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झारखंड हाई कोर्ट में पांच दिनों तक याचिका दाखिल करने पर लगी रोक

रांची झारखंड हाई कोर्ट में पांच दिनों तक कोई याचिका दाखिल नहीं की जाएगी। दस से 14 जुलाई तक ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनों याचिका दाखिल करने पर रोक लगा दी गई है। हाई कोर्ट ने इस संबंध में आदेश जारी किया है और हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन को भी इसकी जानकारी दी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 12:44 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 12:44 AM (IST)
झारखंड हाई कोर्ट में पांच दिनों तक याचिका दाखिल करने पर लगी रोक
झारखंड हाई कोर्ट में पांच दिनों तक याचिका दाखिल करने पर लगी रोक

रांची : झारखंड हाई कोर्ट में पांच दिनों तक कोई याचिका दाखिल नहीं की जाएगी। दस से 14 जुलाई तक ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनों याचिका दाखिल करने पर रोक लगा दी गई है। हाई कोर्ट ने इस संबंध में आदेश जारी किया है और हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन को भी इसकी जानकारी दी है। इसके बाद एसोसिएशन ने नोटिस जारी कर सभी अधिवक्ताओं को इसकी जानकारी दी है।

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हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अंबुज नाथ ने बताया कि अभी एक तिहाई कर्मचारियों को ही हाई कोर्ट बुलाया जा रहा है। जबकि, हर दिन 300 से 350 केस दाखिल हो रहे हैं। हाई कोर्ट में ऑनलाइन केस दाखिल करने के साथ-साथ याचिका दाखिल करने के लिए हाई कोर्ट में पेटी भी लगाई है। याचिका दाखिल होने के बाद उसकी स्टाप रिपोर्टिग और अन्य प्रक्रिया भी करनी पड़ती है। अधिक याचिका दाखिल होने के कारण बैकलॉग बढ़ गया है। बैक लॉग कम करने के लिए पाच दिनों तक याचिका दाखिल करने पर रोक लगाई गई है।

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हाई कोर्ट के सभी कर्मियों की रिपोर्ट निगेटिव :

झारखंड हाई कोर्ट के स्टाप रिपोìटग शाखा के 15 कíमयों की कोरोना जाच की रिपोर्ट निगेटिव आई है। स्टाप शाखा की एक महिला कर्मी के पति कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। पति के संक्रमित होने के बाद महिला कर्मचारी कोर्ट नहीं आ रही थी। बावजूद इसके, एहतियात के तौर पर सभी कर्मियों का सैंपल लिया गया था।

-------------- सिपाही पद से सेवामुक्त करने के मामले में फैसला सुरक्षित

रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में सिपाही पद पर नियुक्ति के बाद सेवामुक्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इस संबंध में संतोष कुमार सहित सात अन्य लोगों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि उनकी नियुक्ति सिपाही के पद पर हुई थी। इसके बाद उच्चस्तरीय मेडिकल बोर्ड ने उन्हें अनफिट बताया, जिसके बाद सरकार ने उन्हें सेवामुक्त कर दिया, जो अनुचित है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) के अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने बताया कि हाई कोर्ट ने इससे जुड़े एक मामले में आदेश दिया था। इसके तहत सिपाही पद पर नियुक्त हुए सभी अभ्यर्थियों के टेस्ट के लिए उच्चस्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया। जांच में अनफिट पाए जाने वाले ऐसे अभ्यर्थियों को सरकार ने वर्ष 2018-19 में सेवामुक्त कर दिया, जो सिपाही पद पर नियुक्त हुए थे। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में उक्त कार्रवाई की है। इसके तहत एक उच्चस्तरीय मेडिकल बोर्ड बना था और अनफिट पाए जाने वालों को सेवामुक्त कर दिया गया था।

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