Weekly News Roundup Ranchi: चोर के हाथ चौकीदारी, तस्करों पर मेहरबानी
Jharkhand. ट्रैफिक पोस्ट पर ले-देकर काम चलाने में लोग भरोसा करने लगे हैं। दूसरी ओर पुलिस की मेहरबानी की बदौलत ही हर ट्रैफिक पोस्ट के पास गुमटी और दुकानों में गांजा बेचे जाते हैं।
रांची, [फहीम अख्तर]। Weekly News Roundup कानून के लंबे हाथ कहीं दिखते हैं तो कहीं चोर को ही चौकीदारी दे दी जाती है। कुछ मामलों में पुलिस की तीसरी आंख खुल जाती है लेकिन जहां सारी जानकारी रहती है वहीं से सारे चोर गायब हो जाते हैं। आइए जानते हैं राजधानी रांची में सप्ताहभर में अपराध के क्षेत्र में क्या रही हलचल...
चोर के हाथ चौकीदारी
शहर में गांजा की बिक्री रोके नहीं रुक रही है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पास संसाधन नहीं है। छापे मारने के लिए लाठीधारी सिपाही तक के लिए मोहताज है। छापेमारी की जरूरत पड़ती तो पुलिस से गुहार लगानी पड़ती है। दिक्कत यह है कि पुलिस पर गांजा तस्करों पर मेहरबानी का आरोप लगता रहा है। इनकी मेहरबानी की बदौलत ही हर ट्रैफिक पोस्ट के पास गुमटी और दुकानों में गांजा बेचे जाते हैं।
रातू रोड के दुर्गा मंदिर के पास गुमटी में बिक्री होती है, न्यू मार्केट चौक पर सब्जी की तरह झोले में रखकर महिलाएं खुलेआम गांजा बेचती हैं। धंधेबाज बेखौफ नशेडिय़ों को बेचते हैं सामान। चुटिया में पीसीआर के सामने गांजा बिकने का आरोप लगता रहा है। हरमू रोड में भी खुलेआम गांजा मिलता है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को सारी जानकारी मिलती है। टीम बनती है। लेकिन जब छापेमारी करे, तो धंधेबाज गायब हो जाते हैं।
कानून के लंबे हाथ
शहर के डॉ. फतेउल्लाह लेन स्थित एक जूता दुकान प्रिंस सेल्स एजेंसी में लूट की घटना का खुलासा होने पर पता चला कि मास्टरमाइंड दुकान में काम करने वाला पूर्व कर्मचारी है। जब पैसे कम पड़ गए तो मालिक को ही पिस्तौल के साथ लूटने निकल पड़ा। अपने एक दोस्त को भी ले गया। मालिक पहचान न ले इसके लिए मुंह को बंदर टोपी-रूमाल से ढंक रखा था।
भागते समय एक स्टाफ ने पकडऩे की कोशिश की तो उसका नाम पुलिस के सामने साजिशकर्ता के रूप में ले डाला। मालिक को लूटने वाला शातिर आजाद बस्ती का रहने वाला कुर्बान खान उर्फ मोनू है। वह डोरंडा कुम्हारटोली में रहने वाले दोस्त मनीष कुमार उर्फ बिट्टू के साथ मिलकर दुकान लूटने गया था। लूट के बाद कपड़े बदल लिए थे। पुलिस को झांसा देने की बहुत कोशिश की। लेकिन कानून के लंबे हाथ उसकी गर्दन तक पहुंच ही गए।
कुछ ले-देकर सलटाओ साहब
ट्रैफिक का जुर्माना देश भर में भारी-भरकम हो गया है। लाइसेंस नहीं, तो झारखंड में भी पांच हजार लगेंगे। हेलमेट नहीं तो पांच हजार चुकाने होंगे। बिना इंश्योरेंस वाली गाड़ी की सवारी पर दो हजार से चार हजार लगते। एक बार पकड़े जाओ तो छह से दस हजार का चूना। ऐसे में ले-देकर काम चलाने में लोग भरोसा करने लगे हैं। इसपर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की चांदी हो गई है। भयादोहन भी चल रहा है।
कुछ दिन पहले रातू रोड न्यू मार्केट के पास एक ऑटो चालक फर्नीचर लोड कर शहर घुस रहा था। उसे रोककर फील्ड ट्रैफिक वायलेशन रिकार्डर से तस्वीर खींची गई। जोड़कर बिल थमाया 16 हजार का। बेचारा ऑटो चालक बोला साहब आप ही ले-देकर छोड़ दो। इसपर साहब मान गए। बेचारा चालक वहां से निकला। हर दिन ट्रैफिक पोस्टों पर ऐसे किस्से सुनाई पड़ते हैं। ट्रैफिक एसपी का थोड़ा डर है। लेकिन काम चालू आहे।
बेटियां दे रहीं दुआ
पुलिस मानव तस्करों को किसी हाल में नहीं छोडऩा चाहती। रांची में ऐसी ही कार्रवाई दिखी। दिल्ली में गरीब बच्चियों को बेचने वाली दो एजेंटों को कुछ इस तरह जेल भेजा कि हर कोई प्रशंसा कर रहा। एक बेटी को तब बेचा गया जब वह 13 साल की थी। देह व्यापार भी करवाया गया। छह साल प्रताडि़त होकर रांची लौटी। इसके दो साल बाद पुलिस ने उस बेटी को ढूंढा और उससे केस दर्ज करवाया।
कसूरवारों को जेल भेजा। मामला इसी सप्ताह नामकुम पुलिस द्वारा मानव तस्करी के केस में दो महिला तस्करों को जेल भेजने से जुड़ा है। इनमें सिदरौल निवासी सुषमा लकड़ा और दिल्ली मीराबाग निवासी रजिया देवी शामिल हैं। रजिया को पुलिस ने खूंटी में पकड़ा था। वहां कोई केस नहीं मिला लेकिन स्वीकारा कि नामकुम में बच्ची को बेचा है। तब उसे नामकुम लाया गया और यहां लाकर फिर जेल भेजा गया।