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CAG Report Jharkhand: केंद्र सरकार के अनुदान से वंचित हुआ झारखंड, बनाया गलत डीपीआर, बिजली उपभोक्ताओं का डेटा तक नहीं

Electricity In Jharkhand नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि झारखंड के दस फीसद गांवों में विद्युतीकरण नहीं हुआ है। यही नहीं सात जिलों की गलत सूचनाएं केंद्र सरकार को दी गईं। यहां धरातल पर नहीं उतर पाई ग्रामीण विद्युतीकरण की योजनाएं।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2022 06:28 AM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2022 06:30 AM (IST)
CAG Report Jharkhand: केंद्र सरकार के अनुदान से वंचित हुआ झारखंड, बनाया गलत डीपीआर, बिजली उपभोक्ताओं का डेटा तक नहीं
CAG Report Jharkhand: कैग रिपोर्ट के अनुसार झारखंड सरकार को बिजली क्षेत्र में काफी नुकसान हुआ है।

रांची, राज्य ब्यूरो। Comptroller And Auditor General Report प्रदेश में अधिकारियों की लापरवाही से ग्रामीण विद्युतीकरण की योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाई। राज्य सरकार को केंद्र के अनुदान से वंचित होना पड़ा। ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए चलाई गई राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना बिजली वितरण निगम की खामियों के कारण पूरी नहीं हो पाई। बिजली वितरण निगम के पास उपभोक्ताओं का डेटा तक नहीं है। रिपोर्ट में निगम के विस्तृत योजना प्रतिवेदन (डीपीआर) पर सवाल खड़ा करते हुए बताया गया है कि सात जिलों चतरा, गढ़वा, लातेहार, पलामू, दुमका, चाईबासा और सिमडेगा की गलत सूचना संवेदकों को दी गई। डीपीआर में इन जिलों के 260 गांवों को विद्युतीकृत और 678 गांव को अविद्युतीकृत बताया गया। इस वजह से योजना पूरी नहीं हो पाई।

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182.68 करोड़ रुपये के अनुदान से झारखंड वंचित

इसके अलावा दुमका और चाईबासा जिले में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की जानकारी केंद्र को मुहैया नहीं कराए जाने और सिमडेगा का विस्तृत योजना प्रतिवेदन अपलोड नहीं करने के कारण झारखंड केंद्र सरकार के 182.68 करोड़ रुपये के अनुदान से वंचित हुआ। चतरा, गढ़वा, लातेहार, पलामू, दुमका, चाईबासा और सिमडेगा में पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य दिसंबर, 2019 तक पूरा कर लेना था। दीनदयाल ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में 7925 गांवों में 819 गांवों में मार्च, 2020 तक विद्युतीकरण नहीं हो पाया। 68417 लाभुकों को बिजली का कनेक्शन नहीं दिया गया।

बिजली कनेक्शन देने में भारी कोताही, घाटा भरने में विफलता

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में जिक्र है कि लक्ष्य पूरा किए योजना को समय से पूर्व बंद कर दिया गया। जिन सात जिलों में योजना संचालित हो रही थी, वहां पांच लाख से अधिक को बिजली का कनेक्शन दिया गया। इसमें मासिक बिल मात्र तीन लाख उपभोक्ता दे रहे हैं। यह भी पाया गया कि बिजली का कनेक्शन देने में दो महीने से लेकर 27 महीने तक बिल देर से मुहैया कराया गया। बिजली वितरण निगम घाटा को भरने में विफल रहा और वर्ष 2019-2020 में घाटा 33.49 प्रतिशत रहा। अगर बिजली वितरण निगम इस घाटे की भरपाई कर लेता तो ऋण अनुदान में तब्दील हो जाता, लेकिन यह नहीं हो पाया।


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