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नौ माह इंग्लैंड में करोना संक्रमितों की डा. प्रकाश ने की सेवा

आप्रवासी भारतीय ---------------- - कहा खुद को झारखंडी कहते महसूस करते हैं गर्व - हे

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jan 2021 06:10 AM (IST)Updated: Sat, 09 Jan 2021 06:10 AM (IST)
नौ माह इंग्लैंड में करोना संक्रमितों की डा. प्रकाश ने की सेवा
नौ माह इंग्लैंड में करोना संक्रमितों की डा. प्रकाश ने की सेवा

आप्रवासी भारतीय

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- कहा, खुद को झारखंडी कहते महसूस करते हैं गर्व

- हेल्थ एडवाइस और बेहतरीन कार्य के लिए केंद्र ने किया था सम्मानित

- सेवानिवृत्त होने के बाद राजधानी रांची में अस्पताल खोलने की है योजना मधुरेश नारायण, रांची : राजधानी रांची के रहनेवाले डा. प्रकाश सहाय अपनी सेवा के जरिए इंग्लैंड में झारखंड का नाम रोशन कर चुके हैं। लगातार नौ माह कोरोना संक्रमितों की सेवा में जुटे रहने के कारण न सिर्फ वे सुर्खियों में आए, बल्कि भारत की सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया। कोविड केयर के लिए हेल्थ एडवाइस और बेहतरीन कार्य के लिए यह सम्मान दिया गया था।

डा. प्रकाश कहते हैं कि दिल में आज भी झारखंड और भारत बसता है। इंग्लैंड के बर्मिंघम में रहते हुए भी वहां भारतीयों से जुड़े रहने के लिए इंडिया क्लब जाना नहीं भूलते हैं। वर्ष में एक बार सपरिवार रांची की यात्रा तो अनिवार्य समझिए। वे बताते हैं कि रांची के प्लाजा चौक पर उनका घर है। वहां परिवार के अन्य लोग अब भी रह रहे हैं। पिता बीबी सहाय पुलिस विभाग में अधिकारी थे। उनके नाम पर आज भी तीन स्पेशल पुलिस अवार्ड दिए जाते हैं। रांची छोड़े करीब 30 वर्ष हो गए। मगर आज भी मन में रांची की यादें जीवंत हैं। झारखंड में किसी स्थान पर रह रहे अपने दोस्तों के वह मिलने जरूर जाते हैं।

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बेटा राहुल सहाय भी है नेशनल हेल्थ स्कीम का प्रमुख

डा.प्रकाश सहाय के अनुसार, उनका बेटा डा. राहुल सहाय भी भारत का नाम विदेश में रोशन कर रहा है। पेशे से चिकित्सक है। वर्तमान में जनरल प्रैक्टिशनर होने के साथ ही इंग्लैंड के नेशनल हेल्थ स्कीम का हेड भी है। दामाद डा. आनंद ऋषि इंग्लैंड में कोविड वैक्सीनेशन के लिए बने क्लीनिकल कमिशनिंग ग्रुप के चेयरमैन हैं। डा. प्रकाश सहाय बताते हैं कि परिवार को झारखंडी कहते हुए काफी गर्व होता है।

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भारत आने पर फ्री में करते हैं लोगों का इलाज

डा. प्रकाश सहाय बताते हैं कि रांची आने के बाद जितने दिन घर पर रहते हैं, लोगों का इलाज फ्री में करते हैं। कई बार उनके पास ऐसे लोग भी आते हैं जिनके पास दवा खरीदने के पैसे नहीं होते। उनके लिए दवा का भी इंतजाम करते हैं। ऐसा कर अपनी मिट्टी को थोड़ा-बहुत लौटाने की कोशिश करते हैं। इसमें बेटा भी साथ देता है। वह सेवानिवृत्त होने के बाद रांची में लोगों की मदद के लिए एक अस्पताल खोलने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसा अस्पताल जहां हर वर्ग के लोग कम पैसे में बेहतर इलाज की सुविधा उठा सकें।


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