रिम्स में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज शुरू
कोविड-19 से स्वस्थ हो चुके लोगों के प्लाज्मा का इस्तेमाल अब अन्य कोरोना संक्रमितों के इलाज में किया जाएगा ताकि उनकी जान बचाई जा सके। इसके लिए अब झारखंड में प्लाज्मा थेरेपी तकनीक का उपयोग शुरू हो गया है।
जागरण संवाददाता रांची : कोरोना के खिलाफ लड़ाई में झारखंड ने एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। कोविड-19 से स्वस्थ हो चुके लोगों के प्लाज्मा का इस्तेमाल अब अन्य कोरोना संक्रमितों के इलाज में किया जाएगा ताकि उनकी जान बचाई जा सके। इसके लिए अब झारखंड में प्लाज्मा थेरेपी तकनीक का उपयोग शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को रिम्स के ब्लड बैंक में प्लाज्मा बैंकिग प्रणाली की शुरुआत करते हुए ये बातें कहीं। इस मौके पर चार वैसे डोनर अपना प्लाज्मा दान करने सामने आए जो कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद स्वस्थ हो चुके हैं। सीएम ने कहा कि प्लाज्मा दान करनेवाले नवयुवक साहसिक और सामाजिक सद्भाव के परिचायक हैं। उन्होंने संबंधित डोनर के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा दान करने वालों को एक हजार रुपये दिए जाएंगे।
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जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभाएं
मुख्यमंत्री ने कोरोना को मात दे चुके लोगों से प्लाज्मा दान करने के लिए आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उनके प्लाज्मा से अन्य मरीजों को ठीक किया जा सकता है। कहा कि आप एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभाएं और कोरोना महामारी के खिलाफ चल रही जंग में सरकार का साथ दें । उन्होंने कहा कि रिम्स में अब विधिवत रूप से प्लाज्मा एकत्रित करने का काम शुरू हो चुका है। इसे अन्य मेडिकल कालेजों तथा अस्पतालों में भी शुरू करने की योजना है। प्लाज्मा दान करने की गति को तेज करने के लिए सरकार सभी समुचित कदम उठाएगी।
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कोरोना मरीजों के इलाज में कारगर साबित हो रही प्लाज्मा थेरेपी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोरोना का संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। अभी तक इसके इलाज के लिए कोई कारगर दवा और वैक्सीन नहीं आई है। ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी से इलाज ज्यादा कारगर होता दिखाई दे रहा है। देश के कई राज्यों में इस तकनीक से कोविड के मरीजों का इलाज हो रहा है। इसी वजह से सरकार ने भी राज्य में इसके इस्तेमाल का निर्णय लिया है। झारखंड ने देश में अलग पहचान बनाई है। इस दिशा में हम सीमित संसाधनों के बूते आगे बढ़ रहे हैं। सभी के सहयोग से हम निश्चित तौर पर कोरोना की जंग जीतने में कामयाब होंगे।
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कोरोना वॉरियर्स को सलाम :
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए कोरोना वॉरियर्स जी जान से जुटे हैं चाहे वे डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल कर्मी, पुलिस और सफाईकर्मी या कोई अन्य हों। इनमें से कई लोग संक्रमित हो चुके हैं लेकिन अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट रहे। सभी कोरोना वॉरियर्स बधाई के पात्र हैं। इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता समेत कई वरीय अफसर मौजूद थे।
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मंत्री मिथिलेश ठाकुर नहीं दे सके प्लाज्मा
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर का आइसीएमआर की गाइडलाइन के तहत प्लाज्मा नहीं लिया गया। डोनर्स सेलेक्शन क्राइटेरिया में उनका नाम शामिल नहीं किया गया। मंत्री एसिप्टोमेटिक श्रेणी में आते थे, जबकि प्लाज्मा देने के लिए जरूरी है कि स्वस्थ मरीज सिप्टोमेटिक हो। यानी कोरोना के दौरान उनमें कुछ लक्षण आए हो ।
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कौन कर सकते हैं प्लाज्मा दान
- मरीज के ठीक होने के 28 दिन बाद सिंप्टोमेटिक या एसिंप्टोमेटिक दोनों से प्लाज्मा लिया जा सकता है।
-जिन्हें किडनी, हार्ट की बीमारी, डायबिटीज, हेपेटाइटिस, एचआईवी और थॉयराइड जैसी अन्य क्रॉनिक बीमारी हो, वे प्लाज्मा दान नहीं कर सकते।
- प्लाज्मा दान के पूर्व उनके स्वास्थ्य की जांच जरूरी है, स्वस्थ लोगों का ही प्लाज्मा लिया जा सकेगा।
-वजन ठीक हो, स्वस्थ हुए मरीज का प्रोटीन लेवल और हिमोग्लोबिन भी बेहतर होना चाहिए।
-जांच रिपोर्ट भी निगेटिव होनी चाहिए,तभी संबंधित व्यक्ति का प्लाज्मा लिया जा सकता है।
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दीपू बना पहला प्लाज्मा डोनेट करने वाला व्यक्ति
दीपू पहला व्यक्ति बना, जिसने रिम्स में प्लाज्मा डोनेट किया। कोकर के रहने वाले दीपू ने बताया कि तीन जून को उसे कोरोना हुआ था। बुखार जैसे लक्षण आने के बाद उसकी जांच हुई। न्यूज चैनलों में प्लाज्मा थेरेपी के बारे में सुन रखा था। तब तक रिम्स से फोन आया कि प्लाज्मा थेरेपी की सेवा शुरू हो रही है। दीपू ने बताया कि उसे काफी खुशी है कि किसी को ठीक करने में उसका प्लाज्मा काम आएगा।
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रिम्स में एक ही एफरेसिस मशीन की है व्यवस्था
फिलहाल रिम्स में एक ही एफरेसिस मशीन की व्यवस्था की गई है। इससे दिन भर में 7 से 8 मरीजों का ही प्लाज्मा लिया जा सकेगा। रिम्स में मौजूदा स्थिति को देखते हुए और भी मशीन की जरूरत है ताकि अधिक से अधिक मरीजों को इसका लाभ मिल सके।
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