दिखाती है।

खतरे में है डैम का जलस्रोत :

कांके डैम पोटपोटो नदी पर बना है। डैम में पानी का एक मात्र जलस्रोत यह नदी ही है। कुछ वर्षो पहले डैम में शहर के अन्य क्षेत्रों से भी पानी आता था। लेकिन आस-पास मकानों के निर्माण के बाद ये स्रोत समाप्त हो गए। यहां तक कि अब घरों से निकलने वाली नालियां भी डैम में ही आ कर मिलती हैं। पोटपोटो नदी का अस्तित्व भी खतरे में है। हर वर्ष जलधारा कम हो रही है। और डैम में पानी आने के सारे विकल्प बंद हो रहे हैं।

जीर्णोद्धार की नहीं है कोई योजना :

अधिकारियों से बात-चीत के दौरान पता चला कि डैम की सफाई, और जीर्णोद्धार संबंधी कोई भी योजना वर्तमान में नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि अभी डैम में काफी पानी है, सफाई के लिए पहले पानी सुखाना होगा। आने वाले दिनों में जरूरतों के अनुसार कदम उठाए जाएंगे।

वर्तमान में कांके डैम के जीर्णोद्धार को ले कर कोई योजना नहीं है। 2015 में डैम की सफाई हुई थी। अभी डैम में पर्याप्त पानी है। जितनी आपूर्ति होती है उस हिसाब से हम खतरे के निशान के उपर हैं। भविष्य में डैम के कैचमेंट एरिया को बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।


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