बड़हरवा टेंडर विवाद: मैंने नहीं, डीएसपी ने दी पंकज मिश्रा और आलमगीर आलम को क्लीन चिट: एएसआइ सरफुद्दीन खान
बड़हरवा के टेंडर विवाद मामले में साहिबगंज पुलिस के अधिकारियों के नियमों को ताक पर रखकर पूरे मामले का अनुसंधान करने के मुद्दे ने इडी की नींद उड़ा दी है। इडी ने पंकज मिश्रा और आलमगीर आलम को क्लीन चिट देने के लिए जेल अधीक्षक और एएसआइ को तलब किया।
रांची, राज्य ब्यूरो। साहिबगंज जिले के बड़हरवा में टेंडर विवाद (Tender dispute in Sahebganj Barharwa) में मारपीट मामले में पुलिस का पूरा अनुसंधान कटघरे में आ गया है। विवादों से पुलिस का पीछा छूटता नहीं दिख रहा है। अब इस कांड के अनुसंधानकर्ता (आइओ) एएसआइ सरफुद्दीन खान () इडी के बुलावे पर सोमवार को रांची स्थित इडी के क्षेत्रीय कार्यालय आए।उन्होंने इडी की पूछताछ में बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि पंकज मिश्रा (Pankaj Mishra) व मंत्री आलमगीर आलम (Alamgir Alam) को उन्होंने नहीं, कांड के पर्यवेक्षणकर्ता तत्कालीन डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा (DSP Pramod Kumar Mishra) ने प्राथमिकी दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर ही क्लीन चिट दे दी थी।
हालांकि, उनके बयान से उन्हें बहुत राहत मिलता नहीं दिख रहा है, क्योंकि कांड के अनुसंधानकर्ता ने अपनी शक्तियों का पूरा उपयोग नहीं किया इसलिए वह इससे बच नहीं सकते हैं। अब रही बात डीएसपी पर लगे क्लीन चिट देने के आरोपों की, तो इडी बहुत जल्द ही डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा को भी समन कर पूछताछ के लिए बुलाने जा रही है।
शंभूनंदन कुमार ने दर्ज कराया था केस
बड़हरवा के टेंडर विवाद में मारपीट का मामला 22 जून, 2020 को पाकुड़ (Pakur) के हरिणडंगा बाजार निवासी शंभूनंदन कुमार ने दर्ज कराया था। इस केस में मुख्य आरोपित राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के बरहेट विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा, तपन सिंह, दिलीप साह, इश्तखार आलम, तेजस भगत, कुंदन गुप्ता, धनंजय घोष, राजीव रंजन शर्मा, संजय रमाणी, टिंकू रज्जाक अंसारी व अन्य अज्ञात थे।
बिना छानबीन के 24 घंटे के भीतर दे दी थी क्लीन चिट
बड़हरवा थाने में शंभूनंदन कुमार ने 22 जून 2020 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। महज 24 घंटे के भीतर यानी 23 जून, 2020 को बिना विधिवत अनुसंधान, बगैर किसी का बयान लिए, बिना छानबीन के ही तत्कालीन डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा ने मंत्री आलमगीर आलम व मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को क्लीन चिट दे दी थी।
उन्होंने अपने पर्यवेक्षण में स्पष्ट तौर पर लिख दिया कि इन दोनों के विरुद्ध किसी तरह का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। छानबीन के लिए फोन पर दी गई धमकी से संबंधित डिजिटल साक्ष्य भी था, जिसका विधिवत मिलान किया जाना चाहिए था। सीसीटीवी फुटेज की विधिवत जांच होनी चाहिए थी। साहिबगंज पुलिस के अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर पूरे मामले का अनुसंधान किया था।
डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा का विवादों से है पुराना नाता
पुलिस ने मंत्री आलमगीर आलम व पंकज मिश्रा को निर्दोष साबित करते हुए क्लीन चिट दे दिया था, जबकि अन्य आठ आरोपितों पर चार्जशीट दाखिल किया था। गौरतलब है कि डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा पहले से ही विवादों में रहे हैं।
साहिबगंज की महिला दरोगा रूपा तिर्की की संदेहास्पद परिस्थिति में मौत के मामले में डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा अपने बयान के चलते विवादों में आए थे। उनके विरुद्ध रूपा तिर्की की मां ने एससी-एसटी थाने में गाली-गलौज करने व बेटी के चरित्र पर भद्दी टिप्पणी करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
यह मामला अभी विचाराधीन है। डीएसपी के विरुद्ध पुलिस मुख्यालय के स्तर से कार्रवाइ हुई थी और इसके बाद पिछले एक साल से उनका वेतन बंद है।
बाबूलाल मरांडी का तंज- अब कार्रवाइ नहीं करेगी सोरेन सरकार
इधर, एक दिन के भीतर पंकज मिश्रा को क्लीन चिट देने पर भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि जिस राज्य में हजारों केस डीएसपी के सुपरविजन की प्रतीक्षा में थानों में महीनों और वर्षों से पड़े हैं, साहिबगंज का एक डीएसपी हेमंत सोरेन के प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को केस से बचाने के लिए 24 घंटे के भीतर सुपरविजन कर लेता है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, क्या आप अब भी ऐसे अफसरों पर कार्रवाई नहीं करेंगे? गृह मंत्री की हैसियत से पुलिस की ऐसी अराजकता को रोकने की जिम्मेदारी से आप कैसे बच सकते हैं? अब भी चेतिए, स्वयं को बचाने के लिए ही सही, कुछ कीजिए वर्ना ऐसे कारनामों की सजा आपको भी मिलेगी।
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