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Kisan Credit Card: क्‍या आप पीएम किसान के हैं लाभुक, इस योजना के भी हैं हकदार; जानें

Kisan Credit Card PM Kisan Samman Nidhi Yojana झारखंड में पीएम किसान के आधे लाभुकों के पास भी केसीसी नहीं है। भारत सरकार का निर्देश है कि पीएम किसान के सभी लाभुकों को केसीसी मुहैया कराना है। डेयरी व मत्स्य से जुड़े किसानों के आवेदन गुम हो जा रहे हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 04:27 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 09:32 AM (IST)
Kisan Credit Card: क्‍या आप पीएम किसान के हैं लाभुक, इस योजना के भी हैं हकदार; जानें
PM Kisan Samman Yojana, Kisan Credit Card निर्देश है कि पीएम किसान के सभी लाभुकों को केसीसी मुहैया कराना है।

रांची, राज्य ब्यूरो। क्‍या आप पीएम किसान सम्‍मान निधि योजना का लाभ ले रहे हैं, तो यह खबर आपके काम की है। आप किसान क्रेडिट कार्ड यानि केसीसी स्‍कीम का फायदा उठा सकते हैं। इसके लिए आप ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। केसीसी के अंतर्गत किसानों को एक क्रेडिट कार्ड मिलता है। इसके माध्यम से वे 1 लाख 60 हजार रुपये तक का लोन ले सकते हैं। किसान क्रेडिट कार्ड पर कम ब्याज पर ऋण मिलता है। किसान क्रेडिट कार्ड स्‍कीम की शुरुआत 1998 में हुई थी। इसके माध्‍यम से किसान अपनी जरूरत के अनुसार आसानी से खेती के लिए लोन ले सकते हैं।

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हालांकि झारखंड में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के सभी लाभुकों को किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया कराने की कोशिशें परवान नहीं चढ़ रहीं है। राज्य सरकार व बैंकों के आंकड़े इसकी पुष्टि कर रहे हैं। अब तक कुल जमा उपलब्ध 43 फीसद के दायरे में सिमटी है। जबकि भारत सरकार का यह सख्त निर्देश है कि पीएम किसान के सभी लाभुकों को हर हाल में केसीसी मुहैया कराना है। डेयरी और मत्स्य से जुड़े किसानों की स्थिति तो और भी खराब है, इन किसानों के आवेदन तक गुम हाे जा रहे हैं।

झारखंड में अब तक की स्थिति का आकलन करें तो पता चलेगा कि राज्य में पीएम किसान योजना के लाभुक किसानों की संख्या करीब 31.85 लाख है, जिसके सापेक्ष केसीसी की संख्या 13.72 लाख है। जाहिर है, पीएम किसान योजना के 18.13 लाख किसान केसीसी से वंचित हैं। राज्य सरकार की ओर से इस बाबत आपत्ति जताई गई।

कृषि विभाग के स्तर से स्पष्ट किया गया है कि पीएम किसान के सभी लाभुकों का डाटा पीएम किसान पोर्टल पर उपलब्ध है। अपलोड डाटा पूरी तरह से प्रमाणिक भी है, ऐसे में बैंकों को उन्हें केसीसी देने में कोई परेशान नहीं होनी चाहिए। पीएम किसान के लाभुकों के लिए लैंड रिकाॅर्ड भी लेने की आवश्यकता नहीं है। हाल ही में हुई एसएलबीसी की बैठक में बैंकों ने इस दिशा में गंभीरता से पहल का भरोसा दिलाया है।

डेयरी व मत्स्य से जुड़े किसानों के आवेदन तक हो जा रहे गुम

डेयरी और मत्स्य पालन से जुड़े किसानों के आवेदन तक गुम हो जा रहे हैं। बात डेयरी की करें तो डेयरी विभाग ने केसीसी के लिए 33 हजार आवेदन बैंकों को भेजे जाने की बात कही थी, जबकि बैंकों द्वारा 21,383 आवेदन स्वीकार होने की ही बात स्वीकारी है। इनमें से केवल 4749 स्वीकृत किए गए हैं और करीब 10 हजार रद किए गए।

इसी प्रकार फिशरी की बात करें तो विभाग द्वारा 19,032 आवेदन भेजने की बात कही गई, जबकि बैंकों ने 11,874 आवेदन प्राप्त होने की सूचना दी। इनमें केवल 1264 स्वीकृत किए गए और 8419 निरस्त हो गए। सरकारी विभाग द्वारा अनुमोदित किए जाने के बावजूद बैंकों के स्तर से आवेदन रद हो रहे हैं, जिस पर गत चार जून को हुई एसएलबीसी की बैठक में भी चिंता जताई गई है। ऐसे मामलों के निपटारे के लिए जिलास्तर पर एक कमेटी बनाकर बैंकों को प्राप्त आवेदनों की जांच का निर्णय भी अब तक लंबित है।


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