न डैम का जलस्तर गिरा और न ही खुला फाटक, खेतों में घुसा हटिया डैम का पानी, डूबी धान की फसल
हटिया डैम का जलस्तर बढ़ने के बाद फाटक खोलने को लेकर कवायद शुक्रवार को हुई।
जासं, रांची : हटिया डैम का जलस्तर बढ़ने के बाद फाटक खोलने को लेकर कवायद शुक्रवार को जस की तस रही। पीएचईडी विभाग द्वारा कई प्रयासों के बावजूद फाटक नहीं खोला जा सका और न ही डैम का जलस्तर गिरा। तीन नंबर फाटक से पानी तेज धार से ओवऱफ्लो कर रहा है। हालात का जायजा लेने के लिए पेयजल विभाग के सचिव प्रशांत कुमार एवं कार्यपालक अभियंता के भी डैम पर पहुंचने की सूचना थी। लेकिन जब उनसे इस संबंध में जब बात करने की कोशिश की गई, तो कई प्रयासों के बावजूद न तो उन्होंने फोन उठाया और न ही मैसेज का जवाब दिया।
बारिश की संभावना एवं डैम के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए डैम के फाटक को खोलने को लेकर तैयारी शुक्रवार को भी जारी रही। विभागीय कर्मचारी प्लास्टिक के बोरे में बालू भरते नजर आए। करीब 250 बोरे में बालू भरने का काम चल रहा था। बोरे में बालू क्यों भरे जा रहे थे, कोई बता नहीं पाया। एक नंबर फाटक में लोहे की जंजीर लगाकर मैन्युअली खोलने की तैयारी जारी थी। दोपहर को फाटक का जायजा लेने के कर्मचारी भी नीचे उतरे थे। तेज बारिश होने पर जब डैम का फाटक खोला जाएगा, तो वहां भी खेत एवं घरों में पानी भरने की संभावना स्थानीय लोग कर रहे थे। बताया गया कि लगभग 150 घरों और कई एकड़ में फैले धान के खेत में पानी भर जाएगा, जिससे यहां भी फसल बर्बाद हो जाएगी सेम्बो, डुमडुम, मंडारटोली व टंगटंगटोली में 65 हेक्टेयर धान के खेत में भरा पानी : हटिया डैम के पास स्थित सेम्बो में डैम का पानी घुसने लगा है। पानी घरों तक पहुंच गया है। लगभग 35 हेक्टेयर धान के खेत में पानी भर जाने से धान की फसल डूब गई है। फसल नष्ट होने से चितित लोगों का कहना है कि बारिश होने पर यह क्षेत्र पूरी तरह से डूब जाएगा। घरों में भी पानी भर जाएगा। डुमडुम, मंडारटोली व टंगटंगटोली डैम एरिया में आता है। लगभग 30 हेक्टयेर भूमि पर लोगों ने धान की फसल लगाई थी, जो डूब गई है। स्थानीय किसानों के लिए बारिश मुसीबत बनकर आएगी। क्योंकि बारिश होने के बाद पीएचईडी विभाग द्वारा डैम का फाटक खोलकर पानी छोडऩे की बात कही गई है।
गुरुवार को विभाग की ओर से सात वॉल्व खोले गए थे। शुक्रवार को डैम का वाटर लेवल 38 फीट से अधिक रहा। इधर, मौसम विभाग द्वारा आगामी 26 और 27 सितंबर को भारी बारिश की संभावना व्यक्त की गई है। चार नंबर फाटक में जमा कचरा, मर रही मछलियां
: डैम के फाटक नंबर चार में कचरा जमा था। प्लास्टिक के थैले, बोरे, बोतलें सहित अन्य अपशिष्ट पदार्थ फाटक में जम गए हैं। वहीं, गंदगी की वजह से मछलियां भी मरने लगी हैं। छोटी-बड़ी कई मरी मछलियां उतराते हुए दिखीं। सीठियो में धान में निकल आई हैं बालियां
: दूसरी ओर फाटक खुलने पर सीठियो गांव में स्वर्णरेखा नदी की ओर से खेतों में पानी घुसने की बात किसानों ने कही। सीठियो में धान की फसल में बालियां निकल आई हैं। उनमें दाने भी आ गए हैं। फसल पकने में एक माह का समय है। लेकिन डैम का जलस्तर बढऩे से यहां के किसान चितित हैं। बताया जा रहा है कि अगर पानी भर गया तो लगभग 30 एकड़ खेत में धान की फसल बर्बाद हो जाएगी। खेतों में घुस गया पानी, किसान चितित : स्थानीय किसान सुशील कच्छप ने कहा कि ओवरफ्लो होने से डैम का पानी उनके खेतों में भर गया है। उनकी तीन एकड़ में धानकी फसल डूब गई है। विजय महली कहते हैं कि सेंबो में चार एकड़ में धान की खेती की थी। लेकिन फसल डूब गई है। गांव के अन्य किसानों की फसल भी डूब गई है। घर तक डैम का पानी पहुंच गया है। एकाध दिन में बारिश होने पर घर भी जलमग्न हो जाएगा। सेठियो के ग्रामीण दुखनाथ तिग्गा कहते हैं कि पहले प्रतिवर्ष अगस्त-सितंबर में डैम का गेट खोला जाता था। लेकिन 15 वर्षों से डैम का गेट नहीं खोला गया है। फसल लगभग तैयार है। अब पानी छोड़ा गया, तो फसल को नुकसान होगा। ग्रामीण मो. मतीन अंसारी ने कहा कि गलत फाटक को खोला जा रहा है। वैसे भी 15 साल बीत गए हैं। गेट जाम हो गया है। विभाग की लापरवाही के कारण गेट को खोलने वाले मशीनों की भी चोरी हो गई है। हटिया फिल्टरेशन प्लांट के पास स्थित धुर्वा निवासी निकोलस बाला का कहना था कि वे पहली बार ऐसे हालात देख रहे हैं। शिवाजी साहा ने कहा कि बारिश का दौर नहीं थमा, तो फाटक खोलने की स्थिति में फसल बर्बाद हो जाएगी। गेट खोलने से होगी फसलों की बर्बादी, देना होगा मुआवजा : मुखिया
सीठियो गांव के मुखिया शंकर कच्छप ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पहले प्रति वर्ष गेट खोला जाता था। लेकिन विगत 15 वर्षों से गेट नहीं खोलने के कारण वह जाम हो गया है। हालांकि गेट खोला गया तो यहां से लेकर हटिया एंसीलरी तक लगभग 10-12 किमी. के दायरे में फसलों की बर्बादी होगी और अगर फसलों की बर्बादी हुई, तो विभाग को मुआवजा देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि 10-15 साल पूर्व विभाग की लापरवाही के चलते गेट खोलने की मशीनरी चोरी हो गई। अब उस भारी-भरकम गेट को लोहे की जंजीर लगाकर खोलने की तैयारी की जा रही है।