राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मांगा कुपोषण से शिशुओं की मौत का आंकड़ा
रांची जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कुपोषण से हुई आठ माह के बच्चे की मौत के मामले में दर्ज शिकायत पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को पत्राचार किया है। सरकार की गृह विभाग को पत्राचार कर आयोग ने पूछा है कि पिछले तीन साल के भीतर कुपोषण से कितने शिशुओं की मौत हुई। अब इस संबंध में सभी जिलों से रिपोर्ट मंगाई गई है ताकि आयोग को इससे अवगत कराया जा सके।
रांची : जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कुपोषण से हुई आठ माह के बच्चे की मौत के मामले में दर्ज शिकायत पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को पत्राचार किया है। सरकार की गृह विभाग को पत्राचार कर आयोग ने पूछा है कि पिछले तीन साल के भीतर कुपोषण से कितने शिशुओं की मौत हुई। अब इस संबंध में सभी जिलों से रिपोर्ट मंगाई गई है, ताकि आयोग को इससे अवगत कराया जा सके।
जमशेदपुर के मनोज मिश्रा ने गत वर्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी। उनका आरोप था कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक कुपोषण के शिकार आठ माह के बच्चे की मौत हुई थी। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन ने जानकारी दी थी कि कुपोषण चिकित्सा केंद्र में उक्त बच्चे को इलाज के लिए भर्ती किया गया था। उसमें खून की भी कमी थी। बच्चे को आइसीयू में भर्ती कराया गया था, लेकिन 21 अगस्त 2019 को बच्चे की मौत हो गई थी। आयोग से यह भी शिकायत की गई थी कि कुपोषण से तब एमजीएम में प्रत्येक माह करीब 40 नवजात की मौत हो रही थी। चार माह के भीतर 164 नवजात की मौत कुपोषण से हो गई थी।
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28 अगस्त तक आयोग को भेजनी है पूरी रिपोर्ट :
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार से 28 अगस्त तक कुपोषण से राज्य में हुई नवजात की मौत पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने इसके लिए वित्तीय वर्ष 2016-17, 2017-18 व 2018-19 के दौरान हुई नवजातों की मौत का आंकड़ा प्रस्तुत करने को कहा है, ताकि इसपर ठोस निर्णय लिया जा सके।
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गृह विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से किया पत्राचार :
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का पत्र मिलने के बाद गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से पत्राचार किया है। पत्र में बताया है कि कुपोषण से नवजात की मौत पर पिछले तीन साल की रिपोर्ट उपलब्ध कराएं, ताकि उससे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को अवगत कराया जा सके।
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