इनसे सीखें कैसे हारेगा कोरोना: एक ही गांव में रहते हैं लेकिन मोबाइल से करते हैं बात
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर अब प्रत्येक व्यक्ति सतर्क नजर आ रहा है। यहां तक की गांव में भी लोग खुद को सुरक्षित रख रहे हैं। सुबह के 10 बजते ही गली-मोहल्लाें में सन्नाटा छा जाता है। लोग बाल-बच्चों के साथ अपना ज्यादा समय घर पर बीता रहे हैं।
कैरो (लोहरदगा), संसू । कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर अब प्रत्येक व्यक्ति सतर्क नजर आ रहा है। यहां तक की गांव में भी लोग खुद को सुरक्षित रख रहे हैं। सुबह के 10 बजते ही गली-मोहल्लाें में सन्नाटा छा जाता है। लोग बाल-बच्चों के साथ अपना ज्यादा समय घर पर ही बीता रहे हैं। ऐसे में लोगों को अपने रिश्तेदार व पड़ोसियों से नजदीकियां बनाने में मोबाइल की अहम भूमिका है। लोग मोबाइल से बातचीत कर अपनों का हाल जान रहे हैं। कैरो के विराजपुर गांव का भी यही हाल है। गांव के लोग अधिकतर समय अपने-अपने घरों में व्यतीत कर रहे हैं।
लोगों के लिए मोबाइल साथी बना हुआ है। पहले की तरह आब गांवों में जमावड़ा या चौपाल नहीं लग रहा है। गांव के लोग संक्रमण से बचाव को ले काफी सतर्क हैं। घर से जब भी वे बाहर निकलते हैं तो मास्क पहनकर ही निकलते हैं। इससे पता चलता है कि कोविड-19 के संक्रमण से बचाव को लेकर लोग किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ रहे हैं। शत-प्रतिशत आदिवासी बहुल विराजपुर गांव के लोगों में काफी जागरूकता बढ़ी है।
ग्रामीण बताते हैं कि गांव में अगर कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश कर गया तो उससे दूरी बनाकर बात किया जाता है। हालांकि बाहरी लोग गांव में नहीं के बराबर आ रहे हैं। गांव के गली-मुहल्लों को भी साफ-सुथरा रखा जा रहा है। ग्रामीण दीपक उरांव, परमेश्वर उरांव व परदेशी उरांव का कहना है कि गांव में संक्रमण से बचने के लिए लोग बाहर नहीं निकलते हैं। अति आवश्यक कार्य पड़ता है तभी लोग बाहर जाते हैं।