अगर हम सिलेबस नहीं बदल सकते, तो बेहतर चीजें भी नहीं कर सकते
रांची शिक्षा एकमात्र ऐसा माध्यम है जिससे समाज व देश को नई दिशा दी जा सकती
जागरण संवाददाता, रांची : शिक्षा एकमात्र ऐसा माध्यम है जिससे समाज व देश को नई दिशा दी जा सकती है। लेकिन हमारा आज का सिलेबस ब्रिटिश लीगेसी पर आधारित है। आप कितना भी मैथ्स, संस्कृत, हिदी पढ़ लें। अगर इंग्लिश में फ्लूएंसी ना हो तो आपको स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह हमारा दुर्भाग्य भी है। इसलिए अगर हम अपने सिलेबस को बदल नहीं सकते, तो देश या राज्य के परिपेक्ष्य में बेहतर चीजें नहीं बना सकते। यह बातें बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने एसौचेम द्वारा होटल रेडिशन ब्लू में आयोजित नेशनल सेमिनार ऑन एजुकेशन कम अवार्ड्स के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि ऐसी शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए। जिसके माध्यम से सिर्फ डिग्री ही नही छात्रों को स्किल्ड किया जाए। ताकि आगे उन्हें जीविकोपार्जन की समस्या ना हो। इसलिए हमें ध्यान देना होगा कि जो शिक्षा दी जा रही है वो गुणवत्तापूर्ण हो। वही सिलेबस और केरिकुलम ऐसा हो जो छात्रों को स्किल्ड बनाए। इससे युवाओं को बेरोजगारी का सामना करना ना पड़ेगा। स्कूलों से अभी भी दूर हैं बहुत से बच्चे विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि शिक्षा का अधिकार व तमाम अभियान के बावजूद अभी भी बच्चे स्कूलों से दूर हैं। छापेमारी के दौरान बच्चे होटल व अन्य जगहों में काम करते पाए जाते हैं। वे श्रम बेच कर अपना भरण पोषण करते हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत ऐसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है। संतुलित हो शिक्षा व्यवस्था
महतो ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को संतुलित करने की आवश्यकता है। आज भी अर्थ के अभाव में प्रतिभावान बच्चे अच्छे संस्थान में पढ़ नहीं पाते हैं। इसके अलावा एक तरफ ऐसे निजी स्कूल हैं जहां सब तरह की सुविधाएं हैं। वहीं दूसरी तरफ ऐसे सरकारी स्कूल हैं जहां कक्षा और किताब के सिवा कुछ नहीं है। हमें ध्यान रखा पड़ेगा कि सरकारी स्कूल के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। इस क्रम में अगर शहर की आबादी शिक्षित हो रहे हैं। तो प्रदेश गांव के लोग काफी पीछे हैं। एजुकेशन में पूरे राज्य का संतुलित विकास हो। इसकी व्यवस्था करनी होगी। शिक्षा व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए आमंत्रित किए हैं सुझाव : मंत्री वहीं मौके पर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सभी शिक्षाविदें से सुझाव आमंत्रित किए हैं। वे अपना सुझाव दें ताकि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाया जाए।
वही, स्कूली शिक्षा विभाग सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हायर एजुकेशन में फास्ट ग्रोथ है। लेकिन हर जगह क्वालिटी के इश्यू हैं। अगर यूनिवर्सिटीज के तर्ज पर स्कूलों की रेटिंग की जाए तो काफी खराब स्थिति होगी।
इस मौके पर ऐसोचैम झारखंड के सह अध्यक्ष जतिन त्रिवेदी, शोभियत यूनिवर्सिटी मेरठ के उप महासचिव कुंवर शेखर विजेंद्र, एसोचैम के क्षेत्रीय निदेशक भरत जायसवाल व भरत जायसवाल आदि कई उपस्थित थे।