Move to Jagran APP

तिब्बत को अपनी छावनी की तरह इस्तेमाल कर रहा चीन: स्वामी दिव्यानंद

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अनुसांगिक संगठन भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वामी दिव्यानंद ने कहा कि 1949-50 में तिब्बत पर चीन के हमले और 1959 में पूरे कब्जे से पहले तिब्बत पूरी तरह एक स्वतंत्र देश था तथा भारत और चीन के बीच सुरक्षा क्षेत्र जैसा था।

By Vikram GiriEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 01:38 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 01:38 PM (IST)
तिब्बत को अपनी छावनी की तरह इस्तेमाल कर रहा चीन: स्वामी दिव्यानंद
तिब्बत को अपनी छावनी की तरह इस्तेमाल कर रहा चीन। जागरण

रांची, जासं । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अनुसांगिक संगठन भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वामी दिव्यानंद ने कहा कि  1949-50 में तिब्बत पर चीन के  हमले और 1959 में पूरे कब्जे से पहले तिब्बत पूरी तरह एक स्वतंत्र देश था तथा भारत और चीन के बीच सुरक्षा क्षेत्र जैसा था। इससे पहले इतिहास में कभी भी किसी भी स्थान पर भारत और चीन की सीमा सांझी नहीं थी। तिब्बत पर कब्जा जमाने के बाद चीन ने तिब्बत को अपनी छावनी की तरह इस्तेमाल किया और 1962 में भारत पर हमला करके भारत की हजारों वर्गमील भूमि को हड़प लिया।

loksabha election banner

आज भारत सरकार को हिमालय की सीमा पर चीनी सेना से भारत की रक्षा के लिए और शांति बनाए रखने के लिए पांच वर्ष में कितना पैसा खर्च करना पड़ता है उतने पैसे में भारत के ऐसे हर एक नागरिक को पीने का साफ पानी, अच्छा अस्पताल, अच्छी शिक्षा हमेशा के लिए उपलब्ध कराई जा सकती है जिन्हें यह सब आज तक नसीब नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि चीन शुरू से ही भारत के साथ शत्रु की व्यवहार करता रहा है। तिब्बत के कई इलाकों को चीन अपने परमाणु कचरे के कूड़ेदान की तरह इस्तेमाल करके भारत की पवित्र नदियों को प्रदूषित करने का यह घिनौना काम कर रहा है। तिब्बत पर कब्जे से चीन और पाकिस्तान की सीमाएं आपस में मिल गई हैं इससे दोनों देशों को भारत के खिलाफ सीधे सैनिक गठजोड़ की सुविधा मिल गई है। यही नहीं भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोड़ करने के कारण चीन भारत में अपना माल डंप कर रहा है ताकि यहां के उद्योग धंधे समाप्त हो जाये। उन्होंने कहा कि भारत की संप्रभुता और अर्थव्यवस्था के लिए तिब्बत का आजाद होना अावश्यक है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.