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एक रुपये में घरों को रोशन करेगा मिंट्टी का एक दीया, 60 से 80 में100

रांची दीपावली का त्यौहार नजदीक आने के साथ तैयारियां जोर शोर से शुरू हो गई हैं। पूरे वर्ष दिवाली के आगमन का इंतजार करने वाले कुम्हार अपने काम में जुटे हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 01:41 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 01:41 AM (IST)
एक रुपये में घरों को रोशन करेगा मिंट्टी का एक दीया, 60 से 80 में100
एक रुपये में घरों को रोशन करेगा मिंट्टी का एक दीया, 60 से 80 में100

जागरण संवाददाता, रांची : दीपावली का त्यौहार नजदीक आने के साथ तैयारियां जोर शोर से शुरू हो गई हैं। पूरे वर्ष दिवाली के आगमन का इंतजार करने वाले कुम्हार अपने काम में जुटे हुए हैं। मौसम जरूर मुश्किलें पैदा कर रहा है। धूप नहीं होने से मिट्टी की सामग्रियों को बनाने में परेशानी आ रही है। बारिश के कारण कुम्हार दीये, मूर्तियों व हाथी-घोड़े व दीपमाला को सूखने के लिए धूप में नहीं सूखा पा रहे हैं। मूर्तियों पर रंग चढ़ाने में दिक्कत आ रही है। कुम्हारों ने तय किया है कि उत्पादन में होने वाली कमी से पैदा होने वाले घाटे को कीमतों के जरिये पूरा करने का प्रयास करेंगे। इस वर्ष एक रुपये में एक दीया बेचने का दावा किया जा रहा है। 100 दीये की कीमत 60 से 80 रुपये के बीच रखने की बात कही जा रही है।

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मिट्टी के दीये व झूमर की ज्यादा डिमांड

मार्केट में मिट्टी के दियों की डिमांड ज्यादा रहती है। क्योंकि पूजा पाठ में इनका ज्यादा उपयोग होता है। वहीं घरों को सजाने के लिए डिजाइनर दीयों की मांग ज्यादा है। मार्केट में एक से बढ़कर एक डिजाइनर दीये बिक रहे हैं। वहीं डिजाइनर कैंडल लाइट की डिमांड का डिमांड ज्यादा है। वहीं घरों को सजाने के लिए रंगोली, मिट्टी के झूमर की खरीदारी लोग कर रहे हैं। मिट्टी की सामग्री और कीमतें

सामग्री दर

100 दीये 60 से 80 रुपये

गणेश लक्ष्मी 20 से 500 रुपये

हाथी 20 रुपये

खिलौने 5 से 50 रुपये

कलश 10 से 100 रुपये

दीपमाला 40 से 50 रुपये

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बेहद मुश्किल हो रहा है काम कराना। मिट्टी की सामग्री मौसम खराब होने के कारण टूट रही है। फिर भी बेहतर करने में जुटे हुए हैं।

अर्जुन प्रजापति

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मिट्टी के इन सामग्रियों पर रंग चढ़ाने में कठिनाई हो रही है। धूप नहीं निकलने से परेशानी बढ़ गई है। मूर्तियों को तैयार करने में वक्त लग रहा है7

- बबिता

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हम सोच रहे थे कि इस बारे पिछले वर्ष से ज्यादा उत्पादन करेंगे। मौसम साथ नहीं दे रहा है। इस बार बेहतर तैयारी थी। लेकिन सब बेकार।

- सोहाद्री ---------

हम इस बार घर के अंदर काम कर रहे हैं। बाहर बारिश में सामग्री के खराब होने का डर है। मौसम अच्छा हो जाता सो सहूलियत होती।

निक्की कुमारी


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