आग लग जाए तो भगवान भरोसे है यह शहर
रांची कभी हरियाली की केंद्र रही रांची अब कंक्रीट की गगनचुंबी इमारतों में तब्दील होचुकी है। इसकी तंग गलियों में दमकल वाहनों का पहुंचना मुश््िकल है।
जागरण संवाददाता, रांची : कभी हरियाली की केंद्र रही रांची अब कंक्रीट की गगनचुंबी इमारतों में तब्दील होती जा रही है। दिनोंदिन नियमों को दरकिनार कर शहर की तंग गलियों में बहुमंजिली इमारतें बनती जा रही हैं। ये गलिया इतनी संकरी हैं कि कभी आग लगी तो अग्निशमन यंत्र भी घटनास्थल तक नहीं पहुंच सकते। स्थिति ये है कि अधिसंख्य अपार्टमेंट में फायर फाइटिंग सिस्टम तक मौजूद नहीं है। हाल फिलहाल शहर में अगलगी की कुछ घटनाएं हुईं हैं। संयोग से ये मुख्य सड़क से सटे इलाके में हैं जहां अग्निशमन वाहन की पहुंच सुगम है। वहीं अगर ये हादसे अपर बाजार, मधुकम, इरगू टोली, आनंद नगर, विद्यानगर या हिदपीढ़ी की किसी संकरी गली वाले इलाके में होते तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती थी।
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अपर बाजार की हालत सबसे चिंताजनक
शहर में व्यापार का केंद्र रहे अपर बाजार में अनुमानत: प्रतिदिन दस करोड़ रुपये का कारोबार होता है लेकिन कभी यहां अगलगी की घटना हो जाए तो तंग गलियों में दमकल नहीं पहुंच सकेंगी। फिर दुकानों में रखे अरबों के सामान को घंटे भर में मिटते देर नहीं लगेगी। एक अनुमान के मुताबिक अपर बाजार में हर रोज तकरीबन 80 हजार लोग खरीदारी करने आते हैं। भीड़ इतनी कि गलियों में पैदल चलना मुश्किल होता है, बावजूद यहां की यह स्थिति चिंताजनक है। अमूमन इन इलाकों में सड़कों की चौड़ाई 12 से 14 फीट है। मगर दुकानदारों के अतिक्रमण के कारण गलियां सिमट कर 4 से 5 फीट पर आ चुकी हैं। गाधी चौक, ज्योति संगम रोड, श्रद्धानंद रोड, मौलाना आजाद रोड, रंगरेज गली, काली बाबू स्ट्रीट, महुआ गद्दी रोड में कुछ दुकानों को छोड़ दिया जाये तो अधिकांश जगहों पर फायर फाइटिंग की व्यवस्था तक नहीं है।
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इतने संसाधन नहीं हैं काफी
अगलगी से निबटने के लिए फायर बिग्रेड के पास हाड्रोलिक प्लेटफार्म सहित 20 दमकल, चार छोटा फायर ब्रिगेड वाहन व एक फोम टेंडर वाहन है।
राजधानी में चार फायर स्टेशन हैं, जो डोरंडा, धुर्वा, आड्रे हाउस व पिस्कामोड़ में हैं।
एक फायर ब्रिगेड वाहन की क्षमता 4500 लीटर है, जबकि छोटे वाहन में 1500 लीटर पानी रहता है।
जीपनुमा फायर ब्रिगेड वाहन संकीर्ण रोड में काम आता है इस संसाधन के भरोसे राची की पूरी आबादी है।
कई घटनाओं में एक साथ आधा दर्जन से अधिक दमकलों को लगाना पड़ता है। ऐसे में एक साथ तीन या उससे अधिक अगलगी की घटनाएं हो जाएं, तो उस पर काबू पाना मुश्किलों भरा होगा।
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अधिकतर इमारतों में नहीं हैं फायर सिस्टम
राजधानी के अधिकतर अपार्टमेंटों में फायर सिस्टम नहीं है। लेकिन, जिला प्रशासन इस पर चुप्पी साधे है। अगलगी की बढ़ रही घटनाओं के बावजूद जिला प्रशासन ऊंची इमारतों में फायर सिस्टम लगाने की अनिवार्यता लगाने की जहमत नहीं उठा रहा। जबकि अग्निशमन विभाग इसकी अनिवार्यता का बार-बार आग्रह कर रहा है। राची में एक साथ अगर एक से अधिक ऊंची इमारतों में आग लग जाए तो इसे बुझाना विभाग के बस में नहीं होगा। चूंकि एक ही हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म दमकल वाहन है, जो 42 मीटर की उंचाई वाले (15 मंजिले) भवन तक की आग बुझा सकता है। मौजूदा समय में राची में ऐसे अनेक अपार्टमेंट बने हैं।
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इमरजेंसी नंबर 101 है नॉट रिचेबल
अग्निशमन विभाग का इमरजेंसी नंबर डायल 101 भी कई महीनों से ठप पड़ा है। इस नंबर पर कॉल करने पर नॉट रिचेबल की सूचना आती है। ऐसे में पुलिस के डायल 100 के भरोसे पूरा अग्निशमन विभाग चल रहा है। ऐसे में अगलगी की घटनाओं की त्वरित सूचना देना भी संभव नहीं होगी। चूंकि 100 पर सूचना देने पर वह घटनास्थल के पते की जानकारी लेकर विभाग को देती है। इसके बाद अग्निशमन विभाग तत्पर होता है।