Olympic Day 2020: सिलवानुस की यादों में आज भी जिंदा है मॉस्को ओलंपिक का फाइनल
Olympic Day 2020. ओलंपिक दिवस पर झारखंड के पूर्व ओलंपियन डुंगडुंग मनोहर दीपिका कुमारी व निक्की प्रधान ने अपनी भावनाएं व्यक्त की।
रांची, [संजीव रंजन]। Olympic Day 2020 बिरसा मुंडा की धरती झारखंड ने कई ऐसे खिलाड़ी दिए हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय फलक पर देश का नाम ऊंचा किया है। हालांकि इनमें बिरले ही ऐसे हैं जिन्हें ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। 1928 में मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा, 1980 में सिलवानुस डुंगडुंग, 1984 में मनोहर टोपनो, 2016 में निक्की प्रधान (सभी हॉकी) में, 2004 में रीना कुमारी, 2016 में दीपिका कुमारी (दोनों तीरंदाजी) व 1980 में हरभजन सिंह (बास्केटबॉल) ओलंपिक खेलने वाले प्रदेश के चंद खिलाड़ी हैं।
जीत के बाद रातभर मनाया था जश्न
भारत ने ओलंपिक में अंतिम बार 1980 मास्को ओलंपिक में स्वर्ण जीता था। हॉकी के रोमांचक फाइनल में भारत ने स्पेन को 4-3 से पराजित किया था। उस मैच में इस धरती (तत्कालीन बिहार) के लाल सिलवानुस डुंगडुंग भी खेले थे। 40 वर्षों से भारत एक बार फिर स्वर्ण की तलाश में लगा हुआ है। उस मैच में खेलने वाले सिलवानुस डुंगडुंग ने कहा कि चार दशक बीतने के बाद भी वह मैच मेरे जेहन में ताजा है।
मैं आज भी नहीं भूला कि मैच जीतने के बाद हम सबकी आंखों में आंसू थे। उस दिन को याद करते हुए डुंगडुंग ने कहा कि हमलोगों ने रातभर जश्न मनाया था। स्वर्ण जीतने के बाद देश में हॉकी का एक माहौल बन गया था। मास्को के बाद अगर हम कुछ और ओलंपिक में पदक जीतते तो भारत में भी हॉकी क्रिकेट की तरह चमकता रहता। 40 साल के बाद एक बार फिर यह आस जगी है कि भारतीय टीम ओलंपिक में पदक जीत सकती है। उन्होंने सरकार द्वारा हॉकी के लिए किये जा रहे पहल की प्रशंसा की और कहा कि आज ग्र्रास रूट से खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं जो बेहतर परिणाम देंगे।
ओलंपिक पदक नहीं जीत पाने का मलाल : मनोहर टोपनो
1984 लास एंजिल्स ओलंपिक में भारतीय टीम के सदस्य रहे मनोहर टोपनो को गम है कि वे ओलंपिक पदक विजेता खिलाडिय़ों की श्रेणी में शामिल नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि ओलंपिक में पदक जीतने वाली टीम का सदस्य बनना बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। भारतीय टीम पांच स्थान पर रही। मनोहर ने कहा कि पदक नहीं जीत पाने का पूरी टीम को गम था। सब यह जानते हैं कि ओलंपिक खेलने का मौका करियर में बड़ी मुश्किल से मिलता है। उन्होंने कहा कि पदक ना जीत पाने का दर्द आज भी सालता है।
ओलंपिक पदक विजेता खिलाड़ी बनना चाहती हूं : निक्की
झारखंड की ओर से ओलंपिक खेलने वाली निक्की प्रधान 2016 रियो ओलंपिक में भारतीय टीम की सदस्य थी। ओलंपिक में भारतीय टीम की वापसी 36 वर्षों के बाद हो रही थी। लेकिन टीम को छठे स्थान से ही संतोष होना पड़ा। निक्की ने बताया लगभग साढ़े तीन दशक के बाद ओलंपिक खेलना बहुत बड़ी उपलब्धि थी। सभी बेहतर करना चाहते थे। हमने अच्छा किया भी, लेकिन नॉक आउट स्टेज तक नहीं पहुंचे।
निक्की ने कहा वह चाहती है कि जब वह हॉकी छोड़े तो लोग उसे ओलंपिक पदक विजेता के रूप में जानें। इसके लिए पूरी टीम तैयार है। हालांकि कोरोना के कारण हमलोगों का कैंप स्थगित कर दिया गया। फिर अभी हमारे पास समय है और टीम के सभी खिलाड़ी इतिहास में नाम दर्ज करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगी।
रियो को भूल टोक्यो में कुछ करने की तमन्ना : दीपिका
रियो ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन से दीपिका कुमारी भी काफी निराश थी, लेकिन अब वह मिशन टोक्यो के लिए तैयार है। दीपिका ने बताया कि रियो के प्रदर्शन को भूल टोक्यो में मैं 125 करोड़ भारतीय की अपेक्षा पर खड़ा उतरने का पूरा प्रयास करुंगी। रियो में मेरे लिए कुछ ठीक नहीं था लेकिन टोक्यो का माहौल बहुत हमारे देश जैसा होगा। अभी एक साल का समय है और मैं लॉकडॉउन समाप्त होने के बाद फिर से अभ्यास में लग जाऊंगी। मैं जान रही हूं कि ओलंपिक में कुछ भी भविष्यवाणी करना गलत होगा। करियर को यादगार बनाने के लिए मैं ओलंपिक में पदक जीतने के सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगी।
खेल विभाग ओलंपियनों को करेगा सम्मानित
ओलंपिक दिवस पर मंगलवार को खेल विभाग पूर्व ओलंपियन सिलवानुस डुंगडुंग, मनोहर टोपनो, दीपिका कुमारी व निक्की प्रधान को सम्मानित करेगा।