सामाजिक समरसता को व्यक्तिगत जीवन में उतारने की जरूरत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने डॉ भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि को सामाजिक समरसता के रुप में मनाया।
जागरण संवाददाता, रांची : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने डॉ भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि को सामाजिक समरसता दिवस के रूप में मनाया। सरस्वती विद्या मंदिर, धुर्वा के केशव सभागार में आयोजित कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए आरएसएस के प्रांत सह बौद्धिक प्रमुख हरिनारायण ने कहा कि सामाजिक समरसता पर केवल सेमिनार करने से कुछ नहीं होगा। उसे व्यक्तिगत जीवन में उतारने की जरूरत है। डॉ भीमराव आंबेडकर भी हिदू समाज में व्याप्त सामाजिक भेदभाव को दूर करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे। जब उन्हें परेशानी हुई तो उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाना मंजूर किया, परंतु मुस्लिम या ईसाई धर्म को नहीं अपनाया।
हरिनारायण ने कहा, समाज में अभी भी सामाजिक भेदभाव देखने को मिलता है। उसे कैसे दूर किया जाए, इस पर हम सभी लोगों को विचार करना चाहिए। सामाजिक भेदभाव जब प्रबल होता है तो राष्ट्रीय जीवन कमजोर होता है। उसका असर हर क्षेत्र में पड़ता है। इसलिए अपने घरों से ही सामाजिक भेदभाव को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। इस मौके पर उन्होंने बाबा साहेब के जीवन से संबंधित कई अनछुई बातें बताई, जिसे प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में उतारने को का। मौके पर महानगर सह संघचालक सत्यनारायण कंठ, जीपी सिंह, नगर कार्यवाह अमरजीत, ललन सिंह, सुनील कुमार पांडेय, जितेंद्र तिवारी सहित बड़ी संख्या में आरएसएस के स्वयंसेवक एवं स्कूली बच्चे उपस्थित थे।
आरएसएस प्रारंभ से सामाजिक समरसता पर जोर देता रहा है
हरिनारायण ने कहा कि आरएसएस अपने स्थापना काल से ही समाज में व्याप्त भेदभाव को दूर करने का प्रयास करता रहा है। एक बार वर्धा के संघ शिविर में महात्मा गांधी पहुंचे। उन्होंने एक साथ भोजन कर रहे स्वयंसेवकों से पूछा कि इसमें हरिजन कितने हैं, तो स्वयंसेवकों ने बताया कि जातीय आधार पर यहां कोई विचार नहीं होता। यहां सभी हिदू हैं। बाद में उन्हें पता चला कि उसमें कई स्वयंसेवक हरिजन थे।