Move to Jagran APP

Jharkhand Police में आउटसोर्सिंग, पहरेदारी-जांच को छोड़ सबकुछ निजी हाथों में सौंपने की तैयारी Special Report

रांची में पुलिस सुधार की दिशा में केंद्र से मिले 58 बिंदुओं पर डीजीपी ने बैठक की। जिसमें ड्राइविंग समन-वारंट तामिला से पुलिस को मुक्त करने पर सहमति बनी।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 01:05 PM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 01:29 PM (IST)
Jharkhand Police में आउटसोर्सिंग, पहरेदारी-जांच को छोड़ सबकुछ निजी हाथों में सौंपने की तैयारी Special Report
Jharkhand Police में आउटसोर्सिंग, पहरेदारी-जांच को छोड़ सबकुछ निजी हाथों में सौंपने की तैयारी Special Report

रांची, राज्य ब्यूरो। पुलिस के जो मूल कर्तव्य है, कोर पुलिसिंग है, उसे छोड़कर पुलिस के जो शेष दायित्व हैं उसे आउटसोर्स के माध्यम से कराया जा सकता है। ऐसा करने से पुलिस तनाव मुक्त होकर अपने मूल काम को पूरी मुस्तैदी के साथ करेगी। पुलिस सुधार के इन्हीं सभी बिंदुओं पर पुलिस मुख्यालय में डीजीपी कमल नयन चौबे की अध्यक्षता में बैठक हुई।

loksabha election banner

बैठक में यह बात सामने आई कि पिछले कई दशक से पुलिस सुधार को लेकर ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरएंडडी) की बैठकों में कई मुद्दे सामने आए हैं। इन्हीं बैठकों में केंद्र ने सभी राज्यों को पुलिस सुधार से संबंधित 58 बिंदुओं पर मंथन कर विचार मांगा है। इसका एक ही उद्देश्य है पुलिस पीपुल्स फ्रेंडली बने और पुलिस को कोर पुलिसिंग के अलावा अन्य कार्यों से कैसे मुक्त किया जाय ताकि पुलिस अपना सौ फीसद अपने मूल कार्य में दे सके। इसके लिए पुलिस मुख्यालय के स्तर पर विचार-विमर्श किया गया। विभिन्न बिंदुओं पर डीजीपी ने अपने अधिकारियों से विचार-विमर्श किया। इस पर एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिससे केंद्र को अवगत कराया जाएगा।

बैठक में डीजीपी कमल नयन चौबे के अलावा डीजी मुख्यालय पीआरके नायडू, एडीजी विशेष शाखा अजय कुमार सिंह, एडीजी आधुनिकीकरण आरके मल्लिक, एडीजी प्रशिक्षण अनिल पाल्टा, एडीजी ऑपरेशन मुरारी लाल मीणा, आइजी प्रोविजन अरुण कुमार सिंह, आइजी सीआइडी रंजीत कुमार प्रसाद, डीआइजी विशेष शाखा अखिलेश झा आदि मौजूद थे।

इन बिंदुओं पर अधिकारियों ने किया मंथन

  • प्राथमिकी दर्ज करने में आनाकानी करने की प्रवृति को कैसे रोका जाए।
  • पुलिस अपराध नियंत्रण व अनुसंधान पर ही जोर देती है। अभियोजन कमजोर होने का लाभ अपराधी को मिलता है। अब पुलिस को अभियोजन पक्ष को मजबूत करने पर भी बल देना है, ताकि अपराधी बचे नहीं।
  • लोग अपने संवैधानिक अधिकार कैसे जानें, इसकी जानकारी पुलिस को देनी होगी।
  • पुलिस में ड्राइवर के पद को खत्म कर ड्राइवर की कमी आउटसोर्स से करने पर विचार।
  • समन, वारंट तामिला दूसरी एजेंसी से कराने पर विचार।
  • स्कूल-कॉलेज की सुरक्षा, परीक्षा केंद्र की सुरक्षा सशक्त निजी सुरक्षा एजेंसी या होमगार्ड से कराने पर विचार।
  • यातायात व्यवस्था सुधारने के कार्य से भी पुलिस को मुक्त कराकर दूसरे माध्यम, निजी माध्यम से कराने पर विचार।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.