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Pathalgadi Case: कोर्ट की सहमति से ही मुकदमा वापस ले सकती है राज्य सरकार

Pathalgadi Case पत्थलगड़ी से जुड़े मुकदमे वापस लेने की घोषणा सरकार ने की है। इसके साथ ही सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ हुए आंदोलन का भी केस वापस होगा।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 09:15 AM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 12:33 PM (IST)
Pathalgadi Case: कोर्ट की सहमति से ही मुकदमा वापस ले सकती है राज्य सरकार
Pathalgadi Case: कोर्ट की सहमति से ही मुकदमा वापस ले सकती है राज्य सरकार

रांची, राज्य ब्यूरो। Pathalgadi Case मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत सोरेन ने अपनी पहली कैबिनेट में पत्थलगड़ी के दौरान दर्ज किए गए देशद्रोह सहित अन्य मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया है। कानून के जानकारों की मानें तो सरकार को इस तरह के मामलों को वापस लेने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए अदालत की सहमति लेनी होगी। सीआरपीसी की धारा 321 के तहत मुकदमों को वापस लेने के लिए सरकारी वकील के जरिए निचली अदालत में आवेदन देेना होगा। कोर्ट की सहमति के बाद ही मुकदमा वापस किया जा सकता है। यह प्रक्रिया अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने से पहले करनी होती है। कानूनी जानकारों का यह भी कहना था कि सरकार सिर्फ देशद्रोह या फिर पूरे मामलों को भी वापस ले सकती है। इसके लिए भी उन्हें अदालती प्रक्रिया पूरी करनी होगी। 

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पत्थलगड़ी समर्थक हैं सलाखों के भीतर 

पत्थलगड़ी से संबंधित मुकदमे खूंटी व सरायकेला जिले में हैं। इसमें दर्जनभर से ज्यादा लोग जेल में बंद हैं। इनपर पूर्व में ही देशद्रोह का मुकदमा चलाने की स्वीकृति मिल चुकी है। खूंटी व सरायकेला के कुछ गांवों में ताबड़तोड़ पत्थलगड़ी हुई थी। तत्कालीन रघुवर सरकार ने इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी। मुकदमे सरकार, सरकारी अधिकारी के कानूनी आदेश व निर्देश को नहीं मानने, विधि-व्यवस्था को अपने हाथों में लेने, अपना बैंक खोलने की कोशिश करने व अपना सिक्का चलाने की भी पत्थलगड़ी समर्थकों ने कोशिश की थी। इसी मामले में पुलिस-प्रशासन ने सख्ती बरती थी और देशद्रोह सहित अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की थी। पत्थलगड़ी समर्थकों पर समानांतर सरकार चलाने, ग्राम सभा की गलत व्याख्या करने, सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं लेने के लिए दबाव बनाने का आरोप है। इसके अलावा यह भी आरोप है कि संविधान की पांचवीं अनुसूची की गलत व्याख्या कर ग्राम सभा को सरकार के विरुद्ध भड़काया जा रहा है। गांवों में पत्थलगड़ी कर उक्त क्षेत्रों में पुलिस-प्रशासन को जाने से रोका जा रहा है।  

अराजक तत्व हो गए थे सक्रिय 

पत्थलगड़ी वाले इलाकों में पुलिस और प्रशासन के प्रवेश पर पाबंदी का लाभ अराजक तत्वों ने उठाया था। जब ये आंदोलन चरम पर था तो खूंटी, सरायकेला के कई गांवों में उग्रवादियों और अराजक तत्वों की शह पर अफीम की फसल उगाई जाने लगी थी। यहां अपराध के मामले भी बढ़ गए थे। कई बार ऐसा भी हुआ जब डीसी, एसपी और पुलिसकर्मियों को इन इलाकों में बंधक बनाया गया। खूंटी के कोचांग में स्वयंसेवी संस्था से जुड़ी तीन महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म की भी घटना घटी थी। 

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