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मां की ममता पर भारी पड़ा कोरोना: बेटे की मौत के बाद शव को अस्पताल में छाेड़कर भागी मां

दो साल का मासूम अपनी मां के गोद में सर रखकर रिम्स अस्पताल आया था। वह काेरोना संक्रमित था। मां की ममता उसे जीने का हौसला दे रही थी। लेकिन एक दिन बाद ही अस्पताल में उसकी सांस की डोर टूट गई।

By Vikram GiriEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 12:46 PM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 12:46 PM (IST)
मां की ममता पर भारी पड़ा कोरोना: बेटे की मौत के बाद शव को अस्पताल में छाेड़कर भागी मां
मां की ममता पर भारी पड़ा कोरोना: बेटे की मौत के बाद शव को अस्पताल में छाेड़कर भागी मां। जागरण

रांची, जासं । दो साल का मासूम अपनी मां के गोद में सिर रखकर रिम्स अस्पताल आया था। वह काेरोना संक्रमित था। मां की ममता उसे जीने का हौसला दे रही थी। लेकिन एक दिन बाद ही अस्पताल में उसकी सांस की डोर टूट गई। दो साल का बिट्टू असमय काल के गले में समा गया। उसकी मौत के बाद मां की ममता भी दागदार हो गया। जिस मां ने 9 महीने तक अपने गर्भ में बिट्टू को पाला था। वहीं, मां को जब पता चला कि बिट्टू नहीं रहा। तो वह उसे अस्पताल में ही छोड़कर भाग गई। मां को कलेजे के टुकड़े पर दया नहीं आई। मां शब्द को कलंकित कर वह रिम्स से निकल गई।

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11 को रिम्स में हुआ था भर्ती

दो साल का बिट्टू बिहार के जमुई जिले के चकाई थाना क्षेत्र के नईडीह का रहने वाला था। पिता शंकर यादव इलाज के लिए 11 मई को रिम्स लेकर पहुंचे थे। यहां पीडियाट्रिक सर्जरी के यूनिट-1 में डा. हीरेंद्र बिरुआ की देखरेख में उसका इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मौत की खबर सुनते के बाद परिजन शव को छोड़ अस्पताल से फरार हो गए।

करते रहे फोन, परिजन ने कहा रॉन्ग नंबर

रिम्स के कर्मचारी बिट्टू के परिजन को कई बार कॉल कर शव के अंतिम संस्कार के लिए बुला रहे थे। लेकिन परिजन रॉन्ग नंबर कहकर फोन काट देते थे। दो दिनों तक इंतजार करने के बाद रिम्स कर्मचारियों ने बच्चे के शव को अंतिम संस्कार के लिए घाघरा घाट भेज दिया।

परिजन बन ट्रॉलीमैन ने किया अंतिम संस्कार

जब इंसानियत खत्म हो रहा था। मां की ममता मर गई थी। उस वक्त रिम्स का ट्रॉलीमैन रंजीत बेदिया आगे आया। उसने बच्चे के शव का अंतिम संस्कार कराने का बीड़ा उठाया। बच्चे के शव को अपनी गोद में लेकर एंबुलेंस में बैठकर नामकुम के घाघरा श्मशान घाट गया। वहां अंतिम संस्कार किया।


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