NIA Investigation: नक्सलियों के अर्थ तंत्र पर प्रहार करने में जुटी एनआइए, दबोचे जा रहे सहयोगी
NIA Investigation in Jharkhand एक दिन पूर्व ही लातेहार में एक ठेकेदार के पास से लेवी के 2.70 करोड़ रुपये बरामद हो चुके हैं। ठेकेदार व्यवसायी कोयला कारोबारी और ट्रांसपोर्टर नक्सलियों को लेवी वसूलने में सहयोग कर रहे हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में टेरर फंडिंग व हत्या सहित कई मामलों का अनुसंधान कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की दबिश लगातार बढ़ रही है। अब तक उग्रवादियों के करोड़ों रुपये जब्त कर चुकी यह एजेंसी उग्रवादियों के अर्थ तंत्र पर प्रहार करने में जुटी है। इसके लिए नक्सलियों के सहयोगी के रूप में काम कर रहे व्यवसायी, ठेकेदार, कोयला कारोबारी और ट्रांसपोर्टर तक दबोचे जा चुके हैं।
इनपर नक्सलियों के लिए लेवी वसूलने में संलिप्त रहने के आरोपों की पुष्टि हो चुकी है। लातेहार के चंदवा में एक साल पहले चार पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले कुख्यात भाकपा (माओवादी) के रीजनल कमांडर व 15 लाख के इनामी रवींद्र गंझू उर्फ सुरेंद्र गंझू की तलाश में जुटी एनआइए को छानबीन में पता चला कि रवींद्र गंझू बड़े पैमाने पर लेवी वसूलता है। उसके पास दो दिन पहले भी लेवी की बड़ी रकम भेजी जानी थी, लेकिन इसी बीच एनआइए को भनक लग गई।
सूचना पाकर एनआइए ने लातेहार के चंदवा में छापेमारी कर एक ठेकेदार के यहां से 2.70 करोड़ रुपये नकद जब्त कर लिए। यह रकम ठेकेदार ने नक्सलियों के लिए लेवी के रूप में व्यवसायियों, ठेकेदारों तथा कोयला कारोबारियों से वसूले थे। रकम रवींद्र गंझू तक पहुंचनी थी। पूर्व में गिरिडीह में राम कृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी का एक कर्मचारी गिरिडीह के सरिया थाना क्षेत्र के केशरवानी निवासी मनोज कुमार भी एनआइए के हत्थे चढ़ा था।
उसपर नक्सलियों से साठ-गांठ व उनके लिए छोटे-बड़े व्यवसायियों से लेवी वसूलकर नक्सलियों तक पहुंचाने के आरोप की पुष्टि हुई थी। टेरर फंडिंग के मामले में ही व्यवसायी महेश अग्रवाल, अमित अग्रवाल व विनीत अग्रवाल भी आरोपित हैं, जिनके विरुद्ध मामला फिलहाल लंबित है।
इन्हें चतरा जिले के सीसीएल की बहुचर्चित मगध व आम्रपाली कोयला परियोजना में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन व नक्सली संगठनों को आर्थिक मदद पहुंचाने के मामले में एनआइए ने आरोपित बनाया है। इसी केस में व्यवसायी सुदेश केडिया व अजय सिंह न्यायिक हिरासत में हैं। इनके अतिरिक्त एक दर्जन ऐसे व्यवसायी हैं, जिनका नक्सली कनेक्शन मिला है और उनका सत्यापन चल रहा है।
पत्नी की गिरफ्तारी का बदला लेने के लिए मार डाला था चार पुलिसकर्मियों को
लातेहार के चंदवा थाना क्षेत्र में लुकइया के पास 22 नवंबर 2019 की रात माओवादियों ने एक एएसआइ सहित चार पुलिसकर्मियों के वाहन पर हमला कर उनकी हत्या कर दी थी। इस घटना में कुख्यात माओवादियों के रीजनल कमांडर व 15 लाख रुपये के इनामी रवींद्र गंझू के दस्ते का हाथ सामने आया था। तब पुलिस अनुसंधान में यह बात सामने आई थी कि रवींद्र गंझू ने अपनी पत्नी की गिरफ्तारी का बदला लिया था।
रवींद्र गंझू की पत्नी ललिता देवी को लोहरदगा पुलिस ने रायडीह से गिरफ्तार किया था। वह भी नक्सली घटनाओं में अपने पति का साथ देती थी। इसी घटना के बाद बौखलाए रवींद्र गंझू ने चार पुलिसकर्मियों को मारकर इसका बदला लिया था। इस मामले में पांच नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके पास से भी लेवी के 5 लाख रुपये बरामद हुए थे।
दिनेश गोप के दर्जनभर सहयोगी भी हो चुके हैं गिरफ्तार
एनआइए ने टेरर फंडिंग मामले में अब तक पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) के दर्जनभर सहयोगियों को गिरफ्तार कर सलाखों के भीतर पहुंचा दिया है। ये सभी किसी न किसी व्यवसाय से जुड़े हैं और पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप के लिए लेवी वसूलने और दिनेश गोप तक पहुंचाने का काम करते थे। दिनेश गोप के खास सहयोगी सुमंत कुमार, जयप्रकाश सिंह भूइया, अमित देशवाल सहित कई आरोपितों ने तो दिनेश गोप के लेवी-रंगदारी के रुपयों को अपने व्यवसाय में भी खपाया था, जिसका खुलासा एनआइए कर चुकी है।
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