नक्सली ऐसे करते हैं अफीम की खेती, रांची में 25 एकड़ में फैला है अर्थतंत्र
Opium Farming. रांची के एसएसपी अनिश गुप्ता ने अभियान चलाकर रांची के नामकुम और दशम फॉल क्षेत्र के गांवों में अफीम की खेती को नष्ट कराया।
रांची, जासं। राजधानी रांची में नक्सलियों ने अपने अर्थतंत्र की नींव डाल रखी थी। इस करोड़ों के अर्थतंत्र पर पुलिस ने चोट दी है। नामकुम और दशम फॉल थाना क्षेत्र के जंगली क्षेत्र में करीब 25 एकड़ जमीन पर फैली अफीम की खेती शुक्रवार नष्ट कर दी। एसएसपी अनीश गुप्ता को सूचना मिली थी कि नक्सलियों के संरक्षण में नामकुम के हहाप, सिंगरसराय और उलीडीह के जंगलों में करीब 20 एकड़ जमीन पर अफीम की खेती हुई थी।
इसी तरह दशमफॉल थाना क्षेत्र के जंगल में करीब पांच एकड़ पर अफीम की खेती हुई थी। जिसे पुलिस ने नष्ट कर दिया। इसकी कीमत करोड़ों रुपये होती। अफीम की खेती लगाए जाने पर नामकुम और दशम फॉल थाना में प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है। अफीम की खेती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कड़े सुरक्षा घेरे में किया नष्ट : पुलिस ने जिला बल और सीआरपीएफ के जवानों की कड़े सुरक्षा घेरे में अफीम की फसलों को नष्ट किया। जहां अफीम की खेती लहलहा रही थी, वहां कभी नक्सलियों का गढ़ रह चुका है। इन दिनों फिर नक्सलियों की सक्रियता होने लगी है। नक्सली अफीम की खेती करवा रहे हैं।
किसानों को लालच दे करवा रहे खेती : पुलिस के अनुसार स्थानीय ग्रामीण किसानों और जमीन मालिकों को अधिक मुनाफे का लालच देकर खेती करवाते हैं। कई किसानों के जंगली इलाकों में पडऩे वाली जमीन को नक्सलियों ने लीज पर भी ले रखी है। जमीन देने से मना करने वालों को धमकाया भी जाता है। इस तरह नक्सली अफीम की खेती करवा रहे है। रांची और बुंडू में अफीम की खूब खेती होती है।
तस्करों के लिए झारखंड बेहतर : अफीम तस्करों की नजर में इसकी खेती के लिए झारखंड का जंगली इलाका अच्छा है। झारखंड की मिट्टी और जलवायु अफीम की खेती के लिए बेहतर है। भगौलिक स्थिति भी कारोबारियों को और रास आ रहा है। इसी वजह से अफीम के तस्करों ने नक्सलियों को इसकी खेती की जिम्मेदारी दे रखी है।