झारखंड में कई पदों पर रुकी है बहाली, स्थानीय को आरक्षण को लेकर फंसा है पेंच
Jharkhand News. पंचायत सचिव इतिहास-नागरिक के शिक्षक सहित कई पदों की बहाली रुकी है। 13 गैर अधिसूचित जिलों के मामले में कोई विवाद नहीं है।
रांची, राज्य ब्यूरो। पूर्व की रघुवर सरकार द्वारा नियोजन नीति के तहत स्थानीय लोगों को आरक्षण दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब ज्यादा संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है। आरक्षण के मसले को लेकर राज्य में कई पदों पर नियुक्ति रुकी है। आरक्षण के समान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी पद के लिए शत-प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था नहीं दी जा सकती है। अगर नियुक्ति हो चुकी है, तो यह आदेश से प्रभावित नहीं होगा।
इस मामले में पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश भविष्यगामी होगा। इसलिए राज्य में पहले शुरू हो चुकी नियुक्ति प्रक्रिया पर इसका प्रभाव नहीं पडऩा चाहिए। पहले की प्रक्रिया के तहत बड़े पैमाने पर नियुक्तियां हो भी चुकी हैं। कुछ की नियुक्ति होनी बाकी है। दरअसल, नियोजन नीति के तहत राज्य के 11 जिलों अधिसूचित और 13 जिलों को गैर अधिसूचित किया गया है। 11 जिलों में स्थानीय लोगों के लिए तीन एवं चुतुर्थ वर्ग के सभी पद आरक्षित थे।
सोनी कुमारी ने इसको हाई कोर्ट में चुनौती दी। यहां गौर करने वाली बात है कि 13 गैर अधिसूचित संबंधित अधिसूचना पर कोई विवाद संज्ञान में नहीं है। सोनी कुमारी के मामले में हाई कोर्ट ने आरक्षण की मूल अधिसूचना पर रोक लगा दी, लेकिन नियुक्ति की अधिसूचना और नियुक्ति पर रोक नहीं थी। पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने हाई कोर्ट में रघुवर सरकार की नीति में निहित स्थानीय लोगों को पूर्ण आरक्षण दिए जाने के पक्ष में पैरवी की। इसके बाद भी स्थानीय निवासियों के लिए शिक्षक, पुलिस सहित अन्य विभागों में नियुक्ति होती रही।
इसी तरह पंचायत सचिवों के नियुक्ति के लिए सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी, लेकिन चुनाव की घोषणा के चलते उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिया जा सका। चूकि स्थानीय लोगों को आरक्षण देने की अधिसूचना के समान ही मामला (आंध्रप्रदेश) सुप्रीम कोर्ट में लंबित था, जिस पर कोर्ट ने अपना फैसला दिया है। ऐसे में झारखंड के अभ्यर्थियों के लिए विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है।
पूर्व की रघुवर सरकार के कार्यकाल में कुछ नियुक्तियां हुईं, लेकिन अब वर्तमान सरकार में भी सारी नियुक्तियां रुकी हुई है। अभ्यर्थियों में इस बात को लेकर संशय है कि एक ओर संबंधित पदों पर 80 से 90 फïीसद पर नियुक्ति हो चुकी है, तो बाकी बचे लोगों का क्या होगा। इसी तरह पंचायत सचिव की नियुक्ति प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बरकरार रहेगी या नहीं।