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थाना क्षेत्र से इतर भी खरीद सकेंगे आदिवासी भूमि

आदिवासी भूमि की खरीद-बिक्री आदिवासियों के बीच ही किए जाने का सख्त प्रावधान छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम में किया गया है।

By Edited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 11:11 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 01:51 PM (IST)
थाना क्षेत्र से इतर भी खरीद सकेंगे आदिवासी भूमि
थाना क्षेत्र से इतर भी खरीद सकेंगे आदिवासी भूमि

रिपोर्ट विनोद श्रीवास्तव, रांची। आदिवासी भूमि की खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म करने की पिछले दशक भर से चली आ रही कवायद पर अब विराम लगने वाला है। इस मसले पर राय देने के लिए गठित जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) की उप समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार कर ली है। कल्याण मंत्री डा. लुइस मरांडी की अध्यक्षता वाली समिति के सदस्यों की आपसी राय मशविरा के बाद रिपोर्ट सरकार के हवाले कर दिए जाने की तैयारी है।

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आदिवासी भूमि की खरीद-बिक्री आदिवासियों के बीच ही किए जाने का सख्त प्रावधान छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) में किया गया है। इस धारा के तहत क्रेता-विक्रेता दोनों को ही एक ही थाना क्षेत्र का निवासी होना भी जरूरी है। आदिवासी मामलों के जानकारों के अनुसार थाना क्षेत्र की बाध्यता तब प्रासंगिक थी, जब संबंधित थानों का क्षेत्र विशाल था। उन थानों में आज के कई जिले समाहित थे। संबंधित जिलों में आज कई थाने खुल आए हैं, परंतु जमीन की खरीद-बिक्री का वहीं दशकों पुराना कानून प्रभावी है। बहरहाल रिपोर्ट सरकार के हवाले किए जाने के बाद यह मसौदा विधि विभाग और राज्य मंत्रिपरिषद से होते हुए विधानसभा के पटल पर जाएगा। इसके बाद ही यह प्रभावी हो सकेगा। इसके प्रभावी हो जाने के बाद अनुसूचित जनजातियों के समूह के बीच पूरे राज्य में कहीं भी जमीन की खरीद-बिक्री संभव हो सकेंगी।

टीएसी की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री ने गठित की थी उपसमिति
टीएसी की अनुशंसा के बाद मुख्यमंत्री ने इस पर अपनी राय देने के लिए कल्याण मंत्री डा. लुइस मरांडी की अध्यक्षता में उप समिति गठित करने का निर्देश दिया था। बतौर सदस्य विधायक मेनका सरदार और राम कुमार पाहन के अलावा भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व पदाधिकारी जेबी तुबिद उप समिति में शामिल किए गए थे। समिति ने इस मसले पर प्रमंडलवार दौरा कर बुद्धिजीवियों, आदिवासी संगठनों आदि से राय ली थी।

जमीन खरीदने की सशर्त छूट मिलेगी
आदिवासी रैयतों को संबंधित धारा में संशोधन के बाद ऐसा नहीं है कि जनजातीय समूह का कोई भी सदस्य जितना चाहे और जितनी बार चाहे जमीन खरीद ले। सरकार इसका पैमाना तय करेगी। लिहाजा कोई भी व्यक्तिअपने जीवन काल में एक ही बार अपने थाना क्षेत्र से हटकर किसी अन्य थाना क्षेत्र में जमीन खरीद सकेगा। जमीन खरीदने की अधिकतम सीमा क्या होगी, उप समिति बहरहाल इसपर मंथन कर रही है। माना जा रहा है कि सरकार ने जिस तरह महिलाओं को पूरे जीवन काल में अधिकतम 50 लाख रुपये तक की अचल संपत्ति एक रुपये की सलामी पर एक बार खरीदने की छूट दे रखी है, उसी तर्ज पर इसका फार्मूला भी तय होगा। 


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