जागरण संवादाता, रांची। निम्न और मध्यम वर्ग के यात्रियों को कम किराये में एसी की सुविधा देने के लिए गरीब रथ की शुरुआत की गई थी लेकिन अब गरीब रथ में सेवाएं भी अब ‘गरीब’ होने लगी है। कुछ यही हालात है रांची से दिल्ली जाने वाली ट्रेन गरीब रथ का, जिसमें सभी सेवाएं निम्न दर्जे की हैं।

यात्री बेहतर सुविधा की उम्मीद में गरीब रथ का टिकट लेते हैं। जिससे लंबा सफर आसानी से कट जाए लेकिन अब गरीब रथ में यात्रा करने वाले यात्री परेशान हैं। यात्रियों का कहना है कि ट्रेन में कॉकरोच और चूहों का आतंक है। जबकि पेस्ट कंट्रोल के लिए रांची रेल मंडल में 80 लाख रुपये तीन साल में खर्च किए जाते हैं।

यही हाल बेडरोल का है। इस ट्रेन में सफर करने वाले लोगों का कहना है कि बेडरोल भी काफी गंदा और पुराना मिलता है। फटा हुआ मिलता है। कंबल भी बदबूदार है। यात्रियों ने बताया कि जब बेडरोल और कंबल बदलने को बोला जाता है तो कोच अटेंडेट कंबल की सीमित संख्या बताकर असमर्थता जता देता है।

एक यात्री ने कहा कि बोगी में भी गंदगी पसरी रहती है। ट्रेन में टीटीई को शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है। वह भी पल्ला झाड़ देते हैं। शौचालय की छत से लगातार पानी भी टपकता रहता है। जिसकी मरम्मत नहीं गई है। ट्रेन में खाने की गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जाता है। कई बार यात्री की ओर से खाने की रसीद मांगे जाने पर कैटरर के कर्मी यात्री से लड़ जाते हैं।

गरीब रथ के अंदर बोगी में इतनी गंदगी पसरी है कि वहां बैठना मुश्किल है लेकिन कोई सफाई नहीं होती। यात्री मजबूरी में गंदगी में यात्रा करने को मजबूर हैं।

डीआरएम बोले-होगी जांच

रांची रेल मंडल डीआरएम प्रदीप गुप्ता ने कहा कि अगर ऐसी समस्या यात्रियों को हो रही है तो मामले को गंभीरता से लिया जाएगा और मामले की जांच की की जाएगी। लापरवाही बरतने पर नियम संगत कार्रवाई भी की जाएगी।

बता दें कि रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने साल 2006 में गरीब रथ ट्रेनों की शुरुआत की थी। भारत में अभी कुल 26 जोड़ी गरीब रथ ट्रेनें चलाई जाती हैं। गरीब रथ की शुरुआत निम्न और मध्यम वर्ग के यात्रियों को कम किराये में एसी की सुविधा देने के लिए की गई थी लेकिन इस ट्रेन के भी हाल-बेहाल है।

Edited By: Roma Ragini