रांची, राज्य ब्यूरो। Petrol, Diesel Prices पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि जहां आम लोगों को हैरान-परेशान करती है, वहीं इसकी बढ़ी दरें सरकार की कमाई का बड़ा साधन बनती हैं। पेट्रोल और डीजल पर केंद्र से लेकर राज्य सरकार द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स से दोनों ही सरकारों को राजस्व की खासी आमद होती है। यही वजह रही कि पिछले महीने लखनऊ में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का खुला विरोध किया था।
बात झारखंड की करें तो यहां पेट्रोल और डीजल दोनों पर ही 22 प्रतिशत वैट के अलावा एक रुपये प्रति लीटर सेस वसूला जाता है। वैट प्रतिशत में होने के कारण कीमतों में जितनी वृद्धि होती है, सरकार की कमाई उतनी ही बढ़ती है। वैसे तो वैट के टैक्स का गणित थोड़ा उलझा हुआ है, लेकिन मोटे तौर पर समझे तो कीमत 100 रुपये होने पर सरकार को 22 रुपये मिलेंगे और 90 रुपये होने पर 19.80 रुपये।
सरकार को हाल के महीनों में वैट से हुई आमद इस बात की पुष्टि कर रही है। सितंबर माह में राज्य सरकार की झोली में वैट के मद में 420 करोड़ आए, जबकि वर्ष 2020 में सितंबर माह में महज 343 करोड़ आए थे। अगस्त का डाटा भी कुछ ऐसा ही बताता है। अगस्त-2021 में वैट से सरकार को 456.49 करोड़ की आमद हुई, वहीं अगस्त-2020 में 394.56 करोड़ आए थे।
गत वित्तीय वर्ष के सापेक्ष हाल के महीनों में वैट के मद में आया राजस्व 15-20 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शा रहा है तो इसकी मूल वजह पेट्रोल, डीजल के साथ रसोई गैस में वसूला जाने वाला वैट है। हालांकि झारखंड में वैट की दरें अन्य राज्यों के सापेक्ष संतोषजनक हैं। पड़ोसी राज्यों में वैट की दरें 25 से 32 प्रतिशत हैं।
स्कूलों के विलय पर मांगी रिपोर्ट
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने पिछली सरकार में स्कूलों के विलय किए जाने के बाद स्कूलों के बंद होने पर सभी उपायुक्तों से रिपोर्ट मांगी है। विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा है कि कोरोना थमने के बाद ही सभी उपायुक्तों से इसपर रिपोर्ट मांगी गई है। उपायुक्तों से पूछा गया है कि पूर्व में किन वजहों से स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया। यह भी पूछा गया है कि जब स्कूल की स्थापना हुई थी तो उसकी क्या वजह थी तथा स्कूलों को फिर से खोले जाने की कितनी आवश्यकता है। बता दें कि मंत्री कई मौके पर बंद स्कूलों को फिर से खोलने की बात कह चुके हैं।
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