श्रम अधिकारी का मोबाइल लोकेशन बना आधार, झूठी निकली अपहरण की पूरी कहानी
नामकुम के खरसीदाग चौक से अगवा श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी मनोज कुमार के अपहरण के मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया है।
रांची, जागरण संवाददाता। नामकुम के खरसीदाग चौक से श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी मनोज कुमार अपहरण मामले की पूरी कहानी झूठी निकली है। पुलिस जांच में इस बात का खुलासा हो गया है। पुलिस ने घटना के दिन से लेकर बरामदगी तक का सीडीआर निकाली है।
जिसमें पुलिस को अपहृत मनोज कुमार का जो लोकेशन मिला है। उनके बयान से पूरा विपरित है। पुलिस ने दोबारा भी मनोज कुमार से पूरे मामले में पूछताछ की। मगर, सच्ची कहानी को उजागर नहीं करते हुए बार-बार बयान बदल कर देने लगे।
हालांकि, पुलिस जांच में इस बात का खुलासा हो गया था कि अपहृत मनोज कुमार ने निजी कमजोरी को छिपाने के नियत से इतना बड़ा षड्यंत्र किये थे। अनुसंधानकर्ता को मामला झूठा पाते हुए अंतिम प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश भी दिया गया है।
क्या है मामला
नामकुम के खरसीदाग चौक से 23 मई को श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी मनोज कुमार का अपहरण का मामला सामने आया था। जिसके बाद मामले की जानकारी देर रात पुलिस को दी गई थी। अपहरण की सूचना मिलने के बाद तत्कालीन एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने टीम का गठन कर छापेमारी कराया था। मगर, कोई फायदा नहीं हुआ। वहीं दूसरे दिन स्वंय मनोज कुमार ने पुलिस को अपना लोकेशन बताया और फिर पुलिस मौके पर पहुंच कर उसे थाना लेकर आई। इस मामले में मनोज की पत्नी पुष्पा गुप्ता ने नामकुम थाना में अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
कुछ दिन पूर्व विभागीय ऑफिसर से हुई थी नोंकझोंक
पुष्पा गुप्ता ने पुलिस को बताया कि कुछ दिन पूर्व मनोज की कार्यालय में नोंकझोंक हुई थी। इस कारण वह मानसिक रूप से परेशान थे। कई बार पूछने के बाद मनोज ने बताया था कि विभाग के ऑफिसर दिनेश भगत से बकझक हुई है। जिसके बाद से वह परेशान चल रहे थे।