विधानसभा में नमाज कक्ष आवंटन मामला झारखंड हाई कोर्ट पहुंचा, स्पीकर का आदेश रद करने की मांग
Jharkhand Vidhan Sabha News Hindi Samachar प्रार्थी भैरव सिंह की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि याचिका में विधानसभा अध्यक्ष को नमाज के लिए कक्ष आवंटित करने का अधिकार नहीं है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड विधानसभा में नमाज कक्ष आवंटन का मुद्दा दिन प्रतिदिन जोर पकड़ता जा रहा है। मंगलवार को यह मामला झारखंड हाई कोर्ट पहुंच गया। इस संबंध में सीएम हेमंत सोरेन के काफिले के आरोपित प्रार्थी भैरव सिंह की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर विधानसभा स्पीकर के आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है।
उनकी ओर से याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि विधानसभा परिसर में किसी धर्म विशेष के लिए कक्ष आवंटित करना विधानसभा स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। इसके पीछे 42वें संविधान संशोधन का हवाला दिया गया है। अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि संविधान में हुए संशोधन के दौरान जब धर्मनिरपेक्षता का मामला जोड़ा गया, तो उसके बाद से राज्य सरकार न तो किसी धर्म को बढ़ाने के लिए कोई कार्य कर सकती है और न ही उसे संरक्षित करने के लिए कुछ कर सकती है।
विधानसभा भवन जनता के पैसों से बना है, ऐसे में स्पीकर की ओर से वहां किसी धर्म विशेष के लिए कक्ष आवंटित करना गलत और असंवैधानिक है। इस आदेश को निरस्त करने की मांग अदालत से की गई है। देखना यह होगा कि कोर्ट इस मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार करती है या खारिज करती है।
रिश्वत लेने के आरोपित सहायक अभियंता वरुण रंजन को नहीं मिली जमानत
एसीबी के विशेष न्यायाधीश प्रकाश झा की अदालत ने रिश्वत लेने के आरोपित भरनो गुमला के सहायक अभियंता वरुण कुमार रंजन की जमानत याचिका सुनवाई हुई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने जमानत खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने जमानत देने का अनुरोध किया। जबकि एसीबी के विशेष लोक अभियोजक एके गुप्ता ने इसका विरोध किया। कहा कि एसीबी टीम ने रिश्वत लेते 18 अगस्त को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।
वह प्रमोद नायक नामक व्यक्ति से रिश्वत ले रहा था। मनरेगा योजना के तहत कूप निर्माण के लिए 3.83 लाख कार्यादेश मिला था। काम पूरा होने पर उसको 1.45 लाख का भुगतान मिला था। शेष 2.38 लाख के भुगतान के लिए जब सहायक अभियंता वरुण रंजन से मिला, तो कहा कि जब तक 30 हजार रुपये नहीं दोगे, तब तक एनबी बुक में इंट्री नहीं करेंगे। इसके बाद अदालत ने सहायक अभियंता वरुण रंजन की जमानत याचिका खारिज कर दी।