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झारखंड में अफसरों का कारनामा, मनमाने तरीके से कर दी सरकारी जमीन की जमाबंदी Ranchi News

कैशरे हिंद गैर मजरूआ आम गैर मजरूआ खास वन भूमि जंगल की नहीं कर सकते जमाबंदी लेकिन पूर्व डीजीपी डीके पांडेय की पत्नी के नाम गैर मजरूआ जमीन की जमाबंदी कर दी गई।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 01 Jul 2019 10:06 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 06:25 PM (IST)
झारखंड में अफसरों का कारनामा, मनमाने तरीके से कर दी सरकारी जमीन की जमाबंदी Ranchi News
झारखंड में अफसरों का कारनामा, मनमाने तरीके से कर दी सरकारी जमीन की जमाबंदी Ranchi News

रांची, राज्य ब्यूरो। रांची के कांके प्रखंड में राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक डीके पांडेय की पत्नी के नाम गैर मजरूआ जमीन की जमाबंदी अधिकारियों ने नियम से परे जाकर की। इस मामले में सरकारी निर्णय की पूरी तरह अनदेखी की गई। जमीन की जमाबंदी को गलत ठहराए जाने के बाद अब इसे रद करने का आदेश दिया गया है लेकिन सवाल उठता है कि गलत तरीके से जमीन की जमाबंदी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश जारी नहीं किया गया, जबकि उन्होंने स्थापित नियमों का खिलाफ जाकर निर्णय किया। इस मामले में पूर्व डीजीपी डीके पांडेय समेत लगभग दो दर्जन लोगों पर गाज गिरेगी। जमाबंदी रद करने का आदेश रांची के उपायुक्त ने दिया है। कांके के अंचलाधिकारी ने जिला प्रशासन को रिपोर्ट दी है कि जमीन की जमाबंदी गलत तरीके से की गई। ऐसे में इसे रद किया जाना चाहिए।

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2016 में सरकार ने निकाला था आदेश

15 जून 2016 को राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव कमल किशोर सोन ने सभी उपायुक्तों और जिला निबंधकों को पत्र लिखा था। इस पत्र में उल्लेख है कि कैशरे हिन्द, गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास, वन भूमि, जंगल का हस्तांतरण लोक नीति के विरुद्ध है। इस बाबत उन्होंने अधिनियमों का भी हवाला दिया था। विभागीय सचिव ने आदेश दिया था कि इसका अनुपालन सुनिश्ििचत कराया जाए। यदि सक्षम प्राधिकार द्वारा उपलब्ध कराई गई प्रतिबंधित सूची में भूमि से संबंधित तथ्यों में कोई अंतर परिलक्षित होता है तो संबंधित अवर निरीक्षक उससे उपायुक्त सह जिला निबंधन पदाधिकारी को अवगत कराएंगे। उपायुक्त ऐसे मामले में निर्णय लेते हुए अग्रतर कार्रवाई करेंगे। इसकी अनदेखी करते हुए वर्ष 2017 में जमीन की जमाबंदी कर दी गई।

2015 में हुई थी अधिसूचना

झारखंड सरकार ने 26 अगस्त 2015 को राज्यपाल के आदेश से इससे संबंधित अधिसूचना जारी की थी। इसमें निबंधन अधिनियम, 1908 की धारा-22 क (बिहार संशोधन) के अधीन शक्तियों का हवाला देते हुए कैशरे हिंद, गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास, वन भूमि, जंगल के हस्तांतरण को लोक नीति के विरूद्ध घोषित किया गया है। अधिसूचना में विभाग समेत प्रमंडलीय आयुक्त, उपायुक्त या उनके द्वारा प्राधिकृत पदाधिकारी को संसूचित किया गया है।


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