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Jharkhand Electricity: नेशनल ग्रिड को झटका दे रहे दक्षिण के राज्य, झारखंड में गहरा सकता बिजली संकट

Jharkhand Bijli Vitran Nigam दक्षिण भारत के कई राज्य निर्धारित क्षमता से ज्यादा बिजली उपभोग कर रहे हैं। इस कारण फ्रिक्वेंसी कम होने से झारखंड में पीक आवर में बिजली आपूर्ति में गिरावट की शिकायत मिली है। झारखंड ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया है।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 10:30 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 10:32 PM (IST)
Jharkhand Electricity: नेशनल ग्रिड को झटका दे रहे दक्षिण के राज्य, झारखंड में गहरा सकता बिजली संकट
Jharkhand Power Crisis: दक्षिण भारत के राज्यों के कारण झारखंड में कभी भी बिजली संकट गहरा सकता है।

रांची, राज्य ब्यूरो। National Grid Electricity Transmission नेशनल ग्रिड पर बार-बार संकट गहराने की वजह से राज्य को बिजली की लोड शेडिंग करनी पड़ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह नेशनल ग्रिड की निर्धारित फ्रिक्वेंसी का कम होना है। बीते एक माह में कई बार ऐसी नौबत आई है। दरअसल दक्षिण भारत के राज्य निर्धारित क्षमता से अधिक बिजली ले रहे हैं। जिसके कारण ऐसी नौबत आ रही है। मंगलवार की रात भी नेशनल ग्रिड की फ्रिक्वेंसी 50 से घटकर 49.4 हर्टस हो गई। ऐसा दक्षिण भारत के कुछ राज्यों द्वारा तय कोटा से अधिक बिजली लेने के कारण हुआ।

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नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर ने राज्यों को दी हिदायत

नेशनल ग्रिड पर संकट को देखते हुए नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर ने भारत के सभी राज्यों को सख्त हिदायत दी है कि तय कोटे से अधिक बिजली नहीं लें। इससे अन्य राज्यों को परेशानी हो सकती है। झारखंड ने अपनी दिक्कतों से केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को भी अवगत कराया है। मालूम हो कि पिछले कुछ दिनों में झारखंड में अचानक बिजली संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। छानबीन हुई तो पता चला कि दक्षिण भारत के कई राज्यों ने तय मानक से ज्यादा बिजली ले लिया है। इसके बाद झारखंड सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को पत्र लिखकर स्थित से अवगत कराया।

क्या है बिजली ट्रांसमिशन का निर्धारित मानक

नेशनल ग्रिड की फ्रिक्वेंसी 50 हर्ट्स निर्धारित है। इसी फिक्र्वेंसी पर बिजली ट्रांसमिशन का काम होता है। इसे बिजली की उपलब्धता और उसके उपयोग का संतुलन माना जाता है। यदि यह इस निर्धारित मानक से घट जाए या ज्यादा बढ़ जाए तो ग्रिड के फेल होने का खतरा रहता है। फ्रिक्वेंसी बनाए रखने के लिए राज्यों का अलग-अलग कोटा तय किया गया है। कोई राज्य अगर निर्धारित कोटा से ज्यादा बिजली लेता है तो इसमें असंतुलन पैदा होता है। डिस्पैच सेंटर को इसकी देखरेख की जिम्मेदारी है। बहरहाल विभिन्न स्त्रोतों से राज्य में बिजली की उपलब्धता के कारण इसका असर नहीं दिख रहा है।

झारखंड में 100 यूनिट तक बिजली फ्री

मालूम हो कि झारखंड सरकार ने राज्य में 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त कर दिया है। करीब 32 लाख ऐसे बिजली उपभोक्ता हैं, जिन्हें यह लाभ जुलाई महीने से ही मिलने लगा है। अगस्त में आए जुलाई महीने के बिजली बिल में यह लाभ उपलब्ध होने लगा है। झारखंड विधानसभा चुनाव के समय ही झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने घोषणा पत्र में 100 यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा किया था। सरकार बनने के ढाई साल बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वादे के अनुसार बिजली फ्री कर दी है।


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