रांची, राब्यू। राज्य की औद्योगिक राजधानी जमशेदपुर में टाटा समूह की कंपनियों को लेकर राजनीति गर्म है। राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने आंदोलन का आगाज किया। उन्होंने इसके लिए भगवान बिरसा जयंती का मौका चुना। बन्ना गुप्ता का तर्क था कि टाटा कंपनी के अधिकारियों ने भगवान बिरसा मुंडा को भुला दिया, क्योंकि उनका नाता झारखंड से नहीं है। सभी बाहर से आए हैं तो उन्हें भगवान बिरसा मुंडा का ख्याल क्यों रहेगा।
बुधवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा की तीन जिला समितियों पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम ने जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई। मोर्चा के विधायकों ने मोर्चा संभाला। कंपनी के गेट जाम कर दिए गए। इसका व्यापक असर दिखा। झामुमो ने मांग उठाई कि कंपनी में 75 प्रतिशत पदों पर स्थानीय लोगों का नियोजन होना चाहिए। टाटा समूह की एक कंपनी का मुख्यालय पुणे ले जाने का भी विरोध किया गया। इस बीच जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने टाटा स्टील के साथ-साथ बन्ना गुप्ता को भी निशाने पर लिया। कहा कि झारखंड के सरकारी-गैर सरकारी बड़े उद्योगों का मुख्यालय दिल्ली, पुणे, मुंबई कोलकाता है।
इनकी क्षमता का विस्तार राज्य के बाहर हो रहा है। जरूरत इस बात पर विचार करने की है कि ऐसा कैसे और क्यों हो रहा है? लीज समझौते के मुताबिक टाटा स्टील को जमशेदपुर के नागरिकों को जन सुविधाएं देनी है। इस बारे में विधानसभा में उठे सवालों का सही जवाब झारखंड सरकार नहीं देती है तो इसके लिए कौन दोषी है। इस बारे में कंपनी पर भड़ास निकालने वाले अपने गिरेबान में झांकें।
औद्योगिक नगर या नगर निगम, इस पर भी द्वंद
जमशेदपुर में नगर निगम या औद्योगिक नगर हो, इस पर द्वंद है। इसे लेकर अलग-अलग राय भी है। इस मुद्दे पर भी राजनीतिक ताना-बाना बुना जा रहा है। पूर्व में भी इस पर विवाद होता रहा है, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में कार्रवाई नहीं हुई। जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति को अनधिकृत बताया जाता है। विधायक सरयू राय ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए निशाना साधा है। उनका कहना है कि जमशेदपुर को नगर निगम बनाने से या औद्योगिक नगर नहीं बनने से किसने रोका है। जिस विषय का निदान सरकार की संचिकाओं में होना चाहिए, वह समाचार की सुर्खियां बनकर रह जाता है तो जनता को इस संदर्भ में क्या कहा जाए।
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