ट्रांसफर को तरस रहे साहब... पढ़ें पुलिस महकमे की अंदरुनी खबर DIAL 100
Jharkhand Police Department News. पुलिस विभाग वाले साहब की गाड़ी में बरसों पहले ब्रेक लगी थी। अब आगे बढ़ ही नहीं रही है।
रांची, [दिलीप कुमार]। राजधानी में हेलमेट-टोपी जांचने वाले महकमे के एक बड़े साहब इन दिनों अपने ट्रांसफर को तरस रहे हैं। बरसों पहले इनकी गाड़ी में जहां ब्रेक लगा था, वहां से आगे बढ़ ही नहीं रही। रेड सिग्नल ग्रीन होने को तरस रहा है। जो साथ चले थे, उन्होंने लंबी छलांग लगा ली। सत्ता बदली थी तो साहब बहुत खुश थे। अपने समुदाय से जोड़कर पूरी व्यवस्था को अलग चश्मे से देख रहे थे, लेकिन यह निकला साहब का भ्रम। पता नहीं था कि राजा पुरानी दुश्मनी निकालेगा। राजा ने ऐसी कील ठोकी कि साहब की गाड़ी ही पंक्चर हो गई। बरसों पहले विधानसभा चुनाव के वक्त बुंडू में साहब का राज था, तो दुश्मनी साधी थी। आज राजा का वक्त है, तो यह दिन देखना ही पड़ेगा न। परेशान साहब ने अब राजा की आलोचना शुरू कर दी है। सूचना राजा तक पहुंची है, मुश्किल और बढ़ सकती है।
जुर्म की तलाश
खाकी वाले विभाग के साहब पहले खुफिया सूचनाओं की तलाश करते थे, आज अपने ही जुर्म की तलाश में जुटे हैं। पता कर रहे हैं कि आखिर किस जुर्म में ढाई महीने के भीतर ही खुफियागिरी से हटाकर घर बनाने वाले विभाग में भेज दिया। दूसरों का अपराध पलभर में खोजने वाले तेज तर्रार साहब को 10 दिन बाद भी अपने जुर्म का पता नहीं चला। वे स्तब्ध हैं कि दिनभर पूरी निष्ठा के साथ जिस विभाग का संचालन किया, बैठकें की, अधीनस्थ अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए, शाम में नए असाइनमेंट पर जाने का फरमान पहुंच गया। हालांकि, साहब तक एक उड़ती खबर पहुंची है कि उन्होंने अपने एक सीनियर साथी की फाइल में मदद करने की कोशिश की, जिसकी सजा उन्हें मिली है। मालिक साहब का विभाग में काम बोलता है। यहां भी अपने काम से सबका दिल जीतेंगे।
तू डाल डाल, मैं पात पात
पावर ना हो तो सामने वाले पर अनुशासन का रंग नहीं चढ़ता है। जब खाकी ही अनुशासन तोड़े, तो उसे आप क्या कहेंगे। राज्य में ऐसा ही एक मामला इन दिनों चर्चा में है। करीब दो महीने पहले कोडरमा की कप्तानी संभालने वाले साहब पहले जमशेदपुर में रेल चला रहे थे। बिना ब्रेक की दौड़ रही रेल रेड सिग्नल पर भी नहीं रुकती थी। तब एक मामले में उनकी सीनियर रही रेल वाली मैडम ने आठ बार नोटिस पर नोटिस भेजकर जवाब मांगा। चेताया व धमकाया भी, लेकिन कप्तान साहब भी कम नहीं थे। वे 'तू डाल-डाल तो मैं पात-पात' वाली कहावत पर विश्वास रखते थे। उन्होंने एक भी नोटिस का जवाब नहीं दिया। अब रेल वाले विभाग में ना मैडम हैं, न ही कप्तान साहब। लेकिन, फाइल पहुंच गई है बड़े साहब तक। निर्णय वे ही करेंगे।
लोड घटते ही साहब व्यस्त
खाकी वाले विभाग में ऑपरेशन चलाने वाले एक साहब इन दिनों परेशान चल रहे हैं। रांची में लंबे समय तक कप्तानी पारी खेली, तब चोरों से परेशान रहे, अब ऑपरेशन का औजार मिला तो वर्तमान व्यवस्था ने उन्हें असहज कर दिया। पहले अभियान के साथ-साथ नारद जी के विभाग को भी संभालते थे, हमेशा खुशमिजाज भी रहते थे। अब ये विभाग भी उनके पास नहीं है, अभियान भी कोरोना संक्रमण काल में शिथिल पड़ा है, लोड घट गया है, इसके बावजूद साहब परेशान हैं। अब तो लोड घटने पर भी फोन उठाने से परहेज करते हैं। व्यवहार कुशल और दोस्ताना व्यवहार वाले इस साहब की परेशानी की मुख्य वजह बदली व्यवस्था बताई जा रही है। तनाव में जी रहे साहब के चेहरे पर हवाइयां उड़ती नजर आने लगी हैं, जैसे कोई अदृश्य भय सता रहा हो। परेशान ना हो साहब, सबका समय आता है, आपका भी आएगा।