कोरोना से बचने को हुजूर ने मंगाया लखटकिया मास्क, पढ़ें सत्ता के गलियारे का हाल
Jharkhand Politics. एकदम फ्रेश एयर ले रहे हैं। कोरोना से बचना है तो यही इंतजाम माकूल है लेकिन हुजूर के कान तक दुश्मनों की बात पहुंच चुकी है।
रांची, [प्रदीप सिंह]। ऐसे दुश्मनों पर लानत है। हुजूर मधुपुर से आते हैं और इनकी जुबान से भी मधु टपकता है। जब देखो, चिंता में खोये रहते हैं जनता की। इधर जलने वालों ने अफवाह फैला दी है कि इन्होंने स्पेशल मास्क मंगवाया है कोरोना से बचने के लिए। एक लाख तो दाम है जनाब। इनकी कुर्सी पर नजर टिकाने वाली जमात ने एक और रायता फैलाया है कि हाकिम की मास्क में एयर कंडीशनर लगा है।
एकदम फ्रेश एयर ले रहे हैं। कोरोना से बचना है तो यही इंतजाम माकूल है, लेकिन हुजूर के कान तक दुश्मनों की बात पहुंच चुकी है। सबको बता रहे हैं कि अपनी ही जमात को नहीं पच रही है मेरी कुर्सी। रोना भी रो रहे हैं कि यह कोई काम का है। हज हाउस तो बनवा ही दिया था टेढ़ी नींव वाला। अबकी बार यहां ऐसा कोई भी मौका मिलता दिख नहीं रहा है।
बिजली को करंट
झारखंड में बिजली की व्यथा हरि अनंत, हरि कथा अनंता जैसी है। एक से एक साहब बहादुर आए और झटका देकर ऐसे निकले कि उबर नहीं पा रही बिजली। अब कमर जरा सीधी नहीं होती कि कोई न कोई मार ही देता है लंगड़ी। ऐसे साहबों के किस्से एक से बढ़कर एक हैं और इतने हैं कि लिखा न जा रहा कागज पर। ऊपर से कोरोना का शुक्रिया अदा करिए कि कोई पूछने वाला भी नहीं बचा।
लॉकडाउन से इनकी फाइल पर भी ताला लग सकता है जिन्होंने पूरब से लेकर पश्चिम तक रायता फैलाया और जब पकड़ाने की बारी आई तो मुंह पोछकर खड़े हो गए। जवाब देने में जितना वक्त लगा रहे हैं उससे लग रहा है कि इनके किस्से भी अब दफन हो जाएंगे सचिवालय में। सिस्टम से तालमेल बनाकर हुजूर एक तीर से कई निशाने साध रहे हैं। देखते रहिए क्या होता है।
फिर से नजर
बिग बी की पुरानी फिल्मों में शातिर विलेन का कैरेक्टर चर्चित होता था। इनके गैंग में कौन-कौन हैं ये तो क्लाइमेक्स में ही पता चल पाता था। ठीक वैसे ही अपने झारखंड में भी पुराने कैसेट बजाने और दिखाने की तैयारी है। पहले इनकी महिमा से पूरा राज्य परिचित था और अब राजपाट बदलने के बाद इनका मन फिर से कुर्सी पर ललचा गया है। एक शातिर ने भरोसा दिलाया है कि बिजली आपके बगैर चलने वाली है नहीं।
वैसे भी वाया झारखंड से उत्तराखंड होते हुए वापस लौटे हैं तो पुरानी बातें भला किसे याद होगी। आइए और सबका साथ, सबका विकास करिए। यही मूलमंत्र है जीवन का, जियो और जीने दो। नजर नहीं लगी तो हुजूर जल्द ही झारखंड में फिर से बिजली का विकास करते नजर आएंगे। करें भी क्यों नहीं। उनके पास जो पुराना अनुभव है उसका फायदा तो सभी उठाना चाहते हैं।
कहां हैं हुजूर
लॉकडाउन में पूरा का पूरा सरकारी महकमा अपनी ताकत झोंक रहा है कोरोना से जंग में। ऊपर से नीचे तक आपाधापी मची है, लेकिन सत्यनिष्ठा की शपथ लेने वाले एक मंत्री जी गायब हैं राजधानी से। सब खोजकर थक गए, लेकिन वे हैं कि अवतरित होने का नाम ही नहीं ले रहे। हुजूर का डर कुछ ऐसा समाया है कोरोना से कि राजधानी छोड़ क्षेत्र में लॉकडाउन हैं।
लोगों ने समझाया भी, आफत का वक्त है थोड़ा तो समय गुजारिए राजधानी में। लेकिन यह क्या, इन्होंने कह दिया कि सब काम हो रहा है तो मेरी क्या जरूरत है। कोरोना से बचेंगे तब न लालबत्ती का मजा लेंगे। हुजूर के जिम्मे मजदूर की चिंता है, लेकिन अब ये अपनी पीड़ा में ही इस कदर उलझे हैं कि बेचारे गरीब किससे गुहार लगाएं। खैर, बुलावा भेजा गया है कि जल्दी आइए। नहीं तो सीआर खराब होने का खतरा है।