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एसपी की रिपोर्ट-अदालत का आदेश ताक पर, हत्यारे को जेल से किया रिहा

लोकायुक्त की जांच में जेल अधीक्षक और प्रोबेशन पदाधिकारी की मिलीभगत की पोल खुल गई, जिसके बाद इन अफसरों पर कार्रवाई की गाज गिरी है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 04 Dec 2018 06:55 PM (IST)Updated: Wed, 05 Dec 2018 11:31 AM (IST)
एसपी की रिपोर्ट-अदालत का आदेश ताक पर, हत्यारे को जेल से किया रिहा
एसपी की रिपोर्ट-अदालत का आदेश ताक पर, हत्यारे को जेल से किया रिहा

रांची, दिलीप कुमार। एसपी की रिपोर्ट-अदालत का आदेश ताक पर रखकर एक हत्यारे को रिहा करने के मामले में दो अफसरों पर कार्रवाई की गाज गिरी है। मामला राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद को धोखे में रखकर गिरिडीह के बरमसिया निवासी  कुख्यात अपराधी पवन तिवारी को जेल से रिहा करने से जुड़ा है। उसे आजाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गिरिडीह के पूर्व जिला प्रोबेशन पदाधिकारी कमलजीत सिंह व केंद्रीय कारा मेदिनीनगर पलामू के काराधीक्षक प्रवीण कुमार ने तमाम नियमों को ताक पर रखा।

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गिरिडीह के तत्कालीन एसपी की रिपोर्ट, न्यायालय के आदेश को भी दरकिनार कर इस बंदी को रिहा कर दिया गया। विभागीय जांच में इसकी पुष्टि हुई है। इसके बाद गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे को आदेश दिया गया है कि वे दोनों अफसरों के खिलाफ तुरंत दंडात्मक कार्रवाई करें। लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने इस पर अमल करते हुए एक महीने के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

लोकायुक्त के आदेश में यह कहा गया है कि जिस प्रकार गिरिडीह के बद्री नारायण प्रसाद की हत्या हुई, उसे सामान्य कोटि में रखा जाना उचित नहीं। हत्या में प्रयुक्तशस्त्र न तो पारंपरिक था और न ही हत्यारा कोई अबोध, अनपढ़, विवेकहीन या गरीब व्यक्तिथा। बता दें कि दोषी पदाधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद ने 10 जून 2017 को पवन तिवारी को रिहा कर दिया था।

हत्या के जुर्म में पवन तिवारी को हुआ था उम्रकैद :  आरोप है कि पवन तिवारी ने 07 जुलाई 2000 को अपने पड़ोसी बद्री नारायण प्रसाद की हत्या कर दी थी,  वहीं बद्री नारायण के बेटे अमर शंकर कुमार उर्फ रिंकू सिन्हा को गोली मारकर जख्मी कर दिया था। हत्या का आरोप पवन के भाई अरुण तिवारी व उनके पिता सुरेंद्र तिवारी पर भी लगा था। 24 फरवरी 2003 को गिरिडीह कोर्ट ने तीनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। झारखंड हाई कोर्ट ने भी 26 फरवरी 2015 को तीनों ही अभियुक्तों की सजा बरकरार रखा था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी पवन तिवारी के आवेदन को खारिज कर दिया था।

एसपी की रिपोर्ट, कुख्यात अपराधी है पवन तिवारी : गिरिडीह एसपी ने 30 जुलाई 2016 को अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पवन तिवारी का संबंध आपराधिक संगठनों से है। कारा से छूटने पर वह पुन: अपराध कर सकता है। उसने गिरिडीह में 27 दिसंबर 1990 को भी एक व्यक्तिकी हत्या कर दी थी। इसके अतिरिक्त पवन पर दर्जनों मामले दर्ज हैं।

जिंदा पत्नी को मरा हुआ बताकर लिया प्रोविजनल बेल, हो गया फरार :  उम्रकैद की सजा काटने के दौरान पवन ने अपनी जीवित पत्नी सुमन देवी का झूठा मृत्यु प्रमाणपत्र देकर प्रोविजनल बेल 06 अप्रैल 2005 से दो मई 2005 तक ले लिया था। उसे दो मई 2005 को आत्मसमर्पण करना था, लेकिन वह फरार हो गया था। बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर उसे पटना से गिरफ्तार किया गया।

हजारीबाग केंद्रीय कारा में पवन के पास से मिला था मोबाइल : पटना से गिरफ्तार होने के बाद पवन तिवारी को हजारीबाग के जयप्रकाश केंद्रीय कारा में रखा गया था। वहां छापेमारी में उसके पास से मोबाइल मिला था, जिसके बाद उसे पलामू जेल भेज दिया गया था।


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