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राष्ट्रीय लोक अदालत में जज की कुर्सी पर बैठी ट्रांसजेंडर, निपटाये 23 मामले

ट्रांसजेंडर व देह व्यापार से जुड़े समाज से अलग-थलग जीवन जीने को मजबूर हैं। बात करना तो दूर कोई इनके नजदीक तक आने से परहेज करता है। शनिवार को उस समय रांची के ट्रांसजेंडर का सीना गर्व से दोगुना हो गया।

By Vikram GiriEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 02:48 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 02:48 PM (IST)
राष्ट्रीय लोक अदालत में जज की कुर्सी पर बैठी ट्रांसजेंडर, निपटाये 23 मामले
राष्ट्रीय लोक अदालत में जज की कुर्सी पर बैठी ट्रांसजेंडर, निपटाये 23 मामले। जागरण

रांची, जासं । ट्रांसजेंडर व देह व्यापार से जुड़े समाज से अलग-थलग जीवन जीने को मजबूर हैं। बात करना तो दूर कोई इनके नजदीक तक आने से परहेज करता है। शनिवार को उस समय रांची के ट्रांसजेंडर व देह व्यापार से जुड़ी महिलाओं का सीना गर्व से दोगुना हो गया जब उसी के समाज का एक ट्रांसजेंडर को बतौर मुख्य अतिथि बनाया गया और उसने जज की कुर्सी पर बैठकर मामले का निपटारा किया। प्रतीकात्मक ही सही सभी इस सम्मान से अभिभूत थे। अवसर था राष्ट्रीय लोक अदालत का। रांची सिविल कोर्ट में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में मामलों के निपटारे के लिए 47 बेंच बनाये गए थे। हालांकि, आकर्षण का केंद्र बेंच नंबर 19 रहा।

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इस बेंच में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी फहीम किरमानी, रजिस्ट्रार मनीष कुमार सिंह के साथ ट्रांसजेंडर अमृता अल्पेश सोनी को भी सदस्य मनोनीत किया गया था। एक दिवसीय लोक अदालत में कुल 10 हजार मामलों का चयन किया गया था। जिसमें 2471 केस का सफल निपटारा किया गया। जबकि बेंच नंबर 19 ने 23 मामले निपटाये जिसमें पारिवारिक विवाद, बैंक, इंश्योरेंस आदि के वाद शामिल हैं। मौके पर करीब 20 की संख्या में आये ट्रांसजेंडर व देहव्यापार से जुड़ी महिलाओं ने अमृता अल्पेश सोनी को फूल माला पहना कर स्वागत किया।

ट्रांसजेंडर व देह व्यापार से जुड़े लोग भी सम्मान के हकदार

राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्घाटन के दौरान बतौर मुख्य अतिथि ट्रांजेंडर अमृता अल्पेश सोनी ने कहा कि ट्रांसजेंडर, देह व्यापार से जुड़े या फिर समाज में तिरस्कृत लोग अपनी इच्छा से इस स्थिति में नहीं हैं। जैसा हैं वो ईश्वर की इच्छा से ही हैं। ऐसे में उन्हें तिरस्कार की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए। ये लोग भी सम्मान के हकदार हैं। ये भी समाज के मुख्यधारा में जुड़कर सम्मानपूर्वक जीवन जीयें इसको लेकर जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से बेहतरीन पहल की है। आने वाले दिनों में इसका सकारात्म परिणाम देखने को मिलेंगे।

मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी फहीम किरमानी ने कहा कि कोरोना काल में केस पेंडिंग न रहे इस उद्देश्य से राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया है। लोक अदालत में ट्रांसजेंडर के लिए बेंच गठित की गई है, जिससे कि उनको भी समाज में सम्मान मिले यह काबिल-ए-तारीफ है।।

जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अभिषेक कुमार ने कहा कि ट्रांसजेंडर को बेंच का सदस्य नामित करने का उद्देश्य समाज में उन्हें बराबर का दर्जा देना है। साथ ही, ट्रांस्जेंडर, देह व्यापार से जुड़े, अरबन स्लम में रहनेवाले लोग जिनके विरूद्ध अपराध होने पर उसकी रिपोर्टिंग हो सके तथा उन्हें न्याय दिलाने में सहयोग प्रदान कर सके।

ऑनलाइन हुई सुनवाई, वीडियो कांफ्रेंसिंग से निपटाये गए मामले

कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोक अदालत ऑनलाइन हुई। वाद से जुड़े पक्षकार व अधिवक्ता वीडियो कांफेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा। पक्षकारों को कोर्ट आने की मनाही थी।


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