Coronavirus Tips: नीम के पेड़ पर प्राणशक्ति खोज रहे, कोरोना से बचाव को गिलोय का ले रहे सहारा
Jharkhand Coronavirus News. नीम के पेड़ पर लगा गिलोय ज्यादा कारगर है और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। झारखंड के पाकुड़ शहर के कई स्थानों पर गिलोय आसानी से मिल जाते हैं।
पाकुड़, [गणेश पांडेय]। गिलोय सदैव ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। कोरोना महामारी के इस काल में लोग गिलोय की ओर ज्यादा खींचे चले जा रहे हैं। और इसके लिए लोग नीम के पेड़ की ओर आस भरी नजरों से देख रहे हैं। दरअसल गिलोय (जीवंतिका) एक औषधीय पौधा है। यह नीम और आम पेड़ के आसपास मिलती है। यह जिस वृक्ष को अपना आधार बनाती है, उसके गुण भी इसमें समाहित हो जाते हैं।
इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस पौधे के सेवन से मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। शहर के अधिकतर लोग सुबह-सुबह टहलने निकलते हैं और नीम के पौधे पर गिलोय की खोज में जुट जाते हैं। महिलाएं भी मार्निंग वाक के बहाने झाड़ियों में गिलोय खोजती नजर आ जाती हैं। जिस गिलोय को लोग पूछते नहीं थे, पहचानते नहीं थे, आज उसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।
पाकुड़ शहर के कई लोग बिजली कॉलोनी, सिंचाई विभाग की चारदीवारी, नगर थाना की चारदीवारी, शिव-शीतला मंदिर पथ, केकेएक कॉलेज के आसपास, धनुष पूजा, चर्च रोड पहुंच कर गिलोय को ढूंढते नजर आ रहे हैं। गिलोय का पौधा सिंचाई विभाग व बिजली कॉलोनी की चारदीवारी के अंदर स्थित नीम के पेड़ों पर भी आसानी से उपलब्ध है।
शहर के संजय कुमार चौबे, राहुल, समीर दास, तरूण साह, कृष्णा दुबे, मनोज ठाकुर, कृष्णा शर्मा का कहना है कि वे प्रतिदिन गिलोय की खोज में निकल पड़ते हैं। गिलोय ले जाकर आसपास के लोगों के बीच बांटते भी हैं। लोगों ने कहा कि गिलोय का सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हाेती है।
कैसे करें सेवन
पतंजलि योग समिति के अध्यक्ष व पतंजलि दवा विक्रेता संजय शुक्ला के अनुसार गिलोय का सेवन करने का कई तरीका है। इसे सूखाकर काढ़ा बनाकर पीया जा सकता है। इससे भी इम्युनिटी बढ़ती है। रात में चार पत्ते गिलोय तोड़कर पानी में फूलने दे दें तथा सुबह खाली पेट में उसे छान कर पी लें। इससे भी काफी फायदा पहुंचता है। तीन महीने तक प्रतिदिन इसका सेवन किया जा सकता है। गिलोय के सेवन से न सिर्फ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, बल्कि कई बीमारी भी ठीक हो जाती है।
करिश्माई है नीम पर चढ़ी गिलोय
नीम का पत्ता काफी कड़वा होता है, परंतु इसके बाद भी लोग नीम के पत्ते का सेवन करते हैं। नीम स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। इसे कल्प वृक्ष भी कहा जाता है। नीम का प्रयोग घाव, चर्मरोग में अधिक होता है। इसके अलावा भी कई रोगों के इलाज में नीम काफी लाभकारी है। नीम पर चढ़ी गिलोय रामबाण से कम नहीं है। गिलोय नीम के गुणों को अवशोषित कर लेती है। इससे गिलोय और भी गुणकारी हो जाता है। यही कारण है कि कोरोना काल में लोग नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की खोज कर रहे हैं।
'गिलोय व नीम दोनों ही औषधीय पौधे हैं। नीम के पेड़ पर पाए जाने वाली गिलोय का महत्व काफी है। गिलोय नीम के गुणों को अवशोषित कर लेती है। नीम के पेड़ पर पाए जाने वाले गिलोय का सेवन करने से कई तरह की बीमारियां भाग जाती हैं।' -डा. प्रसन्नजीत मुखर्जी, एचओडी, वनस्पति विज्ञान, केकेएम कॉलेज, पाकुड़।