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Massanjore Dam Dispute: मसानजोर विवाद निपटारे को बन सकती है संसदीय समिति Ranchi News

Massanjore dam in Jharkhand. राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने बंगाल की ममता सरकार द्वारा मसानजोर बांध से संबंधित समझौते के उल्लंघन का मामला उठााया है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 09:47 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 09:47 AM (IST)
Massanjore Dam Dispute: मसानजोर विवाद निपटारे को बन सकती है संसदीय समिति Ranchi News
Massanjore Dam Dispute: मसानजोर विवाद निपटारे को बन सकती है संसदीय समिति Ranchi News

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने मसानजोर बांध से संबंधित समझौते के उल्लंघन का मामला एक बार फिर उठाया है। पोद्दार ने भारत सरकार के जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल सरकार से संबंधित विवाद के निपटारे के लिए सदन की समिति गठित कर समझौते की समीक्षा का आग्रह किया है। पोद्दार राज्यसभा में शून्यकाल के अंतर्गत भी यह मामला उठा चुके हैं।   

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प्रेषित पत्र में पोद्दार ने कहा कि मसानजोर डैम बनते समय बिहार और बंगाल के बीच 12 मार्च 1949 को मयूराक्षी जल बंटवारे पर पहला समझौता हुआ था। करार दस बिंदुओं पर हुआ था, लेकिन बंगाल सरकार की तरफ से करार की एक भी शर्त पूरी नहीं की गयी। करार में मसानजोर जलाशय से तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) में 81000 हेक्टेयर जमीन की खरीफ फसल और 1050 हेक्टेयर पर रबी फसल की तथा पश्चिम बंगाल में 226720 हेक्टेयर खरीफ और 20240 हेक्टेयर रबी फसलों की सिंचाई होने का प्रावधान किया गया था। समझौते के अनुसार निर्माण, मरम्मत तथा विस्थापन का पूरा व्यय बंगाल सरकार को वहन करना है। इतना ही नहीं विस्थापितों को सिंचित जमीन भी देनी थी।

डैम से हमेशा तय मात्रा से ज्यादा पानी लेता है बंगाल
मसानजोर डैम को लेकर बंगाल और बिहार सरकार के बीच दूसरा समझौता 19 जुलाई 1978 को हुआ था। लेकिन, बंगाल सरकार की तरफ से इस करार की भी कोई शर्त पूरी नहीं की गयी। इस करार में मयूराक्षी के अलावा इसकी सहायक नदियों सिद्धेश्वरी और नून बिल के जल बंटवारे को भी शामिल किया गया था। इसके अनुसार मसानजोर डैम का जलस्तर कभी भी 363 फीट से नीचे नहीं आए, इसका ध्यान बंगाल सरकार को पानी लेते समय हर हालत में रखना था, ताकि झारखंड के दुमका की सिंचाई प्रभावित नहीं हो।

बंगाल सरकार को एक अतिरिक्त सिद्धेश्वरी-नूनबिल डैम बनाना था, जिसमें झारखंड के लिए डैम के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र का 10000 एकड़ फीट पानी दुमका जिला के रानीश्वर क्षेत्र के लिए रिजर्व रखना था। सिंचाई आयोग ने पाया था कि मसानजोर डैम के पानी का जलस्तर हर साल 363 फीट से काफी नीचे आ जाता था, क्योंकि बंगाल डैम से ज्यादा पानी लेता था। मसानजोर डैम से दुमका जिला की सिंचाई के लिए पंप लगे थे, वे हमेशा खराब रहते थे, जबकि इनकी मरम्मत बंगाल सरकार को करनी है। 40 साल बीत गये, बंगाल सरकार ने करार के मुताबिक न तो दो नए डैम बनाए, न बिजली दे रही है और न पानी।

सिंचाई आयोग ने समझौतों पर पुनर्विचार का दिया था सुझाव
1991 में गठित द्वितीय बिहार राज्य सिंचाई आयोग की उपसमिति ने तत्कालीन बिहार राज्य और पड़ोसी राज्यों तथा नेपाल के बीच हुए द्विपक्षीय/ त्रिपक्षीय समझौतों पर पुनर्विचार किया था और इनमें संशोधन का सुझाव दिया था। आयोग ने अपनी अनुशंसा में तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) सरकार को सुझाव दिया था कि इन समझौतों में इस राज्य के हितों की उपेक्षा हुई है और जनहित में इनपर नए सिरे से विचार होना आवश्यक है। लेकिन, द्वितीय बिहार राज्य सिंचाई आयोग की अनुशंसाओं पर अमल करने मे भी रुचि नहीं दिखाई गई।

मसानजोर बांध में दुमका की 12000 एकड़ खेती लायक जमीन जलमग्न
मसानजोर बांध में झारखंड के दुमका जिला की 19000 एकड़ जमीन सन्निहित है, 12000 एकड़ खेती लायक जमीन जलमग्न है। 144 मौजे समाहित हैं। इसके बावजूद इस पर झारखंड का कोई जोर नहीं चलता है। इस पर मालिकाना हक सिंचाई एवं नहर विभाग, बंगाल सरकार का है। पश्चिम बंगाल सरकार के अनुसार 1950 में हुए पश्चिम बंगाल सरकार और बिहार सरकार के बीच हुए समझौते के तहत यह डैम (बांध) भले ही झारखंड के दुमका में है, लेकिन इस पर नियंत्रण पश्चिम बंगाल सरकार का है।


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