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इधर पोषण माह अभियान में बेहतरीन प्रदर्शन, उधर आंगनबाड़ी केंद्रों से डब्बा बंद पोषाहार गायब

राज्य के 38432 आंगनबाड़ी केंद्रों पर डब्बा बंद पोषाहार की आपूर्ति साढ़े तीन महीने से बंद है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 01:12 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 01:12 PM (IST)
इधर पोषण माह अभियान में बेहतरीन प्रदर्शन, उधर आंगनबाड़ी केंद्रों से डब्बा बंद पोषाहार गायब
इधर पोषण माह अभियान में बेहतरीन प्रदर्शन, उधर आंगनबाड़ी केंद्रों से डब्बा बंद पोषाहार गायब

रांची, विनोद श्रीवास्तव। पोषण माह अभियान में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले झारखंड में अधिकारियों की लापरवाही से पोषाहार कार्यक्रम की स्थिति निराशाजनक हो गई है। राज्य के 38432 आंगनबाड़ी केंद्रों पर डब्बा बंद पोषाहार (रेडी टू इट) की आपूर्ति पिछले साढ़े तीन महीने से बंद है। इसका कारण पोषाहार की आपूर्ति के लिए एजेंसियों का चयन नहीं हो पाना है।

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पोषाहार की आपूर्ति झारखंड में तीन कंपनियों द्वारा की जाती थी, जिसका करार पिछले साल जून महीने में ही समाप्त हो चुका है। वैकल्पिक व्यवस्था न हो पाने पर सरकार ने इन कंपनियों को तीन बार तीन-तीन महीने का एक्सटेंशन दिया। एक्सटेंशन की यह अवधि भी मार्च में समाप्त हो गई है। इसके बाद के एक-दो महीने तक बचे हुए पोषाहार से कुछ हजार केंद्रों पर किसी तरह इसकी आपूर्ति जारी रही। पिछले तीन-चार महीने से रेडी टू इट पोषाहार की आपूर्ति बंद है।

टेंडर फाइनल नहीं होने से व्हीट  बेस्ड न्यूट्रीशन प्रोग्राम के तहत भारतीय खाद्य निगम से चालू वित्तीय वर्ष की द्वितीय तिमाही के लिए आवंटित 10000 मीट्रिक टन (एमटी) गेहूं का उठाव करने से महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग ने असमर्थता जता दी है। विभाग ने निगम से गेहूं के उठाव की अवधि विस्तार की अनुशंसा की है।

क्या है पूरक पोषाहार कार्यक्रम : पूरक पोषाहार कार्यकम के तहत तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को बतौर नाश्ता सुबह में तीन दिन दलिया और तीन दिन अंडा (अंडा नहीं खाने वाले बच्चों को फल) देने का प्रावधान है। दोपहर में बच्चों को हॉट कुक मील के तहत खिचड़ी देने का प्रावधान है। सात माह से तीन साल तक के बच्चों के अलावा गर्भवती और धातृ महिलाओं के लिए रेडी टू इट का प्रावधान है। इस योजना से राज्य के लगभग 16 लाख लाभुक जुड़े हुए हैं।

ग्राउंड रिपोर्ट : पोषाहार आपूर्ति की जमीनी हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण को पड़ताल में जानकारी मिली कि दुमका में मई महीने से आरटीई का वितरण बंद है। हॉट कुक मील के तहत चावल की आपूर्ति प्रति बच्चा 80 ग्राम से कम की जा रही है। लातेहार, गढ़वा और पलामू में जून से आरटीई का वितरण बंद है। हॉट कुक मील के तहत दाल, सोयाबीन, रिफाइन आदि का पेमेंट नहीं होने से दुकानदार उधार देने से कतरा रहे हैं, नतीजन हॉट कुक मील भी प्रभावित हो रहा है। हजारीबाग स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों पर आरटीई की आपूर्ति जून-जुलाई से बंद है। हॉट कुक मील के लिए तीन महीने से चावल की आपूर्ति नहीं हुई है। मानदेय भी समय पर नहीं मिल रहा है। रांची के कई आंगनबाड़ी केंद्रों पर पांच-छह महीने से चावल की आपूर्ति नहीं की गई है।

कहां फंसा है टेंडर का पेच : टेंडर में लेटलतीफी की मूल वजह सुप्रीम कोर्ट की उस नसीहत को दी जा रही है, जिसमें उसने पोषाहार की आपूर्ति महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से सुनिश्चित कराने को कहा था। अलबत्ता यह सिर्फ नसीहत थी न कि बाध्यता। इससे विभागीय अधिकारियों ने इस नसीहत को आजमाने की कड़ी में ग्रामीण विकास विभाग के साथ बैठकें की, परंतु पोषाहार निर्माण से लेकर आपूर्ति तक में महिला एसएचजी का सांगठनिक ढांचा और आर्थिक स्थिति आड़े आने लगी।

विभागीय सूत्रों के अनुसार यूनिसेफ के स्वास्थ्य मानकों तथा स्वच्छता के पैमाने पर एसएचजी स्तर पर न तो पोषाहार की पैकेजिंग संभव थी और न ही वितरण। इस उधेड़बुन में आपूर्तिकर्ताओं को तीन बार एक्सटेंशन दिया गया। चूंकि चौथी बार एक्सटेंशन देने का प्रावधान नहीं है, नतीजतन टेंडर ही एकमात्र विकल्प है। महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग ने इस बाबत टेंडर भी किया है, परंतु उसे अबतक फाइनल नहीं किया जा सका है।

एजी को भेजी गई है फाइल : टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। इससे संबंधित फाइल एजी को भेजी गई है। शीघ्र ही राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों पर आपूर्ति सामान्य हो जाने की संभावना  है। - मनोज कुमार निदेशक, महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग।


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