देखते ही चहक उठेगा आपका मन, विदेशी पक्षियों के कलरव से गूंज रहा है झारखंड के रांची जिले का पतरातू रिसार्ट
बिना वीजा हर वर्ष हजारों साइबेरियन पक्षियों का झुंड पतरातू के खूूबसूरत डैम में अपना डेरा जमाता है। उनका प्रवास केवल सर्दी के दिनों के लिए होता है। पर्यटकों का खूब मनोरंजन करते हैं। इस बार भी नजारा देखने लायक है।
संजय सुमन रांची : सरहदों को इंंसानों ने अपने लिए बनाया है। आजाद परिंदों के लिए दुनिया में कोई सरहद नहीं बनी। इसलिए बिना वीजा हर वर्ष हजारों साइबेरियन पक्षियों का झुंड पतरातू के खूूबसूरत डैम में अपना डेरा जमाता है। उनका प्रवास केवल सर्दी के दिनों के लिए होता है। मगर इन दिनों यहां की खूूबसूरती को ये पंक्षी और बढ़ा देते नजर आ रहे हैं। उन्हें देखने के लिए लाखों पर्यटक दूर-दूर से डैम आते थे। हाल ही में इस डैम साइड का कायाकल्प भी किया गया है। मगर कोरोना संक्रमण के लिए लाकडाउन के बाद से अभी तक यह डैम बंद ही है। रोज सैकड़ों पर्यटक अपने परिवार के साथ आते हैं और निराश होकर लौट जाते हैं। उधर, इंसानी दखल कम होने के कारण ये पक्षी इस वर्ष विशेष मौज मस्ती करते हुए देखे जा सकते हैं।
नाव पर पास आकर मिलाते हैं हाथ : ये विदेशी पक्षी लेक में नौका विहार करने वाले पर्यटकों का अच्छा मनोरंजन करते हैं। सैलानी भी पक्षियों को आकर्षित करने के लिए पानी के ऊपर तैरने वाले खाद्य पदार्थ अपने साथ लेकर नौका विहार के लिए जाते हैं। इससे पक्षी उनके बिल्कुल पास आ जाते हैं। कई बार वो पर्यटकों के हाथ से अपना खाना लेकर जाते हैं। वहीं, शाम होते ही वो पास के जंगल में चले जाते हैं।
दूसरे किनारों से चल रहा है शिकारा : डैम का रिसार्ट भले ही बंद है। मगर डैम के दूसरे किनारों से नाविक अपने शिकारे में आने वाले पर्यटकों को डैम की सैर करा रहे हैं। हालांकि उस तरफ आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी कम है। पिछले वर्ष पतरातू लेक रिसार्ट से जेटीडीसी ने पिछले नवंबर से फरवरी माह तक डेढ करोड़ की कमाई की थी। इसके अलावा आसपास में बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार भी इस डैम से जुड़ा हुआ है।