Weekly News Roundup Ranchi: नई सरकार में चहचहाने लगी चिड़िया, जानें सत्ता के गलियारे का हाल
Weekly News Roundup Ranchi राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। नई सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन भी एक्टिव हो गए हैं।
रांची, [ब्रजेश मिश्रा]। झारखंड में सत्ता परिवर्तन होते ही सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर की चिडि़या जोर से चहचहाने लगी है। नई सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन इस कदर एक्टिव हैं कि उन्हें टैग कर जो काेई भी अपनी समस्या गिना रहा है, उसे सीएम के स्तर पर त्वरित समाधान मिल रहा है। विधानसभा चुनाव में भाजपा काे सत्ता से बेदखल कर झामुमो, कांग्रेस और राजद ने महागठबंधन की सरकार बनाई है। कड़े और बड़े फैसले लेने की आस में सियासी गलियारा भी उम्मीदों से भर गया है। आइए जानें झारखंड की सियासत का हाल...
हो गया है।
सत्ता बदली, झंडे बदले
प्रदेश की सत्ता में परिवर्तन के साथ काले शीशे वाली गाडिय़ों पर झंडे बदल गए हैं। जहां कभी भगवा रंग पर कमल का फूल दिखाई देता था, आजकल तीर-धनुष वाली हरियाली नजर आ रही है। बदलते मौसम में कुछ नहीं बदला तो तय मानिए आपकी आर्थिक तबीयत बिगडऩे वाली है। एक ज्ञानी पुरुष कह रहा था झंडे से ज्यादा जरूरी वह डंडा है, जिस पर रंग बिरंगे झंडे आते-जाते रहते हैं।
आप चाहें तो डंडे को खूंटे में बदल लें या चाहें तो शामियाने का ऊंचा बांस बना लें। यह सब आपकी काबिलियत पर निर्भर करता है। बड़े-बड़े ठेके और मनचाही पोस्टिंग दिलाने में समर्थ यह जमात नए समीकरण में अपने लिए नए रास्ते तलाश रही है। नए माहौल में नए सिरे से लोकतंत्र के स्तंभों के बीच अघोषित पुल निर्माण का काम पाने की होड़ है। राजनीति में इनकी हनक हमेशा रही है। बस कुछ चेहरे बदलते हैं।
ट्विटर पर आपकी सरकार
प्रदेश में नए निजाम के काम संभालते सिस्टम और शासन की कार्यशैली में बदलाव दिख रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं, सो उन्हें दिखाने, मनाने, रिझाने की कसरत इस मंच पर हो रही। पार्टी नेता-कार्यकर्ता से लेकर अफसरान सब रेस हैं। सत्ता के बदलाव का काल है। तकनीकी बदलाव का दौर है। ट्विटर पर मिले हर छोटे-बड़े निर्देश पर नौकरशाही हरकत में है। जनता की शिकायतें ट्विटर पर मिल रहीं है।
जांच का निर्देश भी फौरन ट्विटर पर जारी कर दिया जा रहा। जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष और कार्रवाई का ब्योरा भी सीधे ट्विटर पर बताया जा रहा। अब यह तकनीकी बदलाव का असर है या हवा का रुख भांप लेने की नौकरशाह की लाजवाब काबिलियत, तय करना फिलहाल मुश्किल है। हां, इतना जरूर तय है कि इसका फायदा जागरूक नागरिकों को मिलेगा। जनता को फैसला ऑन स्पॉट मिल रहा। फाइल लटकाने-टरकाने का झंझट नहीं।
मंत्रीजी बोले और छा गए
हाल ही में प्रदेश के एक बड़े कद वाले मंत्री का बयान काफी सुर्खियां बटोरता रहा। रांची के बड़ा तालाब के पास आयोजित विवेकानंद जयंती समारोह से निकलकर मंत्रीजी ने फरमाया स्वच्छता अभियान के तर्ज पर विभागों में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों की सफाई करेंगे। मंत्री जी की इस नेकनीयत पर जनता कुर्बान हो गई। फिजाओं में चर्चा चल पड़ी है। लगता है मोदी का स्वच्छता अभियान अब मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को भी कुछ हद तक भा गया है।
वनवास काट रही पार्टी के नेताओं को सत्ता की झक्क सफेद गद्दी मिलते ही सबकुछ गंदा-गंदा सा दिखाई देने लगा है। अच्छा है, सबकुछ साफ-सुथरा रहे, इसमें भला किसी को क्या ऐतराज। ऐसा होना भी लाजिमी है। मंत्रीजी, उसी बिरादरी से आते हैं, जिनके बीच विकास की तमाम योजनाएं चलानी हैं। आम लोगों से कहीं ज्यादा उन्हें पता होगा, अस्वच्छता से निकले कीड़े कहां-कहां बदबू पैदा कर रहे हैं।
मधु के छत्ते पर मधुमक्खियां
एक खबर दिल्ली से आई। लिखा था नए निजाम की खातिरदारी में पुराने का नेम प्लेट उखाड़ा। मामला मथुरा रोड के आवास से जुड़ा था। पता चला, पुराने सत्ताधीश के राजमहल से विदा लेने से पहले ही नाम-ओ-निशान मिटाने की कवायद शुरू हो गई। यह सब तब हुआ, जब युवराज ने राज्याभिषेक से पहले ही राजनीतिक मर्यादा की नई नजीर पेश कर दी। पहले चुनाव के दौरान थाने में दर्ज शिकायत वापस ली, फिर शपथ ग्रहण में साथ मंच पर बैठाया।
आशीर्वाद लिया। साफ-साफ कहा, राजनीतिक दुर्भावना से कोई काम नहीं होगा। यह सब ठीक, लेकिन मधुमक्खियां कहां मानने वाली। सत्ता का केंद्र बदला। छत्ता बदला। मधुमक्खियों ने अड्डा बदल लिया। दिशा बदल ली। निष्ठा बदल ली। वह सब करने लगी, जिनकी अनुमति तक नहीं मिली। बहरहाल, इससे क्या लेना देना। आप बस नेम प्लेट पढि़ए और भवन के पास मधुमक्खियों के छत्ते को निहारिये। मुस्कुराइये,आप इसी दौर के मानुष हैं।