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ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन आज से

रिफ्रेशर कोर्स के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 15 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 07:57 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 07:57 PM (IST)
ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन आज से
ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन आज से

जागरण संवाददाता, रांची : रिफ्रेशर कोर्स के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 15 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा। ट्राइबल एंड रिजनल लैंग्वेज ऑफ झारखंड नामक यह कोर्स पूरी तरह निश्शुल्क होगा। किसी भी विषय के वैसे शिक्षक या विद्यार्थी जिन्हें आदिवासी विषयों में रुचि हो, वे घर बैठे इस कोर्स को ऑनलाइन कर सकेंगे। इसके लिए स्वयं पोर्टल पर जाएं। रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 31 जनवरी 2019 है। ऑनलाइन कोर्स एक नवंबर से शुरू होकर 28 फरवरी 2019 तक चलेगा। यह जानकारी रविवार को रांची विवि के मानव संसाधन विकास केंद्र (एचआरडीसी) में प्रेस-कांफ्रेंस में केंद्र निदेशक डॉ. अशोक चौधरी ने दी।

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उन्होंने कहा देश के 77 शिक्षण संस्थानों को 77 विषयों का सिलेबस तैयार करने की जिम्मेदारी मिली थी। इसमें रांची विवि के एचआरडीसी को जनजातीय भाषा की जिम्मेदारी दी गई थी। कोर्स तैयार करने में को-ऑर्डिनेटर डॉ. गिरिधारी राम गौंझू और महादेव टोप्पो की अहम भूमिका रही। इसमें डॉ. टीएन साहू व डॉ. हरि उरांव का सहयोग मिला। मौके पर डॉ. प्रकाश कुमार झा, वीरेंद्र पांडेय सहित अन्य थे। पहली बार ऑफलाइन होगी परीक्षा

ऑनलाइन कोर्स 40 घंटे का ¨हदी में होगा। हर दिन दो-तीन लेक्चर स्वयं पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाएगा। इसमें पीपीटी, विडियो आदि होंगे। कोर्स करने के बाद अभ्यर्थियों की इस बार आफलाइन परीक्षा होगी। लेकिन इसके बाद परीक्षा भी ऑनलाइन ही होगी। यह भी निश्शुल्क होगा। परीक्षा इग्नू लेगी, लेकिन सर्टिफिकेट एमएचआरडी देगा। घर बैठे जान सकेंगे झारखंड की संस्कृति

रांची विवि के रजिस्ट्रार डॉ. अमर कुमार चौधरी ने कहा कि अब पूरी दुनिया के लोग झारखंड की जनजातीय भाषा-संस्कृति को घर बैठे जान सकेंगे। कहा, मैंने बिरहोर पर काम किया है, अब इनकी भाषा लुप्त हो गई है। इस कोर्स का लाभ शोधार्थियों को भी होगा। इन भाषाओं के अध्यापकों की भी मांग बढ़ रही है। कोर्स को-आर्डिनेटर डॉ. गिरिधारी राम गौंझू ने कहा कि झारखंड में सबसे अधिक आदिम जनजाति हैं। ये प्रकृति पर विजय प्राप्त नहीं करते, बल्कि उसके साथ चलते हैं। य हैं टीआरएल के टॉपिक

- झारखंड की प्रमुख भाषाएं

- झारखंड की लोक कथाएं

- आदिवासी संस्कृति व इतिहास

- पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था

- झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी

- प्राकृतिक महोत्सव सरहुल

- लोक साहित्य में पर्यावरण संरक्षण व प्रकृति

- झारखंड में शिक्षा

- भाषाओं के विकास में मिशनरियों का योगदान

- झारखंड के वाद्य यंत्र

- छऊ और पाइका नृत्य

- झारखंड की लोक कलाएं

- झारखंड का आदि धर्म

- झारखंडी संगीत में मादर

- जनी शिकार

- झारखंड की काष्ठ कला

- जादोपेटिया लोक चित्रकला

- झारखंड में पारंपरिक खेल

- सोहराई त्योहार का महत्व

- टुसु लोक उत्सव में हास परिहास

- मानभूम, सरायकेला, खरसावा, मयूरभंज व सिंगुआ नृत्य परंपरा

- टीआरएल विभाग के संस्थापक डॉ. सुरेश सिंह

- अखरा के मनीषी कलाकार पद्मश्री रामदयाल मुंडा

- झारखंड के महानायक जयपाल सिंह

- झारखंड के विद्वान डॉ. वीपी केसरी

- झारखंडी संस्कृति के संरक्षक कार्तिक उराव

- वीर बुधू भगत का आदोलन

- सिदो-कान्हू चाद- भैरव, फूलो-झानो का संथाल विद्रोह

- खेल और आदिवासी समाज

- झारखंड आदोलन और झारखंडी परंपरा

- आदिवासी साहित्य के उभरते स्वर

- आदिवासी एवं झारखंडी क्षेत्रीय भाषाओं का विकास

- आदि भाषाओं की लिपि

- झारखंडी सदान समाज में गाधी का प्रभाव

- आधुनिक युग में लोक गीत संरक्षण की समस्या

- झारखंडी समाज में उत्पन्न विभिन्न जटिलताएं


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