झारखंड के कई क्षेत्रों में उग्रवादियों की चल रही सरकार, हेमंत सोरेन पर बरसे बाबूलाल मरांडी
Jharkhand Politics पश्चिम सिंंहभूम के चक्रधरपुर की घटना को लेकर भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार पर साधा निशाना। कहा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन या तो उग्रवादियों से डरे हुए हैं या घिरे हुए।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड के पश्चिम सिंंहभूम जिले के चक्रधरपुर के गोइलकेरा में दो दिनों पहले पूर्व विधायक गुरुचरण नायक पर हुए नक्सली हमले की घटना को लेकर भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है। गुरुवार को रांची में भाजपा प्रदेश मुख्यालय में मीडिया से बातचीत में बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि राज्य के कुछ क्षेत्रों में उग्रवादियों की समानांतर सरकार चल रही है। उग्रवादियों का राज चल रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी या तो उग्रवादियों से डरे हुए हैं या घिरे हुए। यह भी कहा कि मुख्यमंत्री यदि डरे हुए नहीं हैं तो उग्रवादियों पर काबू पाएं। सीएम को यह बताना चाहिए।
बाबूलाल मरांडी ने कहा- पुलिस बेबस और लाचार
बाबूलाल मरांडी ने चार दिसंबर की घटना और उसके एक दिन बाद घटनास्थल का दौरा किए जाने से जुड़े अपने अनुभवों को मीडिया से साझा किया। स्पष्ट कहा कि पुलिस बेबस और लाचार है। कहा, चार तारीख की शाम सोनुवा में जिस जगह घटना घटी वह मुख्य सड़क से मात्र डेढ़ किमी दूर है। वहां दो पुलिस कर्मी स्पॉट पर मार दिए जाते हैं। गांव वालों के बीच उग्रवादी एलान करते हैं कि हम लोग एमसीसी वाले हैं। पूर्व विधायक और गांव वाले भी किसी तरह बचकर भागते हैं। कहां, यह एक घटना थी लेकिन उससे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि पुलिस को यह जानकारी मिलने के बाद भी कोई मारे गए पुलिसकर्मियों की लाश उठाने तक नहीं जाता है। आप समझ सकते हैं कि इस प्रदेश के क्या हालात हैं। पुलिसवाले अपने परिवार के सदस्यों की लाश तक उठाने नहीं जाते हैं। वह भी उस स्थिति में जब महज मुख्य सड़क से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर गांव है। कोई जंगल नहीं, एक तरह से मैदानी इलाका है। दूसरे दिन पुलिस जाकर लाश उठाती है। सवाल उठाया कि या तो पुलिस कायर है, या उस इलाके की स्थिति भयावाह है।
कहा- ऐसे तो उग्रवादियों के हौसले और बुलंद हो जाएंगे
बाबूलाल ने कहा कि हमें घटना की जानकारी मिली तो हमने वहां जाने का प्रोग्राम बनाया। जब हम वहां गए, तो हमें रोक दिया गया। डीएसपी आकर खड़े हो गए कि सुरक्षा कारणों से आपको नहीं जाने दे सकते। तब हमने कहा कि आप समझ सकते हैं कि यदि हम यहां से लौट गए तो क्या संदेश जाएगा। उस इलाके में लोग और डर जाएंगे। उग्रवादियों के हौसले और बुलंद हो जाएंगे। पुलिस की छवि भी खराब होगी। बाबूलाल ने कहा कि इसके बाद हमने डीजीपी से बात की। वहां हम दो घंटे बैठे रहे, तब कहा गया कि आप जा सकते हैं। हम सोनुवा तक गए हमने लोगों से बात की। वहां जाने के बाद पता चला कि उस क्षेत्र में उग्रवादियों की समानांतर सरकार चल रही है। बाबूलाल ने उस क्षेत्र में नवंबर और दिसंबर में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए बताया कि उग्रवादी दिन में हथियार लेकर घूमते हैं। कहा, राज्य के यही हालात हैं। हमारे लौटने के क्रम में भी पुलिस हमसे कहती है कि आप चौका के रास्ते से न लौटें। इससे पता चलता है कि राज्य की पुलिए डरी हुई है। पुलिस यदि इतनी ही डरपोक है तो वैसे पुलिसवालों को उस जगह पर पदस्थापित नहीं करना चाहिए। आज जब पुलिस के पास लैंड माइंस वैकिल हैं, फोर्स है तब यह स्थिति है।
राज्य में गुंडों, माफियाओं और उग्रवादियों की चल रही सरकार
बाबूलाल मरांडी ने सिमडेगा की घटना का भी जिक्र किया। कहा, राज्य में गुंडों, माफियाओं और उग्रवादियों की सरकार चल रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन या तो डरे हुए हैं या ऐसे लोगों से घिरे हुए। पुलिस को भी जो काम करना चाहिए उसे छोड़कर टूल की तरह इस्तेमाल हो रही है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में उसका इस्तेमाल हो रहा है।